जानिए स्नैकमैन के बारे में, पलक झपकते ही जहरीले से जहरीले सांप पर पा लेते हैं काबू

करनाल जिले के फफड़ाना नाम के युवक सतीश को स्नैकमैन के नाम से जाना जाता है। 22 साल में करीब 13 हजार सांप पकड़ चुके हैं। आइए जानते हैं इनके बारे में।

By Anurag ShuklaEdited By: Publish:Mon, 20 Jan 2020 01:24 PM (IST) Updated:Tue, 21 Jan 2020 09:56 AM (IST)
जानिए स्नैकमैन के बारे में, पलक झपकते ही जहरीले से जहरीले सांप पर पा लेते हैं काबू
जानिए स्नैकमैन के बारे में, पलक झपकते ही जहरीले से जहरीले सांप पर पा लेते हैं काबू

पानीपत/करनाल, जेएनएन। जब करनाल के गांव या आसपास के शहर में कोई सांप निकलता है तो एक ही व्यक्ति का नाम सामने आता है। वह है स्नैकमैन। इसे सांपों से डर नहीं लगता है। जब कोई सांप इनके सामने आता है तो पल झपकते ही उसे पकड़ लेते हैं। अब तक हजारों जहरीले से जहरीला सांप स्नैकमैन पकड़ चुके हैं। 

 करनाल जिले के फफड़ाना नाम के युवक सतीश की पहचान प्रदेश में स्नैकमैन के रूप में हो चुकी है। जहां सांप देखते ही लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं, वहीं सतीश जहरीले से जहरीले सांप को पलभर में पकड़ लेने की क्षमता रखता है। कई बार वह सांप के फन की जद में भी आ चुका है, लेकिन जहर से बचने के गुर जानने की वजह से वह जल्दी से उपचार भी कर लेते हैं। 

सांप पकडऩे की देते हैं ट्रेनिंग

संपदर्श से वह कई लोगों की ङ्क्षजदगी बचा चुका है तो साथ ही लोगों को सांपों की विभिन्न प्रजातियों व उन्हें पकडऩे की ट्रेङ्क्षनग भी देता है। वह 22 साल में करीब 13 हजार सांप पकड़ चुका है। सांप पकडऩे के विशेष हुनर के लिए उन्हें प्रदेश सरकार सहित कई संस्थाओं की ओर से भी सम्मानित किया जा चुका है। 

सांप काटा तो स्वजनों के उड़े होश

सतीश ने 1998 में सांप पकडऩे की शुरूआत की थी। स्नैकमैन सतीश का कहना है कि बचपन में एक बार उसे सांप ने काट लिया तो स्वजनों के होश उड़ गए थे। उसने यह देखा कि सांप काटने से व्यक्ति खौफ में ज्यादा आ जाता है। इसलिए उसने ठान ली कि वह सर्पदंश से लोगों को बचाएगा और इसके पीडि़त लोगों की मदद करेगा। 

जुटानी शुरू की सांपों की जानकारियां

पहले उसने बिना किसी प्रशिक्षण के सांप पकडऩे शुरू कर दिए थे। लेकिन इसके बाद उसने सांपों से संबंधित जानकारियां जुटानी शुरू कर दी। सांप पकडऩे का विशेष प्रशिक्षण लेने की सोची। इसके लिए वह स्नेक पार्क चेन्नई गया। जहां प्रशिक्षण हासिल किया। इसके बाद पुणे, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में भी जाकर सांप पकडऩे का प्रशिक्षण हासिल किया। 

निशुल्क करते हैं सेवा

जहां भी सांप होने की सूचना मिलती तो वह पहुंच जाता। धीरे धीरे लोगों को उसके हुनर के बारे में पता चला तो जिले में यदि कहीं पर भी सांप निकले तो उससे संपर्क साधा जाता। वह भी बिना देर लगाए मौके पर पहुंचता। यह सेवा वह निशुल्क करता है। अलबत्ता धीरे धीरे करनाल सहित पानीपत, कैथल, जींद व कुरुक्षेत्र से भी लोग उसे बुलाने लगे। 

झाड़ फूंक के चक्कर में न पड़ें: सतीश 

सतीश का कहना है कि सांप काटने के बाद लोगों को झाड़-फूंक के चक्कर में नहीं पडऩा चाहिए। इससे सर्पदंश से पीडि़त व्यक्ति की जान जा सकती है। सांप के काटने के बाद तुरंत पीडि़त को अस्पताल तक पहुंचाना चाहिए। ताकि पीडि़त की जान बचाई जा सके। 

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