मास्‍टर जी: सरकारी स्‍कूल के निर्माण कार्य पर पंचायती राज का अड़ंगा Panipat News

सरकारी स्‍कूल में निर्माण कार्य के दौरान घोटाले की चर्चा जोरों पर हैं। बात किवाना गांव के स्‍कूल की है।

By Anurag ShuklaEdited By: Publish:Fri, 03 Jan 2020 03:11 PM (IST) Updated:Fri, 03 Jan 2020 04:25 PM (IST)
मास्‍टर जी: सरकारी स्‍कूल के निर्माण कार्य पर पंचायती राज का अड़ंगा Panipat News
मास्‍टर जी: सरकारी स्‍कूल के निर्माण कार्य पर पंचायती राज का अड़ंगा Panipat News

पानीपत, [कपिल पूनिया]। स्कूलों में सर्दियों की छुट्टी है। किवाना गांव के चौराहे पर दो मास्टर जी मिले। सरकारी स्कूल के निर्माण कार्य में घपले की बात करने लगे। मामला थोड़ा सा रोचक हुआ तो इसी दौरान एक ग्रामीण उनके बीच आकर जोर जोर से बोलने लगा। मास्टर जी स्कूल में कमरे बनने के लिए 40 लाख का ग्रांट आया है। पुरानी ईंट पड़ी है। नई ईंट मंगा कर अनाप शनाप बिल बनाए जा रहे हैं।

सरकारी फंड के दुरुपयोग के खिलाफ आप क्यों नहीं आवाज उठाते हो। अब मास्टरजी ने भी चुप्पी तोड़ी और मुहं खोला। मास्टर जी बोले इससे पहले समालखा के सरकारी स्कूल में यूं ही गोलमाल हुआ था। विभाग के किसी अधिकारी ने सुध नहीं ली। जब अधिकारी नहीं सुनेंगे तो किसे सुनाएं। अब तो मास्टरजी की भी ठीक ही थी। गांव के स्कूल में कमरे बन रहे हैं। मजबूती की कोई गारंटी नहीं है। नींव नहीं भरी गई। पंचायती राज विभाग का अड़ंगा बीच में आ गया। चिनाई वाले दीवार पर आब्जेक्शन लगा दिया है। अब आगे क्या होगा पता नहीं।

बिल बढ़ा रहे मुफ्त के हीटर, बीपी बढ़ रहा इनका 

कंपकंपाती सर्दी में मास्टर जी मेडिकल बिल पास करवाने शिक्षा विभाग के कार्यालय में पहुंचे। सेवादार से साहब के बारे में पूछा। पता चला कि फील्ड में बिजी हैं। सेवादार ने हाथ सेंकने के लिए हीटर के पास बैठा लिया। मास्टर जी ने कहा कि पता नहीं और कितने और चक्कर काटने पड़ेंगे। जब भी वह इस ओर रुख करते हैं तो अधिकारी मिलते ही नहीं हैं। अब अपनी फरियाद लेकर किसके दर पर जाएं। अधिकारी इतने बिजी हैं कि कभी सीट पर मिलते ही नहीं है। हीटर की गर्मी से 10 मिनट में उनका हाथ गरमा गया। सेवादार के पास से उठ कर चलने लगें। दूसरे कमरे में गए वहां भी हीटर जलते देखा। एक कर्मचारी से पूछा कार्यालय में हीटर चलाने की अनुमति है क्या? इसका बिल कौन भरता है। सरकार कोई अलग से फंड देती है बिल के लिए। कर्मचारी बोला ये बात आप मत पूछो। जो काम कराने आए वो करवा यहां से चलता हो जाओ। हीटर तो बिल की गर्मी पैदा करेगी।

 

