नगर निगम में टेंडर घोटाला, पर्दाफाश होते ही कई अधिकारी अंडरग्राउंड

नगर निगम पानीपत में 1.98 करोड़ का टेंडर घोटाला हुआ है। ये आरोप पूर्व मेयर भूपेंद्र सिंह और मेयर अवनीत कौर ने लगाए हैं। कंपनी को 21 फीसद प्रॉफिट पर वर्क ऑर्डर दिया गया।

By Anurag ShuklaEdited By: Publish:Wed, 05 Jun 2019 01:40 PM (IST) Updated:Wed, 05 Jun 2019 01:42 PM (IST)
नगर निगम में टेंडर घोटाला, पर्दाफाश होते ही कई अधिकारी अंडरग्राउंड
नगर निगम में टेंडर घोटाला, पर्दाफाश होते ही कई अधिकारी अंडरग्राउंड

पानीपत, जेएनएन। नगर निगम में टेंडरों का घोटाले का पर्दाफाश हुआ है।  1.98 करोड़ का टेंडर घोटाला है। अधिकारियों ने एक सरकारी टीचर के भाई की शिव शक्ति कंस्ट्रक्शन कंपनी को 21 फीसद प्रॉफिट में टेंडर जारी कर दिया। जबकि इसी के साथ लगाए दूसरे टेंडर तय रेट से भी 10 फीसद घाटे में छोड़े गए हैं। लोकसभा चुनाव से पहले लगाए टेंडर को एक दिन में सात बार री-शेड्यूल किया गया। 

निगम अधिकारी ऐसा कर कंपनी के सहारे 60 लाख रुपये डकारने की तैयारी में थे। हालांकि अधिकारियों ने उसी वक्त मामला बढ़ते देख वर्क ऑर्डर कैंसिल कर दिया था। टेंडर ब्रांच के डीसी रेट पर नियुक्त मुख्य कर्मी संजय वर्मा को हटा दिया था। मेयर अवनीत कौर ने इस मामले को पकड़ लिया। घोटाला उजागर होते ही निगम के कई अधिकारी अंडर ग्राउंड हो गए। कमिश्नर भी फोन तक नहीं उठा रही। 

 

इस बार मेयर को पीछे कर पिता आगे आए
इस बार मेयर अवनीत कौर नगर निगम के घोटाले को उजागर करने में पीछे रही। उनके पिता पूर्व मेयर भूपेंद्र सिंह सामने आकर मीडिया के सामने घोटाले के सारे सबूत रखे। भूपेंद्र सिंह को चार दिन पहले ही भाजपा जिला कार्यकारिणी में शामिल किया है। मेयर एक सप्ताह में अधिकारियों के खिलाफ धरने पर बैठ जाएगी। 

लोकसभा चुनाव के दौरान किया घोटाला 
पूर्व मेयर भूपेंद्र सिंह ने आरोप लगाया कि नगर निगम में एक्सइएन उमर फारुख के डोंगल से 21 फरवरी को 48 करोड़ के टेंडर लगाए गए थे। इनमें से वार्ड-5 में गलियों व नालियों के 1.98 करोड़ के टेंडर को अलग कर दिया। टेंडर भरने की आखिरी तारीख सात मार्च थी और आठ मार्च को ऑपन करने थे। यह  शिव शक्ति कंस्ट्रक्शन कंपनी को 21 प्रतिशत प्रोफिट में चला गया। एक्सईएन उमर फारुख और एसई रमेश कुमार ने पावर के बाद भी रेट कम नहीं किए और कंपनी को उसी रेट में वर्क ऑर्डर कर दिया। उनका आरोप है कि इस मामले में निगम का जेई, एमई, एक्सईएन, एसई और कमिश्नर तक संलिप्त हैं। अधिकारी दूसरे टेंडरों के बराबर रेट में देते तो सरकार को 60 लाख फायदा होता। 

350 करोड़ के सब कामों की जांच की मांग 
पूर्व मेयर ने बताया कि नगर निगम ने मौजूदा सरकार के कार्यकाल में 350 करोड़ रुपये विकास कार्यों पर खर्च किए हैं। दूसरे कामों में भी गड़बड़ी की बू आ रही है। वह सरकार से सब कामों की विजिलेंस या इससे भी बड़ी एजेंसी से जांच कराने की मांग करेगा। 

सात और कामों में गड़बड़ी के आरोप 
भूपेंद्र सिंह ने आरोप लगाया कि 1.98 करोड़ का घोटाला तो अधिकारियों की गड़बड़ी का ट्रेलर है। उन्होंने शक के आधार पर सात कामों में भी इसी तरह से गड़बड़ी की है। शक के आधार पर आईडी नंबर 103666, 103655, 103660, 103644, 119029, 119030 और 119166 की डिटेल मांगी है। मेयर अवनीत कौर ने इन कामों की डिटेल लेने के लिए कमिश्नर को कई बार पत्र लिखे। वे हर बार उनको टालती रही है। अब बाकी कामों की भी डिटेल नहीं दी जा रही। उनके कहने पर भी शिव शक्ति कंस्ट्रक्शन को ब्लैक लिस्ट नहीं किया। जबकि एक अधिकारी ने बताया कि चंडीगढ़ एक कंपनी को इसके लिए लिखा गया है। 

