सात साल बाद दुर्लभ संयोग में मनेगी होली, देवगुरु दिखाएंगे ऐसा असर

रंगों की मस्ती का त्योहार होली इस बार चैत्र कृष्ण प्रतिपदा बृहस्पतिवार 21 मार्च को मनाई जाएगी। इससे एक दिन पहले 20 मार्च को होलिका दहन होगा। होलिका दहन पर खास संयोग बन रहे हैं।

By Anurag ShuklaEdited By: Publish:Sat, 16 Mar 2019 09:35 PM (IST) Updated:Wed, 20 Mar 2019 01:32 PM (IST)
सात साल बाद दुर्लभ संयोग में मनेगी होली, देवगुरु दिखाएंगे ऐसा असर
सात साल बाद दुर्लभ संयोग में मनेगी होली, देवगुरु दिखाएंगे ऐसा असर

पानीपत, जेएनएन। सात साल बाद होली पर्व पर दुर्लभ संयोग बन रहा है। इस बार गुरुदेव बृहस्पति का उच्च प्रभाव रहेगा। इस योग में होलिका दहन और पूजन करने वालों का अनिष्ट नहीं होगा। होलिका दहन पूर्वा फाल्गुन नक्षत्र में होगा। यह शुक्र का नक्षत्र है। इसलिए सूर्य के साथ शुक्र नक्षत्र का भी सकारात्मक फल मिलेगा। शुक्र नक्षत्र जीवन में उत्सव, हर्ष, आमोद-प्रमोद, ऐश्वर्य का प्रतीक है। 

होली पर्व चैत्र कृष्ण प्रतिपदा बृहस्पतिवार को मनाया जाएगा। होलिका दहन 20 मार्च को होगा। ज्योतिषाचार्य पंडित वीरेंद्र शास्त्री ने बताया कि लगभग सात साल बाद देवगुरु बृहस्पति के उच्च प्रभाव में होली बृहस्पतिवार को मनाई जाएगी। वहीं आचार्य पवन शर्मा ने बताया कि इससे मान-सम्मान व पारिवारिक शुभफल की प्राप्ति होगी। उत्तर फाल्गुनी नक्षत्र में होली मनेगी। यह नक्षत्र सूर्य का है। सूर्य आत्मासम्मान, उन्नति, प्रकाशि आद का कारक है। जब सभी ग्रह सात स्थानों पर होते हैं, वीणा योग का संयोग बनता है। इससे गायन-वादन व नृत्य में निपुणता आती है। 

यह रहेगा होलिका दहन का समय 
कॉस्मिक एस्ट्रो व श्री दुर्गा देवी मंदिर पिपली के अध्यक्ष ज्योतिष एवं वास्तु विशेषज्ञ डॉ. सुरेश मिश्रा ने बताया कि इस बार भद्रा काल का समय 20 मार्च 2019 को सुबह 10 बजकर 45 मिनट से शुरू होकर रात 9 बजे तक रहेगा, इसलिए होलिका दहन रात 9 बजे के बाद ही किया जा सकेगा। यह मुहूर्त 11:34 तक रहेगा।

 

इस तरह से करें होलिका पूजन 
भगवान विष्णु पर पीला गुलाब, हल्दी, इत्र चढ़ाएं। हल्दी छिड़ककर स्नान करें और काला तिल, पांच लौंग, गोमतीचक्र होलिका में डालें। 

 

राशि का भी महत्व 

मेष - पीला, लाल, नारंगी वृष - नीला, काला, हरा  मिथुन - हरा, नीला  कर्क - पीला, लाल  सिंह - नारंगी, गुलाबी, पीला कन्या - हरा, नीला  तुला - नीला, काला, हरा  वृश्चिक- लाल, पीला धनु- पीला, लाल मकर - काला, नीला  कुभ - काला, नीला  मीन - पीला, गुलाबी

पंडित देव नारायण तिवारी।

फाल्गुन कृष्ण अष्टमी यानी 14 मार्च से शुरू हो चुका है होलाष्टक
फाल्गुन कृष्ण अष्टमी 14 मार्च से होलाष्टक शुरू हो चुका है, जो आठ दिनों का रहेगा। पंडित देव नारायण तिवारी ने बताया कि होलिका दहन से पहले एक नारियल को ऊपर से काटकर उसका ढक्कन बना लें।  इसमें काले तिल और देशी घी भर लें और कटा हुआ नारियल इस पर रखकर बंद कर दें। इसके बाद मौली अपने सिर से घुमाकर माथे पर लाकर अपनी लंबाई के बराबर इसे काटें और नारियल पर बांध लें। इसके अलावा पांच फूल भी इस पर बांध लें। इसे अपने ऊपर से सात बार घुमाकर होलिका को अर्पण कर दें, लेकिन यह होलिका दहन से पहले करना होगा। इसके अलावा भगवान विष्णु पर पीला गुलाब, हल्दी, इत्र मिलाकर चढ़ाएं, हल्दी छिड़क कर स्नान करने से स्वास्थ्य लाभ होगा, पीले रंग का इस्तेमाल करने से लाभ मिलेगा। 

होलिका पूजा की सामग्री 
गोबर से बनी होलिका और प्रहलाद की प्रतिमाएं, माला, रोली, फूल, कच्चा सूत, साबुत हल्दी, मूंग, बताशे, गुलाल, पांच या सात प्रकार के अनाज जैसे नए गेहूं और अन्य फसलों की बालियां, एक लोटा जल, बड़ी-फुलौरी, मीठे पकवान, मिठाइयां और फल ।

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