रेलवे की लापरवाही: चार साल तक कालका स्टेशन पर पड़ी रही तिजोरी, खुली तो निकले नोटबंदी से पहले के नोट

25 अक्टूबर 2016 को दिल्ली से अंबाला के लिए पैसेंजर ट्रेन नंबर 54303 में तिजोरी रखी गई थी लेकिन इसे अंबाला के बजाय कालका में उतारा गया। इस तिजोरी के बारे में तब पता चल जब नोटबंदी हो चुकी थी। इससे तिजोरी में रखे नोट बेकार हो गए।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Fri, 12 Feb 2021 07:15 PM (IST) Updated:Sat, 13 Feb 2021 07:28 AM (IST)
रेलवे की लापरवाही: चार साल तक कालका स्टेशन पर पड़ी रही तिजोरी, खुली तो निकले नोटबंदी से पहले के नोट
नोटबंदी से पहले के 1000 व 500 रुपये के नोट। सांकेतिक फोटो

अंबाला [दीपक बहल]। नई दिल्ली से अंबाला रेलवे स्टेशन का कैश लेकर अंबाला पहुंची कैश सेफ (तिजोरी-36904) पैसेंजर ट्रेन से वहां उतारी ही नहीं गई और कालका पहुंच गई। यह तिजोरी कालका रेलवे स्टेशन पर कई महीने पड़ी रही। इस बीच, नोटबंदी हो गई। कई महीने बाद अधिकारियों को तिजोरी की याद आई। उसे खोला गया तो उसमें रखे पांच सौ और हजार रुपये के नोट बेकार हो चुके थे।

सितंबर 2020 के इस प्रकरण की जांच के लिए अंबाला मंडल के अधिकारियों से भी जवाब-तलब किया गया है। इस बात की जांच की जा रही है कि अंबाला छावनी रेलवे स्टेशन पर पार्सल विभाग में किस-किस कर्मचारी की ड्यूटी थी। 25 अक्टूबर 2016 को दिल्ली से अंबाला के लिए पैसेंजर ट्रेन नंबर 54303 में तिजोरी रखी गई थी। छोटे रेलवे स्टेशनों से बुकिंग, पार्सल आदि का कैश इस तिजोरी में सील कर डाल दिया जाता था। गार्ड के पास एंट्री करने वाले कर्मचारी के हस्ताक्षर होते थे और यह तिजोरी सभी स्टेशनों का कैश जुटाने के बाद दिल्ली पहुंच जाती थी।

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दिल्ली में अधिकारियों की मौजूदगी में इसे खोलकर कैश जमा कराया जाता था। 25 अक्टूबर को चली तिजोरी अंबाला नहीं उतरी, बल्कि कालका पहुंच गई। कई महीनों बाद नींद से जागे अधिकारियों को जब पता चला कि दिल्ली से अंबाला के बीच जिन स्टेशनों का कैश तिजोरी में डाला गया था, वह जमा ही नहीं हुआ। तिजोरी की तलाश की गई तो कालका स्टेशन पर मिल गई। इसमें करीब तीन लाख रुपये कैश बताया जा रहा है, लेकिन 500-1000 रुपये के नोट बेकार हो चुके हैं।

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दो क्विंटल वजनी है तिजोरी, चाबी दिल्ली के कर्मियों के पास

लगभग दो क्विंटल वजनी इस तिजोरी की चाबी दिल्ली के कर्मचारियों के पास होती है। ट्रेन में तिजोरी रखने के बाद जो भी कर्मचारी इसमें कैश डालता है, वह बकायदा उसकी एंट्री गार्ड के पास करता है। तिजोरी को उतारने और ट्रेन में चढ़ाने के लिए भी चार कर्मचारियों की जरूरत होती है।

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दिल्ली मंडल से जुड़ा है प्रकरण : सीनियर डीसीएम

सीनियर डीसीएम (वरिष्ठ मंडल वाणिज्यिक प्रबंधक) हरि मोहन ने कहा कि यह प्रकरण दिल्ली मंडल से जुड़ा है। कैश सेफ में दिल्ली मंडल के स्टेशनों का कैश था। अंबाला में गार्ड ने कैश सेफ उतारने के लिए नहीं कहा था, जिस कारण तिजोरी कालका पहुंच गई थी। गार्ड की जिम्मेदारी तय की गई है, क्योंकि गार्ड ने न ही अंबाला और न ही कालका में कैश सेफ उतारने की बात कही।

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