आपके कुत्ते ने किसी को काटा तो खैर नहीं, विश्वास नहीं तो इसे पढ़ें

आपका पालतू कुत्ता है। यह खतरनाक भी है। तो इसे बांध कर रही रखें या लोगों से दूर रखें। अगर इसने किसी को भी काट लिया तो आपकी खैर नहीं है। एक ऐसा ही मामला सामने आया है।

By Ravi DhawanEdited By: Publish:Thu, 22 Nov 2018 06:00 PM (IST) Updated:Sun, 25 Nov 2018 06:39 PM (IST)
आपके कुत्ते ने किसी को काटा तो खैर नहीं, विश्वास नहीं तो इसे पढ़ें
आपके कुत्ते ने किसी को काटा तो खैर नहीं, विश्वास नहीं तो इसे पढ़ें

पानीपत/अंबाला [अवतार चहल]। पालतू कुत्ते के काटने पर सजा का प्रावधान है। क्या? जी हां। ये बिल्कुल सही है। हालांकि ये सजा कुत्ते को नहीं बल्कि उसके मालिक को होगी। है न हैरान कर देने वाली खबर। पालतू कुत्ते के काटने पर मालिक को सजा भुगतना पड़ रहा है। आखिर ऐसा क्या है मामला, जनने के लिए पढि़ए ये खबर।

अंबाला के इतिहास में पहली बार पालतू कुत्ते के मालिक को कोर्ट ने दोषी करार देते हुए तीन माह की सजा सुनाई है। कुत्ते ने जसपाल नर्सिंग के संचालक डॉ.डीएस जसपाल को काट लिया था, जिससे डॉक्टर ही नहीं बल्कि अस्पताल में उपचार करवा रहे मरीजों को भी परेशानी का सामना करना पड़ा। 

डेढ़ माह से परेशान रहा पीडि़त
डॉ. जसपाल करीब डेढ़ माह तक परेशान रहे। भले ही इंजेक्शन से इलाज तो हो गया, लेकिन आज भी कुत्ते के काटने के निशान टांग पर हैं। अंबाला शहर की बलदेव नगर पुलिस ने 2 मई 2017 को कुत्ते के मािलक के खिलाफ मामला दर्ज किया था। 

डेढ़ साल की कानूनी लड़ाई
करीब डेढ़ साल की कानूनी लड़ाई के बाद डॉ.जसपाल को इंसाफ मिला और कुत्ते के मालिक को दोषी करार दिया गया, हालांकि रोहित गुप्ता को 15 हजार रुपये के बाउंड पर अदालत ने छोड़ दिया, लेकिन यह मामला उनके लिए भी इसके लिए सब बनकर रह गया है। 

हुआ था कुछ ऐसा
मॉडल टाउन में जसपाल नर्सिग होम है, जिसके संचालक डॉ.जसपाल 1 मई को अपने अस्पताल की एक बिल्डिंग से दूसरी बिल्डिंग में जा रहे थे। जब वह सड़क पर पहुंचे तो पड़ोसियों का कुत्ता गेट से निकल कर डॉक्टर की ओर आया और उनकी टांग पर काट लिया। इतना ही नहीं डॉ. की टांग से मांस भी नोच ले गया। इस दौरान पड़ोसी रोहित गुप्ता अपनी गाड़ी में बैठे हुए थे। उन्होंने घटना को देखने के बाद भी कुत्ते को हटाया नहीं। कुत्ते का मालिक गाड़ी से निकल कर अपने घर चला गया और कुत्ते को भी ले गया। मौके पर डॉक्टर के साथ हमदर्दी जताना भी उचित नहीं समझा। पड़ोसी के इस रवैये से डॉक्टर ने पुलिस को मामले की शिकायत दे दी। 

अदालत में चला मामला
डॉक्टर के केस करने के बाद मामला अदालत में विचाराधीन हो गया। पुलिस ने अदालत में चालान पेश किया। करीब 15 तारीख भी लगी। दूसरी ओर डाक्टर को रेवीपुर के पांच इंजेक्शन लगवाने पड़े। अदालत ने मामले में डेढ़ साल बाद साक्ष्यों के आधार पर सजा सुना दी। डाक्टर जसपाल ने बताया उनका केस करने का उदेश्य सबक सिखाना था, ताकि कोई पालतू जानवरों के मामले में लापरवाह न हो। 

कुत्ते का आतंक, नगर निगम के अफसर बेपरवाह
पालतू या फिर कुत्तों के मामले काटने के रोजाना सामने आ रहे हैं। पीडि़त इंजेक्शन लगवाकर ही इस नजरअंदाज कर देते हैं। जबकि कानून की बात की जाए तो पालतू कुत्तों के काटने पर जहां मालिक की जिम्मेदारी है, वहीं कुत्तों के काटने पर भी नगर निगम की जिम्मेदारी है। पशुओं की तर्ज पर कुत्तों को भी पकडऩे का टेंडर नगर निगम को देना चाहिए, लेकिन वह अपनी जवाबदेही से बच रहे हैं। यही कारण है कि कुत्तों के आतंक से हर वर्ग के लोग दुखी हैं, लेकिन नगर अधिकारी हाथ पर हाथ धरकर बैठे हैं। ताज्जुब की बात यह है कि कुत्तों की संख्या दिन पर दिन बढ़ती जा रही है।

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