कपिल पूनिया।

सरकार हमें भी तो लगती है सर्दी, कुछ तो कीजिए

हाड़ कंपा देने वाली सर्दी के कारण 30 दिसंबर से सरकार ने कक्षा 12 तक के सभी विद्यालयों को बंद रखने के आदेश दे दिये हैं। बच्चों के शिक्षकों को भी इस शीतकालीन अवकाश को बेसब्री से इंतजार रहता है। मास्टर जी ने शीतकालीन अवकाश को हिल स्टेशनों पर बिताने का प्लान बनाया था। कई ने हिल स्टेशनों पर जाने की तैयारी भी कर ली थी, लेकिन सरकार ने केवल बच्चों के लिए अवकाश की घोषणा का फरमान जारी कर दिया। जिसने मास्टर जी के प्लान पर बर्फीला पानी फेर दिया। मास्टरजी भी इससे खासे परेशान हैं। अब शिक्षक हिल स्टेशन पर छुट्टियां मनाने के लिये जुगाड़ में लगे हैं। कइयों ने शीतकालीन अवकाश के लिये नेताओं से सिफारिश लगानी शुरु कर दी है। ताकि आने-जाने की बुक की गई टिकट बेकार न जाए। विभाग भी अवकाश के दौरान विद्यालय ने पहुंचने वाले मास्टर जी पर नजर लगाए हुए है।

साहब ट्रांसफर के रडार पर

ज्यादा पुरानी बात नहीं है, जब निजी स्कूलों की मान्यता के लेकर बवेला मचा था। चारों ओर खूब हो हल्ला भी हुआ था। पानीपत के उन स्कूलों की पहचान कर हाइकोर्ट में एफिडेविट दी गई। इसके बाद एक साल का एक्सटेंशन मिला तो इससे स्कूल संचालक खुश हो गए। वहीं अधिकारियों की भी मौज हो गई। जो स्कूल मान्यता के नियम पूरे नहीं कर रहे अधिकारी उन स्कूलों की भी अनुशंसा कर रहे हैं। शिक्षा विभाग में तैनात एक अधिकारी ने 24 स्कूलों की मान्यता का केस मुख्यालय को भेज दिया है। मास्टर जी को जब पता चला तो मीडिया के पास खबर पहुंच गई। एक ऐसे निजी स्कूल को मान्यता दी गई है जो पूर्व एडीसी आरएस वर्मा के समय जांच के घेरे में रहा। अधिकारी अपने बलबूते दसवीं तक की मान्यता दिला लाए हैं। अब 12 वीं तक की कराने की जुगत में हैं। मास्टर जी बोले हमारे साहब ट्रांसफर की रडार पर हैं। स्कूल मान्यता का केस स्वयं डील करते हैं।

इनकी भी सुनो: चेंबरों से गायब हो जाते हैं बड़े अधिकारी

अंबाला, दीपक बहल। सीएम फ्लाइंग ने छापामार कर अफसर और बाबुओं की लेटलतीफी तो देख ली। कर्मचारी भी गैरहाजिर मिल गए और रिपोर्ट भी सरकार को सौंप दी। लेकिन अब मामला यह है कि अफसरों को 11 से 12 बजे तक रहने के आदेश दिए हैं ताकि वे जनता की शिकायतों को सुन सकें। सरकार की यह मंशा पूरी होगी इस पर भी पूरा संदेह है। संदेह होना भी चाहिए क्योंकि बाबू और अधिकारियों के अपने ही नियम काूनन है। बताते हैं इस समय में भी कई अफसर नदारद रहते हैं। अब सीएम फ्लाइंग इस मामले में क्या करती है, पता नहीं, लेकिन जनता तो कहती है अफसर सीट पर नहीं मिलते। दूसरी ओर सुबह लेट आने वाले ही नहीं हैं, जबकि कई बड़े अफसर हैं, जो दोपहर होते ही घर जाने की जल्दी में रहते हैं। यह अफसर तो दोपहर के बाद दिखाई नहीं देते। चर्चा तो यहां तक है कि अफसर के बारे में पूछें तो कर्मचारी बताते हैं कि साहब मीटिंग में हैं या फील्ड में गए हैं। अब जनता भी सोचती है कि अफसर का इंतजार करें या फिर घर चलें।

