नशे में जकड़े पानीपत के गांव की गमगीन कहानी, यहां घर-घर आंख में आंसू

पानीपत के राणा माजरा में 25 से अधिक युवाओं की मौत हो चुकी है। खुलेआम बिकती है स्‍मैक। यमुना से लगती उप्र की सीमा से हो रही नशे की तस्‍करी। परिवार के परिवार उजड़ रहे। कई युवा नशा मुक्‍ति केंद्रों में भर्ती हैं।

By Anurag ShuklaEdited By: Publish:Wed, 02 Dec 2020 09:17 AM (IST) Updated:Wed, 02 Dec 2020 09:25 AM (IST)
नशे में जकड़े पानीपत के गांव की गमगीन कहानी, यहां घर-घर आंख में आंसू
गांव राणा माजरा में युवा नशे के जाल में फंसते जा रहे हैं।

पानीपत, [उमेश त्यागी]। करनाल सीमा से लगते सनौली थाना के गांव राणा माजरा में युवा नशे के जाल में फंसते जा रहे हैं। दो साल में करीब 25 युवकों की नशे के कारण मौत हो चुकी हैं। गांव के बुजुर्ग भी युवाओं को नशा छुड़ाने के भरसक ‎प्रयास कर चुके हैं लेकिन असर कम ही हो रहा है। गांव में 19 मौजिज लोगों की कमेटी का गठन कर नशे को गांव से बंद कराने पर सहमति की गई।

नशे की लत के आदि युवा सारा दिन गांव के पास लगते यमुना बांध, सडक किनारे खेतों के रास्ते पर जमा रहते हैं। युवाओं के नशे से परेशान बुजुर्ग लोग व खासकर महिलाएं आंखों से आंसू थमते नहीं। ग्राम पंचायत ने भी थाना, एसपी, आइजी सहित अनेक जगहों पर नशे की रोकथाम के लिए शिकायत दी। पुलिस पर नशे के मामले में ढील बरतने के आरोप लगाए जा रहे हैं। पुलिस को आते देख युवक खेतों की ओर भाग जाते हैं ।

स्मैक लाने और ले जाने के यमुना के कच्चे रास्ते

गांव में पिछले पांच वर्षो से स्मैक नशे का धंधा जोरों पर चल रहा है।  यमुना नदी के कच्चे रस्ते से साथ लगते उप्र के गांव भूरा, मड़ावर, कैराना से यमुना नदी के अंदर से नाव पर नदी पार कर या टयुब पर तैरकर स्मैक ले कर आते हैं। तस्करों के साथ कुछ महिलाएं भी लगी हुई हैं । गांव के करीब 25 तस्कर स्मैक के धंधे में लगे हैं। गांव के ही कई युवा नशे के आदि हैं। साथ लगते गांव गढी बैसक, पत्थरगढ और करनाल जिले के गांव सहपत, बराना, घरौंडा, करनाल तक स्मैक लेने गांव के बाहर सडकों पर बाइकों व गाड़ियों में आते हैं। जींद, दिल्ली, अंबाला आदि शहरो से बड़ी गाड़ियों में युवा नशा खरीदने व बेचने के लिए आ रहे हैं।

स्मैक से 25 युवकों की हो चुकी है मौत

स्मैक से गांव के ही 15 से 35 वर्ष के 25 के करीब युवकों की मौत हो चुकी है। दस से अधिक युवा आसपास के नशा मुक्ति केंद्र में इलाज करा रहे हैं। एक नवंबर को गांव के ही 32 साल के मजदूर साहब सिंह की स्मैक के नशे से मौत हो गई है। विधवा बबीता का रो-रो कर बुरा हाल है। उसके तीन बच्चे हैं। बडा बेटा 12 साल, दो लड़की  9 और 7 साल की हैं। पति मजदूरी करके ही गुजारा चलाते थे मगर दो साल से स्मैक नशा करने लगे। घर में आर्थिक स्थित खराब होने लगी। अब तो घर का बोझ उठाने वाला कोई नहीं है।

गांव में बंद हो नशा

गांव की 65 साल की बुजुर्ग मूर्ति देवी ने रोते हुए बताया कि अभी उसके 28 वर्षीय बेटे सुभाष की स्मैक के नशे के कारण मौत हो गई है । बेटे की तस्वीर हाथ में लिए हर रोज आंखों में आंसू बहते हैं। मूर्ति देवी का कहना है कि गांव से नशा बंद हो। गांव में बहुत बच्चे नशा करते हैं। बहुत बेचते हैं।

