आग उगलता सूरज, बच्चों को सताने लगा डायरिया-हैजा, स्कैबीज-टीनिया

आग उगलता सूरज तापमान 40 डिग्री सेल्सियस के आसपास और घरों में उमस का वातारण। बच्चों को डायरिया हैजा स्कैबीज और टीनिया जैसी बीमारियां सता रही हैं।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 20 May 2019 08:55 AM (IST) Updated:Mon, 20 May 2019 08:55 AM (IST)
आग उगलता सूरज, बच्चों को सताने लगा डायरिया-हैजा, स्कैबीज-टीनिया
आग उगलता सूरज, बच्चों को सताने लगा डायरिया-हैजा, स्कैबीज-टीनिया

जागरण संवाददाता, पानीपत : आग उगलता सूरज, तापमान 40 डिग्री सेल्सियस के आसपास और घरों में उमस का वातारण। बच्चों को डायरिया, हैजा, स्कैबीज और टीनिया जैसी बीमारियां सता रही हैं। सिविल अस्पताल, सीएचसी-पीएचसी सहित प्राइवेट क्लीनिक और नर्सिंग होम्स में बाल रोगियों की संख्या बढ़ गई है। डॉक्टर भी इलाज के साथ परहेज और बचाव की सीख दे रहे हैं।

शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. रितु अरोड़ा ने बताया कि डायरिया और हैजा के लक्षणों में ज्यादा अंतर नहीं है। ओपीडी में पहुंच रहे करीब 60 फीसद बच्चे इसी रोग से पीड़ित हैं। हैजा विब्रिओ कॉलेरी नामक बैक्ट्रिरिया से फैलने वाली बीमारी है। पतले दस्त और उल्टी प्रारंभिक लक्षण हैं। निर्जलीकरण के कारण मरीज की मौत तक हो सकती है। कमोबेश ऐसी ही स्थिति डायरिया के कारण बनती है। स्कैबीज रोग में बच्चों शरीर पर बहुत सारे दाने निकल आते हैं। इनमें खुजली होती है। एक ही बिस्तर, कपड़ों का इस्तेमाल करने से दूसरे व्यक्ति को भी बीमारी होना संभावित है। टीनिया (दाद) एक प्रकार का फंगल इंफेक्शन है और टीनिया नामक वायरस के कारण होती है।

डॉ. अरोड़ा के मुताबिक इस मौसम में करीब 20 फीसद बच्चे इन बीमारियों से पीड़ित रहते हैं। चिकित्सीय भाषा में शरीर के फंगल को टीनिया कार्पोरिस, सिर के फंगल को टीनिया केपेटिस, पैर के फंगल को टीनिया पेडिस, हाथों में तो टीनिया मेनम कहते हैं।

डायरिया-हैजा के लक्षण :

-उल्टी-दस्त होना।

-बच्चे का चिड़चिड़ा होना।

-कमजोरी महसूस होना।

-पल्स मंद होना। बीमारी से बचने के उपाय :

-रोगी को तुरंत अस्पताल पहुंचाएं।

-उबला हुआ पानी चम्मच से पिलाएं।

-खुले में बिकने वाली चीजें न खिलाएं।

-बासी भोजन बिल्कुल न खिलाएं।

-तेज धूप से बचाव करें।

-साफ-सफाई का ख्याल रखें।

-कटे-सड़े फल बिल्कुल न खिलाएं।

-बच्चे को बार-बार ओआरएस का घोल पिलाएं। स्कैबीज-टीनिया से बचाव के उपाय :

-जलभराव से बचने का प्रयास करें।

-शरीर को सूखा रखने का प्रयास करें।

-सूती और तेज धूप में सूखे हुए कपड़े पहनें।

-संक्रमण है तो बच्चे को अलग कमरे में लिटाएं।

-बीमार बच्चे को स्कूल न भेजें।

-व्यक्तिगत स्वच्छता का विशेष ख्याल रखें।

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