हेलो जागरण : ज्यादा उम्र में शादी, बदलती जीवनशैली के कारण नहीं हो रही संतान, आइवीएफ समाधान
जागरण संवाददाता पानीपत ज्यादा उम्र यानी 35 की उम्र तक भी शादी हो रही हैं। जीवनशैली बदलती
जागरण संवाददाता, पानीपत : ज्यादा उम्र यानी 35 की उम्र तक भी शादी हो रही हैं। जीवनशैली बदलती जा रही है। देर रात तक जगना। फास्ट फूड पर ही निर्भर होना। धूम्रपान करने और शराब पीने की आदत पुरुषों और महिलाओं को लग रही है। इस कारणों से शादी के बाद भी दंपती को संतान नहीं हो रहीं। भारत में हालात चिताजनक स्थिति की तरफ बढ़ रहे हैं। हाल की बात करें तो शादी के बाद 20 फीसद दंपती को संतान नहीं हो रही। ज्यादातर मामलों में वजह जीवनशैली में बदलाव है। इसके अलावा हार्मोंस संबंधी दिक्कत, पुरुष या महिला में कमी है। आइवीएफ से बांझपन जैसी समस्या दूर किया जा सकता है। यह बात सेक्टर-18 स्थित निरूमा फर्टिलिटी एवं आइवीएफ सेंटर की निदेशक आइवीएफ एवं बांझपन विशेषज्ञ डा. दिशा मल्होत्रा ने दैनिक जागरण के हेलो जागरण कार्यक्रम में कही। पाठकों के सवालों के उन्होंने फोन के माध्यम से जवाब दिए। सोनिया, सेक्टर 11 : मेरी उम्र 45 वर्ष है। संतान नहीं हो रही। क्या मुझे आइवीएफ के बारे में सोचना चाहिए।
डा.दिशा : अब आपको इंतजार नहीं करना चाहिए। क्योंकि इस उम्र में अंडे बनना बंद हो जाते हैं। अंडे कमजोर होते हैं। आपको टेस्ट कराकर आगे बढ़ना चाहिए। विजय, करनाल : मेरी बेटी को संतान के बाद बेहद थकावट रहती है। पैरों और कमर में दर्द रहता है। क्या करना चाहिए।
डा. दिशा : आयरन की कमी हो सकती है। कैलिशयम लेने होंगे। हार्मोंस को सामान्य करना होगा। इसके लिए एक से तीन महीने का मेडिकल कोर्स होगा। फिर सामान्य हो जाएंगी। सोनू, वार्ड 11 : दो साल हो गए हैं। संतान नहीं हुई। मुझे क्या करना चाहिए।
डा.दिशा : आपको सामान्य टेस्ट कराने होंगे। इससे पता चल जाएगा कि कमी किसमें हैं। फिर उसी आधार पर आगे ट्रीटमेंट शुरू किया जा सकेगा। मुकेश, विकास नगर : पेट में बेहद दर्द रहता है। कहीं सफेद पानी की वजह से तो दिक्कत नहीं हो रही।
डा.दिशा : इन्फेक्शन की वजह से दिक्कत हो सकती है। मेडिकल ट्रीटमेंट से इलाज संभव है। गौरव, राजनगर : मेरी पत्नी को कमर में बेहद दर्द रहता है।
डा.दिशा : कैलिशयम की कमी है। विटामिन डी लेना होगा। पानी ज्यादा पिएं। विम्मी भाटिया, माडल टाउन : मेरे परिचित की शादी को छह साल हो गए हैं। संतान नहीं होने से काफी परेशान हैं। क्या सलाह देनी चाहिए।
डा.दिशा : पहले तो टेस्ट कराना होगा कि महिला में कमी है या पुरुष में। अगर टेस्ट नार्मल रहते हैं तो मेडिकल से भी इलाज हो जाएगा। निशा, तहसील कैंप : बच्चेदानी में इन्फेक्शन के कारण बार:बार मिसकैरी हो रहा है। बच्चा ठहरता नहीं। बेहद परेशान हो चुके हैं। क्या करें।
डा.दिशा : देखना होगा की कहीं बच्चेदानी चिपकी तो नहीं हुई। हार्मोंस असामान्य होने से भी ऐसा हो जाता है। आप ठीक हो सकती हैं। चिता न करें। मां भी बन सकती हैं। दिनेश, तहसील कैंप : हमारी एक छह साल की बेटी है। पांच वर्ष से कोशिश कर रहे हैं दोबारा माता-पिता बनने की।
