पंजाब के राजपुरा-बठिंडा डबल लाइन रेल प्रोजेक्ट घोटाला, रिटायर्ड अधिकारी को बनाया मोहरा, ऐसे रची गई साजिश

पंजाब के राजपुरा-बठिंडा डबल लाइन रेल प्रोजेक्ट में घोटाले का मामला सामने आया है। 1700 करोड़ के प्रोजेक्ट में बढ़ा दी राशि। फिजूलखर्च से भी हुआ राजस्व का नुकसान। यात्रियों की सुरक्षा से भी खिलवाड़। कंपनी को रेल अधिकारी ने लिखा था लेटर। मानकों के विपरीत मिली थी रोड़ी।

By Rajesh KumarEdited By: Publish:Sun, 09 Jan 2022 10:49 AM (IST) Updated:Sun, 09 Jan 2022 10:49 AM (IST)
पंजाब के राजपुरा-बठिंडा डबल लाइन रेल प्रोजेक्ट घोटाला, रिटायर्ड अधिकारी को बनाया मोहरा, ऐसे रची गई साजिश
रेलवे ट्रैक किनारे मानक के विपरीत बिछाई गई रोड़ी।

अंबाला, दीपक बहल। पंजाब के राजपुरा-बठिंडा डबल लाइन रेल प्रोजेक्ट में पटरी के बीच और किनारे बिछाई गई रिजेक्ट रोड़ी की फाइल पर पेमेंट करने के लिए रेल अधिकारियों ने बढ़ते दबाव के बावजूद हस्ताक्षर करने से इंकार कर दिया था। ऐसे में घोटाले को अंजाम देने के लिए एक रिटायर्ड रेल अधिकारी को को मोहरा बनाकर हस्ताक्षर करवाए गए और करोड़ों रुपये के बिल पास करवाए गए। 1700 करोड़ से शुरू करके इसका बजट दो हजार करोड़ से भी अधिक कर दिया गया। रिजेक्ट रोड़ी को लगाना रेलवे की संरक्षा यानी यात्रियों की सुरक्षा से भी खिलवाड़ किया गया।

इस प्रोजेक्ट में सिर्फ घोटाला ही नहीं हुआ बल्कि फिजूलखर्ची कर राजस्व का भी नुकसान किया गया। जिन छोटे स्टेशनों पर 12 डिब्बों की पैसेंजर ट्रेन आती है, वहां पर तीस डिब्बों का प्लेटफार्म तक बना दिया गया। सिर्फ प्लेटफार्म ही नहीं बल्कि बड़े-बड़े ऐसे भवन बना दिए गए, जिनका खास महत्व नहीं है। यही कारण है कि फिजूलखर्ची पर मुख्य संरक्षा आयुक्त (सीआरएस) शैलेश कुमार ने भी निरीक्षण के दौरान अधिकारियों को खरी खोटी सुनाई थी। यह निरीक्षण 17 सितंबर 2021 को पंजाब के राजपुरा दौनकलां रेलवे स्टेशन के रेल लाइन दोहरीकरण पर हुआ था। दैनिक जागरण को मिले दस्तावेजों के मुताबिक रेल विकास निगम लिमिटेड (आरवीएनएल) के एडिशनल जनरल मैनेज (एजीएम) ने रोड़ी के मानक को लेकर सवाल उठाये थे।

रेलवे के मानकों के अनुरूप नहीं थी रोड़ी 

एक जुलाई 2019 को एजीएम ने नोएडा की कंपनी से पत्राचार किया। इस में बताया गया कि दौनकलां रेलवे स्टेशन का निरीक्षण किया गया, जिसमें पाया गया कि जो रोड़ी रखी गई है, वह राउंड शेप में है, जबकि रेलवे के मानकों के अनुरूप नहीं हैं। ऐसे में इस तरह की रोड़ी स्वीकार नहीं की जा सकती। इसके बाद 11 दिसंबर 2019 को रविंद्र सिंह ने प्रोजेक्ट मैनेजर को इसी सेक्शन को लेकर फिर से पत्र लिखा, जिसमें एलसी 12 पर निरीक्षण किया, तो पाया गया कि यहां पर राउंड शेप में रोड़ी है, जो मानकों के अनुसार नहीं है। इसकी कुछ फोटो भी मौके से लिए गए। इस में कहा गया था कि राउंड शेप रोड़ी को हटाकर मानकों के अनुसार बिछाई जानी चाहिए। इसके बाद तीसरा पत्र 12 दिसंबर 2019 को लिखा गया, जिसमें पिछले पत्रों का हवाला दिया गया। इसके बावजूद प्राइवेट कंपनी को रिजेक्ट रोड़ी की पेमेंट करने के लिए आरवीएनएल के अधिकारी मेहरबान रहे।

रिटायर्ड अधिकारी ने किए हस्ताक्षर

मामला सुर्खियों में आ चुका था, इसलिए रिजेक्ट रोड़ी की पेमेंट करने के लिए अधिकारियों ने मना कर दिया। किसी ने यह कह दिया कि उनका सेक्शन नहीं है, तो किसी ने रिजेक्ट रोड़ी की पेमेंट पर आपत्ति उठा दी। ऐसे में रेलवे के एक रिटायर्ड अधिकारी के हस्ताक्षर पर खेल कर दिया गया और कंपनी को पेमेंट हो गई। इस रिटायर्ड अधिकारी को फाइलों पर हस्ताक्षर करने की शक्तियां हैं भी या नहीं, यह भी जांच का विषय है।

इस तरह राजस्व का भी नुकसान

आमदनी अठन्नी और खर्चा रुपया वाली कहावत चरितार्थ हो रही है। अंबाला मंडल के कौली और दौनकलां (पंजाब) स्टेशन नए बनाए गए हैं। दौनकलां स्टेशन पर कोरोना से पहले रोजाना महज सात यात्री ही ट्रेन में सवार होते थे। दौनकलां और कौली रेलवे स्टेशन पर 12 डिब्बों की ही पैसेंजर ट्रेन रुकती है, तो प्लेटफार्म लंबा चौड़ा बना दिया गया। रोजाना आमदनी की बात करें, तो रेलवे के खजाने में महज दस रुपये ही आ रहे हैं। यही कारण है कि 17 सितंबर 2021 को उत्तर रेलवे के मुख्य संरक्षा आयुक्त (सीआरएस) शैलेश कुमार ने लंबा चौड़ा प्लेटफार्म देख आपत्ति उठाते हुए अधिकारियों से सवाल किया था कि जब इस प्लेटफार्म पर 12 डिब्बों वाली पैसेंजर ट्रेन ही रुकती है, तो 24 डिब्बों वाली एक्सप्रेस ट्रेन वाला प्लेटफार्म क्यों बना दिया। करीब 170 किलोमीटर रेल लाइन की डबलिंग पर 1700 करोड़ रुपये खर्च होने हैं।

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