पिता कहते थे कुश्‍ती लड़, नीरज को देख बेटा फेंकने लगा भाला, बन गया चैंपियन

नीरज चोपड़ा को देख भाला फेंकने लगा जीत लिया मैदान। लतीफ गार्डन कालोनी के रोमित की कहानी पिता बनाना चाहते थे पहलवान। शरीर कमजोर होने के कारण पहलवान नहीं बनना चाहता था। अब भाला फेंकने में ही देश के लिए मेडल लाने का लक्ष्‍य।

By Ravi DhawanEdited By: Publish:Tue, 03 Nov 2020 03:40 PM (IST) Updated:Tue, 03 Nov 2020 03:40 PM (IST)
पिता कहते थे कुश्‍ती लड़, नीरज को देख बेटा फेंकने लगा भाला, बन गया चैंपियन
पानीपत का रोमित, जिसने जैवलिन थ्रो में जीता पदक।

जागरण संवाददाता, पानीपत :  माडल टाउन की लतीफ गार्डन कालोनी के 16 वर्षीय रोमित ने देश के स्टार जैवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा को एशियन गेम्स में थ्रो करते टीवी पर देखा। तभी से ठान लिया था कि वह भी जैवलिन थ्रो में पदक जीतेगा। राह आसान नहीं थी, क्योंकि शरीर कमजोर था। स्वजनों व कोच ने हौसला दिया और रोमित ने रविवार को हरियाणा दिवस के उपलक्ष्य में शिवाजी स्टेडियम में हुई जिला स्तरीय जैवलिन थ्रो प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीता। उन्होंने 46.90 मीटर बेस्ट थ्रो किया। रोमित ने दैनिक जागरण को बताया कि पिता सतीश कुमार दूध विक्रेता है। पिता की इच्छा थी कि वह पहलवान बने।

टीवी पर खेलते हुए देखा था

शरीर दुबला-पतला होने की वजह से वह कुश्ती नहीं करना चाहता था। खंडरा गांव के नीरज चोपड़ा को टीवी पर जैवलिन थ्रो करते देखा और इसी खेल को अपना लिया। पिता ने भी हामी भर दी और एक साल महीने पहले कोच जितेंद्र उर्फ जीतू के पास थ्री ब्रदर्स स्पोट्र्स एकेडमी में छोड़ दिया। नीरज चोपड़ा घर आते हैं तो वे भी उन्हें जैविलन थ्रो के टिप्स देते हैं। कोच ने तकनीक में सुधार कराया और प्रोत्साहित किया। इसे वजह से सफलता मिली। अब उसका लक्ष्य जूनियर नेशनल चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतना है। इसके लिए वे और ज्यादा मेहनत करेगा।

दोस्तों ने भी ट्रेनिंग में साथ दिया

रोमित ने बताया कि दोस्त लक्ष्य नांदल शाटपुटर है। राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में कांस्य पदक जीत चुके हैं। लक्ष्य ट्रेनिंग के दौरान पूरा साथ देते है। थ्रो करने में गलती करता है तो दोस्त भी बताया है। इससे वे प्रोत्साहित होता है। ट्रेनिंग भी अच्छे से करता है। इसका फायदा प्रतियोगिता के दौरान भी मिला है।

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