टीवी पर आने के शौक ने बदल दी जिंदगी, कर रही हर मैदान फतह

करनाल की बेटी अंजली ने वर्ल्ड जूनियर वुशू चैंपियनशिप में सिल्वर पदक जीता। रूस की धरती पर शहर की बेटी की इस जीत से परिवार के लोग उत्साहित हैं।

By Edited By: Publish:Sun, 03 Mar 2019 10:54 AM (IST) Updated:Sun, 03 Mar 2019 04:23 PM (IST)
टीवी पर आने के शौक ने बदल दी जिंदगी, कर रही हर मैदान फतह
टीवी पर आने के शौक ने बदल दी जिंदगी, कर रही हर मैदान फतह

पानीपत/करनाल, [यशपाल वर्मा]। टीवी में दिखने के शौक ने करनाल की बेटी की जिंदगी बदल दी। इस जुनून ने उसे अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी बना दिया। यकीन करना मुश्किल है, लेकिन यह सच है। पिता को विश्वास दिलाकर जब खेल की जंग शुरू की तो आज वह हर मैदान फतह करती गई। हाल में ही करनाल की अंजली ने रूस में हुई वर्ल्ड जूनियर वुशू चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल हासिल किया। 

21 से 28 फरवरी तक रूस में हुई चैंपियनशिप में 47 देशों के खिलाडिय़ों ने हिस्सा लिया। देश के 28 खिलाडिय़ों में प्रदेश से पुलिस डीएवी मधुबन की 11वीं कक्षा की छात्रा अंजली का चयन हुआ।

अर्जुन अवार्डी पूजा कादियान को मानती है आदर्श
झज्जर की रहने वाली वुशू चैंपियन और अर्जुन अवार्डी पूजा कादियान को अंजली अपना आदर्श मानती हैं। पूजा कादियान ने गरीबी से जूझते हुए गोल्ड मेडल जीतकर देश को वुशू में विश्व चैंपियन का दर्जा दिलाया। अंजली का कहना है कि वह भी देश के लिए गोल्ड मेडल हासिल करने का लक्ष्य निर्धारित कर चुकी हैं। 

मजबूत इरादों और किक के दम पर बनी विजेता
अंजली लखेरा ने 56 किग्रा महिलाओं की सांडा श्रेणी में ब्राजील, वियतनाम खिलाडिय़ों को मात दी। 16 खिलाडिय़ों के साथ मुकाबलों में अपने मजबूत इरादों व किक के दम पर दूसरा स्थान हासिल किया। 

तमिलनाडु में हुआ था चयन
तमिलनाडु में आयोजित मुकाबलों के दौरान बेहतर तकनीक के प्रयोग के चलते अंजली का चयन विश्व चैंपियनशिप के लिए कर लिया गया था। 21 फरवरी को रवाना हुई। अंजली का मुकाबले के लिए 22 को वजन हुआ और 23 फरवरी को पहला मुकाबला ब्राजील की खिलाड़ी के साथ हुआ। अंजली ने बताया कि वुशू खेल के दो मुख्य रूप ताउलू और सांडा हैं। खिलाडिय़ों को मार्शल आर्ट पैटर्न और युद्धाभ्यास के आधार पर आंका जाता है और ताउलू में विशिष्ट नियमों के आधार पर अंक दिए जाते हैं। दूसरी ओर, सांडा चीनी मुक्केबाजी का एक आधुनिक रूप है। 

बेटी को आइपीएस बनाने का सपना 
रूस में आयोजित वुशू विश्व जूनियर चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीतकर 4 अप्रैल 2013 को जन्मी अंजली ने करनाल सहित प्रदेश का नाम रोशन किया है। अंजली के पिता झज्जर के गांव ढाकला निवासी महावीर प्रसाद मधुबन स्थित फोरेंसिक लैब में लिपिक के पद पर तैनात हैं और मां संगीता देवी महेंद्रगढ़ के गांव तुरकियावास की रहने वाली हैं। महावीर प्रसाद ने बताया कि प्रदेश में बेटी का मुकाम हासिल करना किसी सपने से कम नहीं है। वह बेटी को खेल के दम पर आइपीएस बनाना चाहते हैं। अंजली की बड़ी बहन गीतांजली की शादी रोहतक में हुई है और छोटा भाई कक्षा 6 का विद्यार्थी है। 

सात को पेपर, तैयारी में जुटी चैंपियनशिप में 
मेडल जीतने के बाद माता-पिता के साथ अंजली स्कूल में रोल नंबर लेने के लिए पहुंची थीं। सात मार्च को अंजली का पेपर है, जिसे तीन दिन में तैयारी करके पास करना है। 

लड़कियों को मेडल पहनते देखा तो बनाया लक्ष्य
अंजली ने बताया कि बचपन में जब टीवी पर लड़कियों को मेडल पहनाते देखती थी तो मेरे मन में भी टीवी पर आने की इच्छा हुई। सफर काफी मुश्किल था, लेकिन माता-पिता के सहयोग से आज यह मुकाम हासिल हुआ है। कोच संदीप गोस्वामी के दिशा-निर्देश में 6 साल में तमिलनाडू में आयोजित नेशनल मुकाबलों में सिल्वर मेडल, कुरुक्षेत्र में जूनियर नेशनल में रजत पदक, भोपाल व पटियाला में इंडिया कैंप में भाग लिया।

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