वोट बैंक की राजनीति ने किया लैंड मोरगेज बैंक का बंटाधार

हरियाणा राज्य कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (लैंड मोरगेज) की खस्ताहालत

By JagranEdited By: Publish:Tue, 17 Jul 2018 11:58 AM (IST) Updated:Tue, 17 Jul 2018 11:58 AM (IST)
वोट बैंक की राजनीति ने किया लैंड मोरगेज बैंक का बंटाधार
वोट बैंक की राजनीति ने किया लैंड मोरगेज बैंक का बंटाधार

जेएनएन, पानीपत : हरियाणा राज्य कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (लैंड मोरगेज) की खस्ताहालत के लिए कर्मचारियों की कार्यप्रणाली के साथ राजनीतिक दलों की वोट बैंक की राजनीति भी जिम्मेदार रही है। सभी पार्टियों के राजनेताओं ने वोट लेने के लिए किसानों को बार-बार ऋण माफी के प्रलोभन दिए। इससे समय पर लोन भरने वाले किसान भी किनारा करते चले गए और धीरे-धीरे बैंक दिवालिया होता चला गया।

किसानों को साहूकारों से मुक्ति दिलाने के लिए अंग्रेजों के समय बनाया गया लैंड मोरगेज बैंक 1987 तक ठीक चल रहा था। 1987 में मुख्यमंत्री बने चौ. देवीलाल ने पहली बार चुनाव में घोषणा की थी कि सत्ता में आने के बाद किसानों का लोन माफ किया जाएगा। यही वह मौका था, जिसके बाद बैंक के हालात बिगड़ते चले गए। जो किसान समय पर लोन और ब्याज की अदायगी करते थे, उन्होंने भी माफी के लालच में लोन भरना बंद कर दिया और रिकवरी बढ़ती चली गई। हालांकि देवीलाल ने सत्ता में आने पर सिर्फ ट्रैक्टरों का दस हजार रुपये लोन माफ किया था, जबकि बैंक किसानों को कई श्रेणियों में लोन देता है। इससे किसानों की तरफ बकाया राशि बढ़ती गई और वह डिफाल्टर होते चले गए। इसके बाद 1991 में भजनलाल ने भी लोन माफी को सत्ता हासिल करने का टॉनिक मानते हुए यही नारा दिया। 2005 में मुख्यमंत्री बने भूपेंद्र ¨सह हुड्डा ने 2007 में लोन माफ किया, लेकिन डेयरी, पोल्ट्री या छोटे कारोबार के लिए लोन लेने वालों को छोड़ दिया। बैंक के लिए सबसे अच्छी स्कीम 2013 में केंद्र सरकार लेकर आई थी, जब आधा ब्याज भरने पर आधा सरकार अदा करती थी। इससे काफी रिकवरी भी हुई थी। लैंड मोरगेज बैंक के कर्मचारी कहते हैं कि राजनेता किसानों को लोन माफी का लालच नहीं देते तो आज बैंक की हालत इतनी खराब नहीं होती।

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--6 हजार किसानों पर 150 करोड़ बकाया

जींद जिले में ही लैंड मोरगेज के करीब छह हजार डिफाल्टर किसान हैं। इन किसानों की तरफ करीब 150 करोड़ की राशि बकाया है। इसमें करीब 87 करोड़ रुपये तो ब्याज के ही हैं। खास बात यह है कि लैंड मोरगेज बैंक साल में सिर्फ एक बार साधारण ब्याज लगाता है। अन्य बैंकों की तरह चक्रवृद्धि यानि ब्याज पर ब्याज नहीं लगाया जाता। सरकारों ने कई बार ब्याज तो माफ किया, लेकिन रिकवरी के प्रति उदासीनता बरती।

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--.. तो कहां जाएगा छोटा किसान

किसान नेता रामफल कंडेला कहते हैं कि प्रदेश में लैंड मोरगेज ही एकमात्र ऐसा बैंक है, जो छोटे किसानों को भी लोन देता है। इस बैंक से ढाई एकड़ से लेकर चार कनाल तक के छोटे किसानों को भी लोन दिए गए हैं। बैंक की तरफ से डेयरी, पोल्ट्री, बागवानी, भूमि समतल कराने, ट्रैक्टर-ट्रॉली, ट्यूबवेल, झोटा रेहड़ी, बकरी पालन आदि के लिए लोन दिया जाता है। सरकार जिस तरह दूसरी बैंकों में पूंजी लगा रही है, इसी तरह लैंड मोरगेज को भी मदद देनी चाहिए।

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-- अफसरों से छीनी वारंट की पावर

बैंक के अधिकारी कहते हैं कि पहले कोआपरेटिव सोसायटी के रजिस्ट्रार को डिफाल्टरों को गिरफ्तार करने के लिए कोआपरेटिव सोसायटी एक्ट 1984 के सेक्शन 104 के तहत वारंट की पावर थी। लेकिन बाद में इसे भी खत्म कर दिया। इससे किसानों का डर खत्म हो गया। रिटायर्ड बैंक मैनेजर दिलबाग ढांडा कहते हैं कि किसी किसान की जमीन कुर्क नहीं की गई। बैंक का मकसद किसानों की मदद करना था। लेकिन वारंट का डर भी खत्म होने से रिकवरी पूरी तरह ठप हो गई।

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--ऐसे सुधर सकती है सेहत

लैंड मोरगेज बैंक के अधिकारी कहते हैं कि सरकार को कुछ नए कदम उठाने होंगे, तभी बैंक की हालत सुधरेगी। अभी तक बैंक सिर्फ लोन देते हैं। आर्थिक सेहत सुधारने के लिए डिपोजिट सिस्टम, इम्पलोई लोन, हाउस लोन, क्रेडिट कार्ड सिस्टम शुरू करना होगा। अभी तक जिस डिफाल्टर की मौत हो जाती है कि विरासत का इंतकाल बच्चों के नाम ट्रांसफर हो जाता है। ऐसा नियम हो कि जब तक लोन न भरा जाए, तब तक जमीन ट्रांसफर नहीं होनी चाहिए।

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