पुलिस महकमे की चाल बदलने में जुटे बाबाजी

इन दिनों पुलिस के लिए भी काफी चुनौतियां खड़ी हो गई हैं। एक तो शिकायतों का अंबार जो लगा है। शायद ही कोई दिन ऐसा होगा, जब लोग पुलिस के खिलाफ शिकायत न दें। पहले तो बाबा जी रेस्ट हाउस में लोगों की समस्याएं सुनते रहे, लेकिन बाद में यह सिलसिला उनके आवास पर शुरू हो गया। अब जब से गृह मंत्री बने हैं, तब से तो प्रदेश भर से लोगों का जमावड़ा बाबा जी के आवास के बाहर लगने लगा है। आलम यह है कि ठंड के दौरान भी लोग लाइनें लगाकर अपनी बारी का इंतजार करने में लगे रहते हैं। सबसे ज्यादा शिकायतें पुलिस के खिलाफ आ रही हैं। यहां तो जनता यह तक कह रही है कि पता नहीं कब सुधार आएगा पुलिस महकमे में। दूसरी ओर बाबा जी भी इसी में जुटे हैं कि पुलिस महकमे पर लगे दाग मिटा दिए जाएं। इसका ट्रेलर भी बाबा जी ने दिखा दिया है। जनता को भी पूरी फिल्म का इंतजार है।

एक माह बाद नए रंग में दिखेगी अंबाला की राजनीति

बस एक महीने का इंतजार कीजिये, आपको अंबाला की राजनीति नए अंदाज और रंग में रंगी दिखाई देगी। जी हां, कभी कांग्रेस का हाथ छोड़कर चुनाव मैदान में उतरे बागी विधानसभा चुनावों में अपनी उपस्थिति तो दर्ज करा गए, लेकिन अब अपने लिए रास्ता तय करने में जुटे हैं। चलो जो भी हो राजनीति का कुछ अलग अंदाज में दिखाई देगी। आपको याद ही होगा कि बैठक में इन नेता जी ने ऐलान तो कर दिया था कि वे अपनी पार्टी अलग से बनाएंगे। इसके लिए फरवरी का महीना भी तय कर दिया। लेकिन जब प्रदेश के पूर्व मुखिया अंबाला आए तो इन नेताओं ने उनसे मुलाकात भी की। यहां पर उन्होंने प्रदेश की राजनीति पर चर्चा तो की, साथ ही कई पहलुओं पर बात हुई। अब यह बातचीत क्या समीकरण बनाएगी, पता नहीं, लेकिन यह तो तय है कि अंबाला में राजनीति अब अलग ही अंदाज में दिखाई देगी।

जुर्माने के लपेटे में आईएएस

सेना क्षेत्र में आईएएस अधिकारी की कोठी में पेड़ कटे, जब्त हुए और नीलाम कर दिए। अब पंद्रह से बीस हजार रुपये जुर्माना राशि लगनी तय है, जिसके आदेशों में लीज़ होल्डर प्रदेश सरकार और कोठी में रह रहे आईएएस अफसर का नाम आएगा, जिसके कारण इस में लेटलतीफी की जा रही है। अब यह लेटलतीफी क्यों की जा रही समझ ही सकते हैं। जिस तरह से अधिकारी की कोठी में पेड़ों को काट और फिर नीलाम कर दिया गया, उस मामले में लग रहा था कि तुरंत ही कार्रवाई हो जाएगी। लेकिन हालात यह बन चुके हैं कि अभी तक जुर्माना राशि ही तय नहीं हो पाई है। मामला अधिकारी की कोठी से भी जुड़ा हुआ है। अफसर भी जल्दबाजी में कोई कदम नहीं उठाना चाहते। अब तो धीरे-धीरे यह भी सुनने को मिल रहा है कि मामला धीमी गति ये चलाएंगे। क्योंकि एक ओर कोठी प्रदेश सरकार को लीज़ पर दी है, जबकि रिहायश आईएएस अफसर की है। एक ओर सरकार तो दूसरी ओर अफसर है। अब जुर्माना किस पर लगाएंगे अफसर यही तय नहीं कर पा रहे हैं।

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