ट्रेन में हुई ट्रेजडी ने संदीप को बनाया ड्रैग फ्लिकर का 'सूरमा'

कई बार कुछ हादसे किसी व्यक्ति को एक नई पहचान दे जाते हैं। पूर्व हाकी कप्तान ओलंपियन संदीप सिंह के साथ भी ऐसा ही हुआ।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 13 Jul 2018 04:21 PM (IST) Updated:Fri, 13 Jul 2018 04:21 PM (IST)
ट्रेन में हुई ट्रेजडी ने संदीप को बनाया ड्रैग फ्लिकर का 'सूरमा'
ट्रेन में हुई ट्रेजडी ने संदीप को बनाया ड्रैग फ्लिकर का 'सूरमा'

जतिन्द्र ¨सह चुघ, शाहाबाद

कई बार कुछ हादसे किसी व्यक्ति को एक नई पहचान दे जाते हैं। एक ऐसे ही ट्रेन सफर के दौरान हुए हादसे ने ड्रैग फ्लिकर पेनल्टी कॉर्नर एक्सपर्ट संदीप को सूरमा बना दिया जिंदगी और मौत से लड़कर संदीप ने न सिर्फ जिंदगी की जीत हासिल की, बल्कि संघर्षो के बीच एक नए खिलाड़ी को दुनिया के सामने आदर्श के रूप में खड़ा गया। कुरुक्षेत्र शाहाबाद के रहने वाले हॉकी खिलाड़ी संदीप सिंह के जीवन पर आधारित मूवी सूरमा शुक्रवार को रिलीज हो रही है। सूरमा यानी संदीप की भूमिका में अभिनेता दिलजीत दोसांझ भी उनके संघर्ष को सराहते नहीं थकते। भारत को ओलंपिक क्वालीफाई की टिकट दिलाने वाले संदीप ¨सह का कहना है कि यह घटना उनके जीवन को नया मोड़ दे गई। नये अनुभव से उन्होंने न सिर्फ हॉकी मैदान में फिर से शोहरत हासिल की बल्कि अपने व अपने परिवार की जीवनशैली को बदल दिया। संदीप इस फिल्म को देखने के लिए परिवार सहित मुंबई पहुंच गए हैं।

ऐसे हुई थी घटना

इस मूवी के मौके पर संदीप सिंह के जीवन की कहानी दोहराई जानी स्वाभाविक थी। संदीप ¨सह ने बताया कि 10 वर्ष पूर्व 22 अगस्त 2006 को वह अपने भाई विक्रम ¨सह के साथ चंडीगढ़ के रेलवे स्टेशन पर पहुंचे। जहां से शताब्दी एक्सप्रेस में उन्हें दिल्ली जाना था। वहां से व‌र्ल्ड कप के लिए जर्मनी की फ्लाइट पकड़नी थी। इस सफर में उनके साथ राजपाल भी थे। संदीप ने बताया कि जब ट्रेन शाहाबाद के गांव धीरपुर के पास पहुंची तो उन्हें लगा कि जैसे ट्रेन में कोई धमाका हुआ है। महसूस हुआ कि किसी ने जैसे उनकी पीठ पर गर्म लोहे की रॉड घोंप दी हो। कुछ पल में खून फैलता दिखा। उन्हें पता चला कि रेलवे सब इंस्पेक्टर से सर्विस रिवाल्वर साफ करते एक गोली चली जो उनके कूल्हे में लग गई है। ट्रेन कुरुक्षेत्र स्टेशन पर पहुंची तो उन्हें स्ट्रेचर से एंबुलेंस में शिफ्ट कर चंडीगढ़ ले जाया गया।

मैं और मेरे परिवार ने हौसला नहीं हारा

संदीप ¨सह ने बताया कि व्हीलचेयर पर बैठने के बाद वह हमेशा सोचते की अब शायद वह हॉकी स्टिक लेकर मैदान में नहीं उतर पाएंगे। परिवार वालों ने साथ दिया और व्हीलचेयर में बैठे-बैठे हॉकी स्टिक थामी। बड़े भाई विक्रम के साथ चेयर पर बैठे हुए ही हॉकी स्टिक के साथ बॉल को पुश करते थे। इसी हौसले को कायम रखते हुए जल्द मैदान में वापसी की। साल 2008 में सुल्तान अजलान शाह चैंपियनशिप में आठ गोल करके बेस्ट स्कोरर का अवार्ड हासिल किया। साल 2009 में सुल्तान अजलान शाह चैंपियनशिप में उन्हें भारतीय टीम का कप्तान बनाया गया और इस चैंपियनशिप में भी लाजवाब प्रदर्शन किया।

ओलंपिक खेलने वाले सबसे कम उम्र के खिलाड़ी

संदीप ¨सह ने वर्ष 2004 में ओलंपिक खेलने वाले सबसे कम 17 वर्षीय उम्र के खिलाड़ी थे। यह खास बात है कि संदीप ¨सह की बदौलत ही भारतीय टीम को ओलंपिक का टिकट मिला था। ओलंपिक क्वालीफाई मुकाबले के दौरान संदीप ¨सह ने कुल 16 गोल किए थे जिसकी बदौलत टीम इंडिया को ग्रीक ओलंपिक का टिकट मिला। संदीप ¨सह चीन की दीवार ध्वस्त करने के उद्देश्य के साथ ड्रेग फिल्क लगाते थे और अत्याधिक पेनल्टी कार्नर को गोल में तब्दील करने का दम रखते हैं। इसके अलावा 70 मीटर से ज्यादा का स्कूप करने वाले भी संदीप अकेले ही खिलाड़ी हैं।

हरियाणा सरकार ने बनाया डीएसपी, नवाजा अर्जुन अवार्ड से

हरियाणा सरकार ने संदीप ¨सह को हरियाणा पुलिस में डीएसपी बनाया और उन्हें अर्जुन अवार्ड से पुरस्कृत किया।

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