हरियाणा के जेवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा के गुमनाम गांव की बदल गई किस्मत, करोड़ों के हो रहे विकास

एशियन गेम्स में उसने गोल्ड जीता तो बात मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री तक पहुंच गई। अब इस गांव के लिए छह करोड़ के विकास कार्यों का खाका खिंच गया है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Mon, 04 Feb 2019 11:01 AM (IST) Updated:Mon, 04 Feb 2019 11:01 AM (IST)
हरियाणा के जेवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा के गुमनाम गांव की बदल गई किस्मत, करोड़ों के हो रहे विकास
हरियाणा के जेवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा के गुमनाम गांव की बदल गई किस्मत, करोड़ों के हो रहे विकास

पानीपत, विजय गाहल्याण। मट्टी से निकले एक खिलाड़ी ने गुमनाम गांव को रोशनी में लाकर खड़ा कर दिया है। उसका फेंका हुआ भाला जितनी दूर तक जाता है, इस गांव की धुंधली तस्वीर और साफ हो जाती है। वह जिला स्तर पर पदक जीता तो लोकल अफसरों ने गांव को मान दिया। वह नेशनल में जीता तो चंडीगढ़ तक उस गांव की फाइलें पहुंचने लगीं।

एशियन गेम्स में उसने गोल्ड जीता तो बात मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री तक पहुंच गई। अब इस गांव के लिए छह करोड़ के विकास कार्यों का खाका खिंच गया है। इतना ही नहीं, यहां का बच्चा-बच्चा अब भाला फेंकने का ही अभ्यास करने लगा है। यह सब कुछ हुआ है चैंपियन अर्जुन अवॉर्डी नीरज चोपड़ा की बदौलत।

हरियाणा के पानीपत शहर से करीब 15 किमी दूर है गांव खंडरा। कुछ साल पहले तक इस गांव की अपनी कोई खास पहचान नहीं थी। प्रशासन की नजर से भी यह ओझल ही रहता था। मूलभूत सुविधाओं और संसाधनों का अभाव था। इस बीच, यहां की मिट्टी से एक ऐसा हीरा निकला जिसने देश के मुकुट पर ऐसी आभा बिखेरी कि गुमनाम खंडरा भी चर्चा के केंद्र में आ गया। अब इसे लोग अर्जुन अवॉर्डी जेवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा के गांव के नाम से जानते हैं। सरकारी तंत्र ने भी गांव की सुध ली है। 5.83 करोड़ रुपये के विकास कार्यों का खाका तैयार किया जा चुका है। कहना गलत न होगा कि नीरज पर पदकों की बरसात क्या हुई खंडरा गांव की तकदीर चमक उठी।

प्यास बुझाने के लिए दो किलोमीटर दूर से लाना पड़ता है पानी
ग्रामीण भीम सिंह, रवींद्र कुमार, सुरेंद्र कुमार, दुलीचंद और विनोद कुमार यहां पेयजल की अनुपलब्धता को सबसे बड़ी समस्या मानते हैं। बताते हैं कि गांव का पानी खारा है। बिल्कुल भी पीने लायक नहीं है। प्यास बुझाने के लिए महिलाएं दो किलोमीटर दूर खेतों में लगे ट्यूबवेल से पानी लाती हैं। यह काम उनकी दिनचर्या का हिस्सा बन चुका है। आंखों में विश्वास की चमक के साथ ग्रामीण कहते हैं कि सरकार ने नीरज की जीत पर गांव के विकास का भरोसा दिया है। उम्मीद है अब पीने के पानी का प्रबंध हो जाएगा।

ये होगी विकास यात्रा

गांव से आधा किलोमीटर दूर थिराना रोड पर छह एकड़ पंचायत की जमीन पर 1.30 करोड़ रुपये की लागत से स्टेडियम बनेगा। इसमें एथलेटिक्स ट्रैक, कुश्ती, कबड्डी और वालीबॉल के मैदान बनेंगे। पीने के पानी की व्यवस्था के लिए 65 लाख रुपये से ट्यूबवेल लगाए जाएंगे। 85 लाख रुपये से बरात घर बनेगा। 18 लाख रुपये के खर्च से पंचायत घर, सरपंच व पटवारी का कार्यालय बनाया जाएगा। करीब एक करोड़ रुपये से गांव के खस्ताहाल रास्ते दुरुस्त होंगे। बुजुर्गों के लिए मल्टीपर्पज हॉल बनेगा।

नीरज ने मान बढ़ाया, विकास भी उन्हीं की बदौलत
सरपंच शैलेंद्र कुमार मन में एक टीस लिए हुए कहते हैं कि पहले उनके गांव को कोई ठीक से जानता तक नहीं था। फिर चहकते हुए कहते हैं कि हमारे नीरज के पदक जीतने से गांव की पहचान राष्ट्रीय स्तर की हो गई है। यह गर्व की बात है।

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