रेवड़ी का पोस्टर दिखाकर बोले सीएम व एमपी इमानदार 
पूर्व मेयर ने विधायक रोहिता रेवड़ी के निगम में भ्रष्टाचार के मामलों की शिकायत करने का पर्चा दिखाकर कहा कि हमारे सीएम और एमपी इमानदार हैं। रेवड़ी का नाम सीएम व एमपी के साथ न लेने के सवाल पर कहा कि ये पर्चे उनकी इमानदारी को दिखाते हैं। मैंने कांग्रेस राज में पूर्व विधायक बलबीर पाल शाह के कहने पर शिव शक्ति कंस्ट्रक्शन को ब्लैक लिस्ट किया था। उस वक्त भी तत्कालीन एसडीसी कंपनी को बचा गए थे। वह शहर का असली चौकीदार है और इसको साबित कर दिखाएंगे। मेयर सीएम के सामने भी निगम में भ्रष्टाचार की शिकायत कर चुकी हैं। 

इस तरह से किया घोटाला 
पूर्व मेयर ने बताया कि अधिकारियों ने 21 फरवरी को टेंडर लगाया था। नियमानुसार उसी समय वेबसाइट पर अपलोड कर आखिरी दिन तक रखना होता है। अधिकारियों ने इसमें चालबाजी की। इसको 23 फरवरी को सायं 4:58 बजे अपलोड किया। इसको दो मिनट बाद ही 5:00 बजे हटा दिया गया। इसको फिर सात मार्च को 11:22 बजे री-शेड्यूल किया और 11:35 बजे हटा दिया। 11:40 पर फिर री-शेड्यूल कर 11:42 बजे क्लोज कर दिया। 11:50 पर री-शेड्यूल कर 12:30 बजे क्लोज किया, एक बजे री-शेड्यूल कर 1:20 पर बंद किया, 1:30 पर री-शेड्यूल कर 3:11 पर फिर बंद कर दिया। चार बजे आखिरी बार री-शेड्यूल कर फिर 4:59 बजे बंद किया। इस दौरान अपनी पसंद की कंपनी का टेंडर लगवा दिया। दूसरे ठेकेदार और कंपनी कंपीटिशन में नहीं आ पाए।

सरकार तक आवाज पहुंचाई फिर भी कुछ नहीं बिगड़ा
मामला नंबर-एक 
मेयर अपनीत कौर ने जेबीएम कंपनी का कूड़ा घोटाला खुद उजागर किया था। उन्होंने नियमानुसार काम न करने पर कंपनी पर 40 लाख रुपये तक जुर्माना लगाए जाने की बात कही थी। उनका आरोप है कि निगम के अधिकारी कंपनी के साथ मिले हुए हैं। उन्होंने कंपनी के खिलाफ मुख्यमंत्री और प्रधान सचिव तक को पत्र लिखा था। इस मामले में कंपनी पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है। जेबीएम एक से सवा करोड़ रुपये हर महीने शहर से ले रही है। 

मामला नंबर-दो
पार्षद दुष्यंत भट्ट ने निगम में 22.50 करोड़ के पार्कों का टेंडर घोटाला उजागर किया था। यह मामला उस वक्त प्रदेशभर में चर्चाओं में रहा था। सीएम ने टेक्नीकल एडवाइजर विशाल सेठ को जांच सौंपी थी। उन्होंने दो दिन और रात को पार्कों की पैमाइश तक की, लेकिन इस मामले में आज तक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी। 

कम रेट की वजह से मिला टेंडर
वार्ड-5 में 1.98 करोड़ की गलियों का टेंडर भरा था। ठेकेदार अपनी लागत को टेंडर में दर्शाता भी है। मैंने लॉस की बजाय फायदे में टेंडर भरा था। मेरी कंपनी को सबसे कम रेट मिलने पर टेंडर मिला था। अधिकारियों ने टेक्नीकल जांच के बाद ही वर्क ऑर्डर दिया था। कमिश्नर ने बाद में वर्क ऑर्डर कैंसिल कर दिया। इसमें गड़बड़ी जैसी कोई बात नहीं है। मैं इससे कम रेट में उक्त काम नहीं कर सकता था। वह कई काम लॉस में भी कर चुका है। अधिकारियों के साथ किसी तरह की मिलीभगत नहीं है। मेरा भाई विवेक पहले ठेकेदारी करता था, लेकिन सरकारी नौकरी के बाद यह सब छोड़ दिया। कंपनी के सारे काम वह खुद देखता है। 
संदीप, प्रोपराइटर, शिव शक्ति कंस्ट्रक्शन। 

 ये भी आरोप
-निगम का सीधे तौर पर 60 लाख रुपये डकारने की थी तैयारी
-मेयर इस बार पीछे रही उनके पिता पूर्व मेयर भूपेंद्र सिंह फ्रंट में आए 
-एक्सईएन के डोंगल पर लगाया था टेंडर 
-निगम ने इसके साथ के 48 करोड़ के अधिकतर टेंडर 10 प्रतिशत माइनस में दिए
-चार दिन पहले जिला कार्यकारी में शामिल किए भूपेंद्र पर कई नेताओं का भी दबाव पड़ा 

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