ऐसा हादसा न कभी देखा, न सुना, यहां हर दिल में व्‍यवस्‍था पर आक्रोश

पानीपत में बस के टायर से पांच वर्षीय बच्चे की मौत का मामला। स्कूल प्रबंधन और परिवहन विभाग की लापरवाही से हुआ हादसा। एक महीने से मौत के मुहाने पर थीं 17 बच्चों की जिंदगी।

By Ravi DhawanEdited By: Publish:Wed, 20 Mar 2019 01:05 PM (IST) Updated:Thu, 21 Mar 2019 06:58 PM (IST)
ऐसा हादसा न कभी देखा, न सुना, यहां हर दिल में व्‍यवस्‍था पर आक्रोश
ऐसा हादसा न कभी देखा, न सुना, यहां हर दिल में व्‍यवस्‍था पर आक्रोश

पानीपत [विजय गाहल्‍याण] । ऐसा हादसा न कभी देखा और न ही कभी सुना। क्‍या कोई बस के अंदर से बैठे-बैठे ही टायर के नीचे कुचला जा सकता है। पानीपत में हत्‍यारी व्‍यवस्‍था में ऐसा भी हो गया। पांच साल का मासूम बस के अंदर बैठा था। बस का फर्श टूटा था। उसी सुराख से नीचे गिरकर वो टायर के नीचे कुचला गया। इसे स्कूल प्रबंधन और परिवहन विभाग की लचर कार्यशैली की इंतहा कहा जा सकता है। पांच वर्षीय कार्तिक के लिए काल बनी इसी बस से 17 बच्चों को हर रोज परीक्षा केंद्र पर लाया और ले जाया जाता रहा। एक महीने से बस के टूटे फर्श पर जुगाड़ का पैबंद लगाया गया था। बस के टायर के नीचे आया मासूम का सिर लापरवाह सामाजिक, धार्मिक और प्रशासनिक चेहरों से जवाब मांग रहा है।

फर्श में मौत के इस सुराख की जानकारी गुरुद्वारा और स्कूल प्रबंधन को थी, फिर भी इसे ठीक नहीं कराया गया। सिर्फ लकड़ी का फट्टा रख एक जुगाड़ कर सुराख को बंद कर दिया गया। आरटीए ने भी बस पास करने में घोर लापरवाही बरती। मासूम की मौत के बाद कमेटी सांत्वना का दिखावा कर रही है। उधर, आक्रोशित लोगों का कहना है कि भले ही गुरुद्वारा व स्कूल प्रबंधन कमेटी राजनीतिक, सामाजिक और धार्मिक पहचान रखती हो, लेकिन शायद ही कमेटी के किसी सदस्य ने बस में चढ़ उसकी हालत जानी हो।

कफन में लिपट हाथ आया कलेजे का टुकड़ा
बस में कार्तिक की मां रजनी, बुआ शालू, मामी प्रिया, दादी संतोष और परिवार के अन्य सदस्य भी थे। जो बेटा हंसी-खुशी साथ गया था, वह कफन में लिपट हाथ आया। सबका रो रोकर बुरा हाल है। मां रजनी बार-बार बेहोश होती रहीं। दादी कह रही थी कि हादसे ने उनकी खुशियां तो छीनी ही, कभी पूरी नहीं होने वाली क्षति दे दी। कार्तिक के मामा चैरिस खुराना, कमल और नानी गीता का कहना है कि  दोषियों पर कार्रवाई होनी चाहिए।

 परिवार के दादा की ओर से डाला गया था भोग
कार्तिक के परिवार के दादा कृष्ण पाहूजा की ओर से जोध सचियार गुरुद्वारा में भोग डाला था। इसमें पानीपत से 40 सदस्य शामिल हुए थे। वे बाइकों व अन्य वाहनों से गुरुद्वारा गए थे। कार्तिक भी मां रजनी, भाई जतिन के साथ चाचा मनोज की बाइक से गुरुद्वारा पहुंचे। वहां से उन्हें घर लौटना था। मनोज ने उन्हें कहा कि धूप हो गई है, इसलिए वे बाइक पर बैठेंगे तो परेशान हो जाएगी। वे बस से चलें। इसके बाद ही दोनों बच्चे और उनकी मां बस में बैठ गए। मां रजनी बेटों के साथ वाली सीट पर बैठ थी। बस में प्रत्येक सवारी से 20 रुपये किराया लिया जाना था।