भाई की नशे से हुई मौत

वाजिद ने बताया कि उसका बड़ा भाई 35 वर्षीय साजिद स्मैक का नशा करता था।  कई बार रोका। गांव में बहुत युवा नशे करते हैं तो उसे नशे से बचा नहीं सके। एक साल पहले ही उसकी मौत हो गई है। कई बार गांव के मौजिज लोगों को नशा रोकने के लिए पंचायत की। युवा तो बात मानते ही नहीं। पुलिस प्र‎शासन की भी ढील है।

सदमे में पिता की मौत

जवान बेटे 18 वर्षीय सददाम की स्मैक का नशा करने से 2 वर्ष पहले मौत हो चुकी है। अब दूसरा बेटा भी नशा करने लगा है। उसे खानपुर पीजीआइ अस्पताल में दाखिल कराया गया हैं। एक बेटे सददाम की मौत व दूसरा बेटा नशा करने का आदि हो जाने पर बुजुर्ग की भी सदमें के चलते मौत हो गई हैं। वही गांव के 35 साल के इकराम  की भी नशे के कारण जान चली गई।

नशा मुक्ति केंद्र में युवा

वाजिद अली, साबिर, इश्तिकार, रविन्द्र पांचाल, वाजिद ने बताया कि पूरे गांव की युवा पीढ़ी स्मैक नशे की आदि है।  रोकने के लिए पंचायत और गांव के मौजिज लोग पुलिस प्रशासन से गुहार लगा चुके हैं।  पुलिस के आते ही स्मैक तस्कर यमुना नदी की ओर खेतों की ओर भाग जाते हैं। नशे की रोकथाम को लेकर दर्जनों नशा करने वाले युवकों को स्‍वजनों ने नशा मुक्ति केंद्र उग्राखेड़ी, कैराना में भेजा है।

पूर्व सरपंच खुर्शीद।

200 रुपये की पुड़िया

राणा माजरा के सरपंच दर्शनलाल का कहना है कि गांव में हर घर में एक न एक सदस्य को नशे की लत लगी हुई है । दर्जनों युवको की मौत हो चुकी है। कई बार पंचायत की ओर से नशे को रोकने के लिए प्र‎स्ताव कर थाना पुलिस, एसपी, डीसी, आइजी, डीजी तक को शिकायत कर चुके हैं।  कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही। गांव में 200 से 1500 रुपये में नशे की पुड़िया मिल जाती है।

सरपंच सोहनलाल।

युवा पीढ़ी को बर्बाद कर रहा नशा

पूर्व सरपंच खुर्शीद व सरपंच सोहनलाल का कहना है कि नशे के चंगुल में फंस चुके युवक चोरी जैसे अपराध की ओर अगसर हो रहे हैं। पूरे गांव में कोई अपने घर के बाहर लोहे आदि का कुछ भी सामान नहीं छोड़ सकता। नशे करने वाले युवक उसकी चोरी कर अपनी नशे की पूर्ति करने में लग जाते हैं ।

पुलिस कार्रवाई करती है - एसएचओ

सनौली थाना एसएचओ सुरेंद्र सिंह का कहना है कि गांव राणा माजरा में स्मैक नशे को रोकने को लेकर कई आरोपितों को पकड़ा गया है। सनौली थाना व सीआइए, एनडीपीस टीम ने कई नशे बेचने वालों को पकड कर मामला दर्ज कर न्यायिक हिरासत में भेजा है। नशे को रोकने के लिए कई बार पुलिस ने चेकिंग की।

19 मौजिज लोगों ने बनाई कमेटी

गांव के मौजिज लोगों ने पूर्व सरपंच खुर्शीद सहित 19 पंचायती मौजिज लोगों की कमेटी का गठन किया है। कमेटी ने बैठक कर निर्णय लिया कि अगर कोई नशा बेचता है तो उसे कोई छुड़वाएगा नहीं। बच्चे एक दूसरे नशे करने वालों से नहीं मिलेंगे तो नशा नहीं सीख पाएंगे। कमेटी में  पूर्व सरपंच यामिन, गुल्लू चौहान, बिलाल वकील, ईरफान हजी, मौलवी कवर, दाडद, ईसाक, साजिद, तैयब समाजसेवी, आरिफ, बसीर, खुर्शीद, राशिद, कुलदीप, लियाकत, सकुर, हजी नफीस और नसीम हैं।

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