बाटम-खेतों से अब लुप्त होने लगी जाटी

फोटो : 15 स्लग-चिंताजनक फ्लैग-किसानों के सुख दुख का साथी व उपजाऊ शक्ति बढ़ाने वाला माना जाता है

By Edited By: Publish:Fri, 26 Dec 2014 05:13 PM (IST) Updated:Fri, 26 Dec 2014 05:13 PM (IST)
बाटम-खेतों से अब लुप्त होने लगी जाटी

फोटो : 15

स्लग-चिंताजनक

फ्लैग-किसानों के सुख दुख का साथी व उपजाऊ शक्ति बढ़ाने वाला माना जाता है

-रेतीले क्षेत्रों में यह पेड़ कभी बहुत अधिक मात्रा में होता था

-घरों में होने वाले उत्सव आदि पर काम में लाया जाता रहा है

संवाद सहयोगी, कनीना : ग्रामीण किसानों के खेतों से जाटी (खेजड़ी) नामक बड़े वृक्ष धीरे-धीरे लुप्त हो रहे है, और आरा मशीनों पर चोरी छिपे जा रहे है। जाटी को किसानों के सुख दुख का साथी एवं खेत की उपजाऊ शक्ति को बढ़ाने वाला वृक्ष माना जाता है।

दक्षिण हरियाणा में विशेषकर महेद्रगढ़ और रेवाड़ी जिलों के रेतीले क्षेत्रों में जाटी नामक पेड़ कभी बहुत अधिक मात्रा में होता था, किंतु अब यह सिमटकर बहुत कम रह गया है। जब भी कोई बड़ा जाटी का पेड़ बनता है, वृक्ष माफिया गिरोह संबंधित किसान के पास जाकर खरीदकर चंद घटों में ही जड़ से उखाड़ ले जाता है। किसानों के लिए जाटी का पेड़ फसल के लिए लाभकारी माना जा रहा है। जाटी के पेड़ के नीचे फसल बेहतर होती है, जबकि अन्य पेड़ के नीचे नहीं। वैसे भी पूर्व में इसे किसानो के घरों में होने वाले उत्सव आदि पर काम में लाया जाता रहा है। अब इसकी संख्या दिनोंदिन घटती जा रही है जिसके चलते पर्यावरण को ही नहीं अपितु किसानों के लिए भी संकट के बादल छाने लगे है। इन वृक्षों को बचाने के लिए विगत वर्षो इस पेड़ की मोटाई के आधार पर इनाम की घोषणाएं भी हुई थी।

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क्या कहते है किसान

किसान राजेंद्र सिंह, सूबे सिंह, कृष्ण सिंह का कहना है कि जब कुकिंग गैस का जमाना नहीं था तो विवाह-शादियों में जाटी पेड़ को काटकर सुखाया जाता था और पकवान बनाने के लिए इसी की लकड़ियों का प्रयोग किया जाता था। जब कभी घर में उत्सव होता था या फिर जलाने के लिए ईधन की जरूरत होती थी तो इसी पेड़ की ओर देखा जाता था। इस पेड़ को बेचा नहीं जाता था, किंतु अब तो कमाई के लिए बेचा जा रहा है।

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क्या कहते है वनस्पति शास्त्री

वनस्पति शास्त्री रवींद्र कुमार का कहना है कि यह पेड़ न केवल किसानों के लिए बेहतर पैदावार का कारण बनता है अपितु इस पेड़ से खाद की पूर्ति होती है। इसके फल एवं पत्ते भी उपयोगी होते है। इस पेड़ से जंगल की हवा में आक्सीजन की पूर्ति होती है किंतु दिनोंदिन इसकी कटाई पर्यावरण के लिए नुकसानदायक साबित हो रही है।

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