नाग-नागिन के लिए लगने लगा पहरा, ग्रामीणों में दहशत का माहौल
कैथल (Kaithal) के कलायत के माडल गांव ढूंढवा में नाग नागिन का जोड़ा सामने आने पर दहशत फैल गई। ग्रामीणों ने ठीकरी पहरा लगाना शुरू कर दिया। फिर रात को अचानक सांप दिखाई दिया। स्नैक कैप्चर को बुलाया गया।
कलायत (कैथल), [रणबीर धानियां]। कलायत के माडल गांव ढूंढवा में पिछले करीब एक सप्ताह से नाग-नागिन के जोड़े को लेकर ग्रामीणों में दशहत का माहौल बना था। ग्रामीण इस पक्ष में थे कि इस जोड़े को बिना हानि पहुंचाए काबू कर जीव संरक्षण स्थल पर छोड़ा जाए। इसके तहत बुजुर्गों की निगरानी में युवा अपने स्तर पर पहरा लगाकर महिलाओं, बुजुर्गों व बच्चों की सुरक्षा प्रदान कर रहे थे।
किसान जसवीर के घर के आसपास नाग-नागिन थे। कोई सपेरे की बीन से पिटारे में बंद करने का परामर्श दे रहा था तो कोई झाड़ फूंक वालों की तलाश को कह रहा था। आखिरकार बीच का सुरक्षित रास्ता निकालते हुए इन दिनों हरियाणा व देश के विभिन्न राज्यों में कुशलता से स्नैक कैप्चर का कार्य करने वाले सतीश कुमार को गांव बुलाने का निर्णय लिया गया।
रात में उनका गांव पहुंचना हुआ। इसके बाद बिजली व मोबाइल टार्च की रोशनी में सावधानी पूर्वक युवाओं के सहयोग से सतीश कुमार ने रेस्क्यू आपरेशन शुरू किया। घंटों की मशक्कत के बाद सतीश ने अपनी टीम के सहयोगियों के साथ नाग-नागिन के जोड़े को खोज निकाला।
कोबरा सर्प की संभावना को ध्यान में रखते हुए वे एक हाथ में दस्ताना डाले थे तो दूसरे हाथ में छड़ी थामे थे। जैसे ही उनकी नजर जोड़े पर पड़ी तो उन्होंने युवाओं को दूर रहते हुए शोर न करने की हिदायत दी। अपने सालों के तुजुर्बे के साथ नाग-नागिन को पकड़ लिया और कपड़े के पिटारे में बंद कर दिया।
उन्होंने कहा कि अधिकांश सर्प किसानों के मित्र हैं। जो पर्यावरण के साथ-साथ उनकी फसलों की बखूबी सुरक्षा करते हैं। काबू किए गए जोड़े को उन्होंने किसान मित्र करार दिया। उन्होंने कहा कि अब वे इस जोड़े को मारने की बजाए जंगल में छोड़ेंगे।
किंग कोबरा है सबसे घातक सर्प
सतीश कुमार ने बताया कि दुनिया का सबसे जहरिला सांप एशिया का किंग कोबरा है। जो समूचे भारत में पाया जाता है इसे काला नाग भी कहते हैं। उनका कहना था कि अमूमन वर्ष में आंकड़ों के मुताबिक 40 हजार से अधिक लोग सर्प दंश से मौत का ग्रास बन जाते हैं। इस भय में अकसर लोग बगैर सर्प की प्रजाति की पहचान किए उस पर हमला कर देते हैं। इस दौरान हादसे घटित होने के मामले भी सामने आते हैं। सांप की करीब 3000 प्रजातियां हैं। बरसात के समय में इन दिनों सर्प दंश की घटनाएं विभिन्न क्षेत्रों में सामने आ रही हैं।
सावधानी हटी तो दुर्घटना घटी
विज्ञान शिक्षक कुलदीप भट्ट ने बताया कि सांपों के काटने से मरने की बजाए अधिक इंसान सांप के काटने के भय में प्राण त्याग देते हैं। जीव वैज्ञानिकों के मुताबिक सांपों का इंसानों पर किए गए हमलों का हर वार शत-प्रतिशत होता है। वर्ष में कम से कम ये तीन मर्तबा अपनी तवचा बदलते हैं। असावधानी का परिचय देते हुए कभी भी सांपों के नजदीक नहीं आना चाहिए। यह जीव नमी अथवा शुष्क मौसम पंसद है।