दो साल से माता-पिता तांत्रिकों से पूछते रहे बेटे का पता, पुलिस ने मध्‍य प्रदेश से ढूंढ़ निकाला

हरियाणा के पानीपत में एक अजीबोगरीब वाक्‍या सामने आया है। दो साल पहले बेटा घर से चला गया था। माता-पिता उसके लौटने के लिए तांत्रिकों के चक्‍कर में पड़े रहे। वहीं पुलिस उसे मध्‍य प्रदेश के भिंड से ढूंढ लाई।

By Anurag ShuklaEdited By: Publish:Wed, 20 Jan 2021 11:05 PM (IST) Updated:Wed, 20 Jan 2021 11:05 PM (IST)
दो साल से माता-पिता तांत्रिकों से पूछते रहे बेटे का पता, पुलिस ने मध्‍य प्रदेश से ढूंढ़ निकाला
मां से मिलने के बाद गले लगता बेटा।

पानीपत, जेएनएन। माता-पिता अपने 16 साल के बेटे का पता तांत्रिकों से पूछते रहे। दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के कई शहरों में रेलवे स्टेशन, बस अड्डों, ढाबों और टी-स्टाल की खाक छानी। क्राइम ब्रांच मधुबन की टीम ने किशोर को मध्य प्रदेश, जिला भिंड में ढूंढ लिया। वह चाइल्ड केयर इंस्टीट्यूशन (सीसीआइ) में रह रहा था। 

बाल कल्याण समिति के सदस्य अशोक कुमार और क्राइम ब्रांच के हवलदार विमल ने संयुक्त रूप से बताया कि विकास नगर निवासी जोगेंद्र का 16 वर्षीय बेटा दो साल पहले घर से निकल गया था। वह पानीपत से ट्रेन में बैठकर दिल्ली पहुंचा। वहां से इटावा, इसके बाद भिंड चला गया। वहां एक ढाबे पर करीब तीन माह तक रोटी-कपड़ा और रहने के लिए ठिकाना की एवज में काम किया। किसी जागरूक व्यक्ति ने उसे सीसीआइ में पहुंचा दिया। इधर, किशोर की किला थाना में गुमशुदगी दर्ज थी। हवलदार विमल ने बताया कि गुमशुदा बच्चों की तलाश में हरियाणा सहित आसपास के राज्यों के सीसीआइ, सीडब्ल्यूसी कार्यालयों में फोन करते रहते हैं। 

चंद दिनों पहले पानीपत के इस बच्चे के विषय में पता चला। वीडियो काल के जरिए सीसीआइ संचालक ने बच्चे की बात माता-पिता से कराई। उन्होंने अपने बेटे की शिनाख्त कल ली। सोमवार को टीम भिंड पहुंची और मंगलवार को उसे लेकर आई। 

किशोर को था घूमने का शौक

सीडब्ल्यूसी सदस्य ने बताया कि किशोर की काउंसिलिंग की गई है। उसने बताया कि शहर से बार ट्रेन-बस में घूमने की इच्छा हुई तो चुपचाप घर से निकल गया। वहां सीसीआई में माता-पिता, दो भाइयों का नाम व पानीपत शहर का नाम बताया था। 

कई शहरों में तलाशा बेटा

किशोर के पिता जोगेंद्र ने बताया कि दो साल से बेटे को तलाश रहे थे। तांत्रिकों के कहने पर कुरुक्षेत्र, सोनीपत, नरेला, दिल्ली में कई जगह और सहारनपुर तक धक्के खाए। दो साल में कोई दिन ऐसा गया होगा कि पत्नी रेनू ने बेटे को याद न किया हो। 

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