हैरान रह जाएंगे देखकर, जमीन का पानी जहरीला कर रहे जिम्‍मेदार Panipat News

बाड़ ही खेत को खाए तो कौन बचाए ऐसा ही है यहां पानी का हाल। सीईटीपी की दस साल बाद सफाई पीसीबी से अनुमति तक नहीं ग्रीन बेल्ट में छोड़ रहे जहरीली गाद।

By Ravi DhawanEdited By: Publish:Sun, 30 Jun 2019 11:17 AM (IST) Updated:Sun, 30 Jun 2019 11:19 AM (IST)
हैरान रह जाएंगे देखकर, जमीन का पानी जहरीला कर रहे जिम्‍मेदार Panipat News
हैरान रह जाएंगे देखकर, जमीन का पानी जहरीला कर रहे जिम्‍मेदार Panipat News

पानीपत [जगमहेंद्र सरोहा]। जिस प्लांट पर रसायनयुक्त पानी को साफ करने का जिम्मा है, वहीं से ही पानीपत की जमीन को जहरीला बनाया जा रहा है। वो भी छिपकर नहीं, सरेआम। सेक्टर-29 पार्ट-2 स्थित कॉमन इंफ्ल्यूंट ट्रीटमेंट प्लांट-वन (सीईटीपी) की सफाई के नाम पर  जहरीले तत्वों को ग्रीन बेल्ट में डाला जा रहा है। केंद्रीय और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का इस तरफ कोई ध्यान नहीं है। सीईटीपी को करीब एक महीने के लिए ब्रेक डाउन किया गया है। 

दैनिक जागरण की टीम मौके पर पहुंची। यहां करीब आठ इंच मोटे पाइप से जहरीला पानी को बाहर ग्रीन बेल्ट में छोड़ा जा रहा था। टीम ने मामले को गंभीरता से लेते हुए इसके ग्राउंड तक पहुंची। सीईटीपी पर तैनात कर्मी जहरीली गंदगी को बाहर निकाल रहे थे। 

यह है सच 
सीईटीपी से जहरीली गंदगी निकालने के लिए आठ इंच का मोटा पाइप लगाया गया है। शनिवार सुबह ग्रीन बेल्ट पूरी तरह से भर जाने के बाद इसके आगे पाइप जोड़कर दूसरी तरफ गंदगी डालनी शुरू कर दी। 

सीईटीपी से मैदान में जाता पानी। 

एचएसवीपी की लापरवाही आई सामने 
सेक्टर-29-टू में 2009 में सीईटीपी-1 शुरू किया था। इसकी क्षमता 21 एमएलडी (दो करोड़ दस लाख लीटर रोजाना) तकनीकी जानकारों के अनुसार सीईटीपी की पांच साल में बड़े स्तर पर सफाई होनी चाहिए। प्राधिकरण के अधिकारियों ने इस तरफ कोई ध्यान नहीं दिया। अब 10 साल हो गए हैं। अधिकारियों ने आनन-फानन इसकी सफाई शुरू करा दी। केमिकल युक्त गंदगी को निकालकर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाना होता है। प्राधिकरण के अधिकारियों व ठेकेदार ने इस तरफ कोई ध्यान नहीं दिया। 

सीईटीपी से निकाला जा रहा पानी/ 

सीईटीपी की इसलिए पड़ी जरूरत 
सेक्टर 29 पार्ट 2 डाइंग सेक्टर है। यहां पर करीब 300 डाई यूनिट हैं। केमिकल युक्त पानी निकलता है। इससे जमीनी पानी लगातार खराब होता जा रहा है। इस पानी को ट्रीट करने के लिए 2009 में सीईटीपी लगाया गया। सेक्टर में यूनिटों के बढऩे से पानी की मात्रा भी बढ़ गई। हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण ने 48 करोड़ की लागत से एक नया सीईटीपी सेक्टर-29-टू में लगाया है। यह ट्रायल पर चल रहा है। अधिकारियों की माने तो 30 से 35 एमएलडी पानी हर रोज सीईटीपी में पहुंचता है।  

रसायनयुक्‍त पानी की वजह से पेड़ की जगह ठूंठ ही रह गए। 

सीईटीपी का यह है काम 
इंडस्ट्री से निकलने वाले पानी में जहरीले पदार्थ होते हैं। इसके लगातार संपर्क में रहने से जमीन बंजर हो सकती है। दूसरा इंडस्ट्री से निकलने वाला पानी सीधा यमुना में पहुंच रहा है। सीईटीपी में अलग-अलग चरण से पानी को साफ किया जाता है। 