कर्ज लेकर बीमार बेटे को बचा लिया था
संजय पाहूजा सामान्य अस्पताल में बेटे कार्तिक के शव से लिपट रोने लगे। वे कह रहे थे कि बेटा छह महीने का था, तब गंभीर रूप से बीमार हो गया था। कुरुक्षेत्र के एक अस्पताल में इलाज चला। करीब पांच लाख रुपये कर्ज लेकर बचा लिया था।

इस लकड़ी के खिसकने से हुआ हादसा।

स्कूल के मालिक और प्रबंधक भी हो गिरफ्तारी
सामान्य अस्पताल में परिजनों ने रोष जताया। वे अड़े हुए थे कि बच्चे की मौत का जिम्मेदारी सिर्फ बस चालक ही नहीं, बल्कि स्कूल मालिक और प्रबंधक भी हैं। पुलिस उन्हें भी गिरफ्तार करे। गुरुद्वारा संचालन समिति के प्रधान भी अस्पताल आए। डीएसपी बिजेंद्र ने उन्हें मामले की निष्पक्ष जांच का भरोसा दिया। तभी वे शांत हुए।

आरटीए से कराई जाएगी जांच : परिवहन मंत्री
परिवहन मंत्री कृष्णलाल पंवार का कहना है कि हादसा दुखदायी है। उनकी संवेदनाए पीडि़त परिवार के साथ हैं। इस बारे में आरटीए से रिपोर्ट ली है। उन्होंने बस की जून 2018 में पासिंग करने की रिपोर्ट दी है। आरटीए से इस मामले की जांच कराई जाएगी। पासिंग के दौरान किसी तरह की लापरवाही सामने आती है तो संबंधित अधिकारी पर विभागीय कार्रवाई की जाएगी।

आरटीए की लापरवाही रही होगी : महीपाल ढांडा
पानीपत ग्रामीण हलका के विधायक महीपाल ढांडा ने कहा कि आरटीए के पास करने के बाद बस में इतनी बड़ी खामी मिलना चिंतनीय है। इसमें अधिकारी भी बराबर के दोषी हैं। यह कोई छोटी घटना नहीं है। इस तरह से किसी बच्चे की मौत होना गंभीर विषय है। वे परिवहन मंत्री और मुख्यमंत्री से बात कर अधिकारियों पर भी कार्रवाई की मांग करेंगे।

आरटीए की सीधी गलती : रेवड़ी
शहर की विधायक रोहिता रेवड़ी ने कहा कि आरटीए को पाङ्क्षसग में सीट बेल्ट से लेकर नट बोल्ट तक चेक करने होते हैं। यहां पर बस का फर्श ही टूटा हुआ मिला है। यह आरटीए अधिकारियों की गलती से हुआ है। अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए।

बस के पिछले हिस्‍से में इस जगह पर फर्श टूटा था, जहां लकड़ी रखी थी। यहीं से बच्‍चा नीचे गिरा।

इस तरह हुआ हादसा
हुआ ये कि बस में सवार सभी लोग सत्‍संग के बाद पानीपत लौट रहे थे। बस में पिछली तरफ फर्श टूटा हुआ था। वहां पर लकड़ी से इस जगह को ढंक दिया गया था। वहीं पर पांच वर्षीय कार्तिक और उसका आठ वर्षीय भाई जतिन बैठे थे। असंध रोड पर ब्रेकर पर जैसे ही बस उछली, लकड़ी आगे खिसक गई। लकड़ी के खिसकते ही कार्तिक उस सुराख से नीचे गिर गया। पिछले पहिये ने उसके सिर को कुचल दिया। बस सौ मीटर आगे जाकर रुकी। बच्‍चे की मौके पर मौत हो गई। चालक वहां से फरार हो गया। लोगों ने बस में तोड़फोड़ कर दी। पुलिस ने आरोपितों पर गैरइरादतन केस दर्ज कर लिया है।

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