डा.दिशा : महिलाओं में कई बार अंडे बनने बंद हो जाते हैं। या अंडे 18 से 20 एमएम तक नहीं बन रहे।आइवीएफ तकनीक में मशीन के माध्यम से इस समस्या का समाधान हो सकता है। सुनीता, करनाल : पीसीओडी की शिकायत है। दो साल से कंसीव नहीं कर पा रही। अल्ट्रासाउंड भी कराया है।
डा.दिशा : ऐसे केस में आपको तीन से छह महीने तक इंतजार करना चाहिए। प्राकृतिक तरीके से कंसीव कर लेंगी। अंडा मैच्योर होने में समय लगता है। आपको अपना वजन कम करना होगा, बाहर का खानपान छोड़ना होगा। मधु, सेक्टर 13 : नौ से दस दिन पहले माहवारी आती है। पेट में बहुत दर्द रहता है। कई दिन तक कमजोरी बनी रहती है।
डा.दिशा : आपके हार्मोंस सामान्य करने होंगे।एक बार दवा से ठीक होने के बाद आपको खानपान ठीक करना होगा। समय पर सोना, समय पर खाना, बाहर का खाना छोड़ना होगा। पानी ज्यादा पिएं। हिना, सेक्टर 6 : शादी के दस साल हो गए हैं। थायराइड सामान्य है। फिर भी मां नहीं बन पा रही। पति में दिक्कत नहीं है।
डा.दिशा : यह देखना होगा कि अंडा कैसा बन रहा है। टेस्ट से पता चल जाएगा। अगर सब सामान्य रहता है तो मां बना जा सकता है। थोड़ा मेडिकल ट्रीटमेंट होगा। आइवीएफ से भी संतान कर सकते हैं। सपना, सेक्टर 7 : कुछ महीने पहले डिलीवरी हुई है। हर दो महीने में इन्फेक्शन हो जाता है। क्या करना चाहिए।
डा.दिशा : यह देखना होगा कि यूरिन इन्फेक्शन है या फंगल इन्फेक्शन। पानी ज्यादा पिएं। मिर्च मसाला छोड़ दें। हाईजीन का ध्यान रखें। टायलेट जाएं तो टीशूपेपर से सीट को साफ कर लें।
संतान नहीं होने के प्रमुख कारण
1- महिला की ट्यूब का ब्लाक होना
2- पुरुषों के स्पर्म का कमजोर होना
3- अंडे ठीक से नहीं बनना
4- ज्यादा उम्र में शादी
5- बच्चेदानी में टीबी जैसे रोग होना
6- महिला व पुरुष का शराब पीना, धूम्रपान करना। आइवीएफ के बारे में कब सोचना चाहिए
अगर दांपत्य जीवन में दो साल के दौरान भी संतान नहीं होती तो टेस्ट कराना चाहिए। जरूरी नहीं आइवीएफ से ही संतान होगी। दवाइयों से भी समस्या का समाधान कर मां बना जा सकता है। अगर तब भी समाधान नहीं होता तो आइवीएफ तकनीक से मां बन सकते हैं। 30 से 35 की उम्र के बीच संतान हो जानी चाहिए। इसके बाद देरी करना ठीक नहीं। क्योंकि शरीर में बहुत सारी पेचिदगियां आ जाती हैं। बच्चेदानी की झिल्ली छोटी होती जाती है।
परिचय
आइवीएफ एवं बांझपन विशेषज्ञ डा.दिशा मल्होत्रा। गायनोकोलाजी की डिग्री के बाद दिल्ली में आइवीएफ की ट्रेनिग ली। जर्मनी में भी आइवीएफ का डिप्लोमा इन रिप्रोड्यूस मेडिसिन किया। जर्मनी में काम करने के बाद पानीपत में अपना सेंटर खोला। क्या है आइवीएफ
इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आइवीएफ ) से दंपतियों को मिलता है संतान सुख। महिला के शरीर से अंडे निकालकर प्रयोगशाला में उनका मेल पति के स्पर्म्स से कराया जाता है। महिला को ऐसे इंजेक्शन दिए जाते हैं, जिससे ज्यादा अंडों का विकास हो। परिपक्त अंडों को निकाल लिया जाता है। महिला के पति के सीमन से अच्छी गुणवत्ता वाले स्पर्म्स को अलग कर उन्हें अंडों से मिलाया जाता है। प्रक्रिया से बने भ्रूण (एम्ब्रियो) को चार कोशिकाओं के स्तर तक प्रयोगशाला में रखा जाता है। तीसरे या पांचवें दिन महिला के यूट्रस में प्रत्यारोपित किया जाता है। दो हफ्ते बाद टेस्ट होता है, जिससे पता चलता है कि भ्रूण ने सही विकास आरंभ किया है या नहीं।