सीईटीपी से निकल रहा पाइप। 

प्लांट इंचार्ज बोला, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से अनुमति ली है 
सीईटीपी-प्रथम के प्लांट इंचार्ज जितेंद्र का कहना है कि सीईटीपी की सफाई की जा रही है। उनके पास गंदगी को बाहर डालने के सिवाय कोई रास्ता नहीं है। इसकी सफाई हर पांच साल में की जानी होती है। इसमें करीब 10 साल लग गया है। कंपनी और एचएसवीपी ने इसकी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से अनुमति ली है। 

सीधी बात : अब्दुल रहमान, डायरेक्टर, रहमान बिल्डर्स प्रा. लिमिटेड 
सवाल : क्या सीईटीपी-वन को सफाई के लिए शट डाउन किया गया है?
जवाब :  टैंकों की सफाई के चलते ब्रेक डाउन पर लिया गया है। 

सवाल : इसमें कितना समय लग जाएगा?
जवाब : पांच से सात दिन में टैंकों की सफाई कर दी जाएगी। 

सवाल : टैंकों की सफाई की जरूरत क्यों पड़ी? 
जवाब : एचएसवीपी सीईटीपी में किसी तरह की अपग्रेडेशन करना चाहता है। इससे पहले टैंकों की सफाई जरूरी बताया है। 

सवाल : ऐसे में इंडस्ट्री से निकलने वाला पानी कैसे ट्रीट हो पाएगा?
जवाब : सीईटीपी-टू में कुछ पानी डायवर्ट किया है। बाकी सीईटीपी-वन का एक पार्ट वर्किंग में है। 

सवाल : आप ग्रीन बेल्ट में जहरीले पदार्थों को डाल रहे हैं, क्या इसकी परमिशन ली गई है?
जवाब : सीईटीपी के अंदर गंदगी निकालने के लिए जगह नहीं थी। इसको बाहर ही निकाला जा रहा है। मैं कल या परसों ही इसको उठवा दूंगा। 

सीधी बात : जगमाल, एक्सईएन, एचएसवीपी। 
सवाल : सीईटीपी-वन से जहरीला पानी बाईपास किया जा रहा है। यह कितना सही है? 
जवाब : सीईटीपी-वन से इंडस्ट्री से आने वाला पानी बाईपास नहीं किया जा रहा और न ही इसको बाईपास किया जा सकता है।

सवाल : जागरण टीम ने पानी बाहर निकालते खुद देखा है और इसके फोटो भी हैं। 
जवाब : वह पानी नहीं, बल्कि स्लज है। इसी कीचड़ की सफाई की जा रही है। उसी को बाहर निकाला जा रहा है।

सवाल : सीईटीपी के कर्मी तो इसको ग्रीन बेल्ट में डाल रहे हैं। इससे तो पूरी ग्रीन बेल्ट ही खत्म हो रही है। 
जवाब : इसको ग्रीन बेल्ट से उठवा दिया जाएगा। दूसरी टीम इस काम को प्रमुखता के साथ करेगी। 

सवाल : क्या इसके लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से अनुमति ली गई है?
जवाब : मुझे इसकी जानकारी नहीं है। मैं संबंधित ठेकेदार से बात करता हूं। 

सवाल : आप और आपका ठेकेदार पानी को जहरीला बनाकर लोगों की ङ्क्षजदगी के साथ खेल रहे हैं। क्या पर्यावरण के साथ खिलवाड़ नहीं कर रहे। 
जवाब : नहीं, ऐसा कुछ नहीं है। हम जल्द ही इसको हटवा देंगे। 

भूपेंद्र सिंह चहल, आरओ, हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड। 
सवाल : क्या एचएसवीपी के सीईटीपी-1 की सफाई करने की अनुमति दी गई है?
जवाब : नहीं, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से इस तरह की कोई अनुमति नहीं दी गई। 

सवाल : सीईटीपी का इंचार्ज अनुमति लेने की बात क्यों कह रहा है? 
जवाब : यह बात वही बता सकता है या फिर एचएसवीपी के अधिकारी बताएंगे।

सवाल : आप इसमें क्या कार्रवाई करेंगे? 
जवाब : इसका मौका देखकर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। 

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