पिता का संघर्ष आया काम, अखाड़े में उतर बेटियों ने पाया मुकाम Panipat News

सुताना की नैना और इसराना की राधिका जागलान को पिता रामकरण व राजबीर जागलान ने समाज के विरोध के बावजूद अखाड़े में भेजा।

By Anurag ShuklaEdited By: Publish:Mon, 02 Dec 2019 10:52 AM (IST) Updated:Mon, 02 Dec 2019 10:52 AM (IST)
पिता का संघर्ष आया काम, अखाड़े में उतर बेटियों ने पाया मुकाम Panipat News
पिता का संघर्ष आया काम, अखाड़े में उतर बेटियों ने पाया मुकाम Panipat News

पानीपत, [विजय गाहल्याण]। म्हारी छोरिया छोरों से कम हैं के। दंगल फिल्म का यह डॉयलाग सभी के जेहन में है। इसको साक्षात करके दिखाया है दो पहलवान बेटियों ने। इनके पिता ने समाज के विरोध की परवाह किए बगैर बेटियों को खेलने की आजादी दी। बेटियों ने भी विकट परिस्थितियों से जूझते हुए पदक जीतकर उनका मान बढ़ा दिया है। जालंधर में 29 नवंबर से 1 दिसंबर से हुई सीनियर कुश्ती चैंपियनशिप में सुताना गांव की नैना ने 72 किलोग्राम और इसराना की राधिका जागलान ने 62 किलोग्राम में रजत पदक जीता है। बेटियों की सफलता पर रामकरण और सेवानिवृत्त फौजी राजबीर जागलान को नाज है।  

टूटी अंगुली से मैट पर उतरी, जीती तीन कुश्ती

अंतरराष्ट्रीय पहलवान नैना ने बताया कि नवंबर में हुई विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में मुकाबले में बाएं हाथ की अंगुली टूट गई थी। उसे हार का सामना करना पड़ा। डॉक्टर ने सलाह दी कि तीन महीने अभ्यास छोड़ दे। उसने चैंपियनशिप की तैयारी की थी। मौका नहीं छोडऩा चाहती थी। दर्द होते हुए भी तीन पहलवानों को पटकनी देकर जीती। फाइनल मुकाबला रेलवे की पहलवान किरण से हुआ। अंगुली में दर्द असहनीय था। मैदान नहीं छोड़ा। 7-2 से हार का सामना करना पड़ा। चोट न लगती तो मुकाबला जीत सकती थी।

पहली बार सीनियर वर्ग में खेली, साक्षी को दी कड़ी टक्कर

अंतरराष्ट्रीय पहलवान राधिका जागलान पहले अंडर-23 आयु वर्ग में खेलती थी। वे पहली बार सीनियर वर्ग में खेली और ओलंपिक कांस्य पदक विजेता साक्षी मलिक को कड़ी टक्कर दी। वे मुकाबले भले ही हार गई, लेकिन कुश्ती प्रेमियों का दिल जीत लिया है। वे भविष्य में साक्षी को कड़ी टक्कर भी देने वाली हैं। राधिका ने बताया कि साक्षी से मुकाबला करना उसके लिए गर्व की बात है। उसने अपनी कमजोरी तकनीक का पता चला और उसमें सुधार करके जीत के लिए मैट पर उतरेगी। 

पिता के साथ के बिना नहीं था संभव

रोहतक के छोटू राम स्टेडियम में मनदीप कोच के पास अभ्यास करने वाली राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 20 पदक जीत चुकी नैना ने कहा कि पिता रामकरण ने पूरा साथ दिया। अगर वे साथ नहीं देती तो वे कुश्ती ही नहीं कर पाती। उसका संघर्ष को तो सभी को दिखाता है। पिता का संघर्ष दिखाई नहीं देता। वहीं, हिसार साई में अभ्यास करने वाली राधिका का कहना है कि पिता राजबीर और चाचा जयवीर ने किसी की नहीं सुनी और उसे गांव में कोच अनुज जागलान के पास अभ्यास के लिए भेजा। उसने मेहनत की तो सफलता मिली।

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