पूर्व सीएम चौटाला का गढ़ था जींद, यहां की दो विधानसभा सीट जीतकर पाई थी हरियाणा की चौधर

जींद इनेलो का कभी गढ़ था। जींद की दो विधानसभा सीट जीतकर चौटाला सीएम की कुर्सी पर बैठे थे। पूर्व सीएम ओम प्रकाश चौटाला की रिहाई के बाद अब सियासी गलियारों में चर्चा तेज हो गई है। वहीं कार्यकर्ताओं में भी खुशी की लहर दौड़ गई।

By Anurag ShuklaEdited By: Publish:Thu, 24 Jun 2021 07:57 AM (IST) Updated:Thu, 24 Jun 2021 07:57 AM (IST)
पूर्व सीएम चौटाला का गढ़ था जींद, यहां की दो विधानसभा सीट जीतकर पाई थी हरियाणा की चौधर
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी ओमप्रकाश चौटाला।

जींद, [कर्मपाल गिल]। जेबीटी घोटाले में पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी ओमप्रकाश चौटाला की सजा पूरी होने के बाद जींद में इनेलो कार्यकर्ताओं में जोश देखने को मिला। उचाना, जींद, सफीदों, नरवाना सहित सभी हलकों में कार्यकर्ताओं ने लड्डू बांटे। चौटाला की रिहाई की खबर सुनने के बाद सियासी गलियारों में इसी बात पर चर्चा होती रही कि वे अपने गढ़ जींद को दोबारा मजबूत कर पाएंगे या नहीं?

कार्यकर्ताओं को उम्‍मीद

सियासी रूप से जींद जिला ओमप्रकाश चौटाला के काफी उर्वर रहा है। लेकिन इनेलो में दोफाड़ होने के बाद ज्यादा वर्कर जेजेपी में शिफ्ट हो गए थे। कई पूर्व विधायक भी पार्टी को अलविदा कह गए थे। अभी तक सजा काट रहे चौटाला राजनीतिक रूप से खुलकर मैदान में नहीं थे, लेकिन इनेलो वर्करों को अब भी उम्मीद है कि उम्र के आखिरी पड़ाव पर ओमप्रकाश चौटाला एक बार फिर अपना जलवा दिखा देंगे।

इनेलो की राजनीति की आस जींद से

पार्टी के जिला प्रधान पूर्व विधायक रामफल कुंडू कहते हैं कि चौटाला साहब गाड़ी में बैठकर ही गांवों के चक्कर काट दें तो इससे ही वर्करों का हौसला बढ़ जाएगा। उनकी मौजूदगी ही काफी है। इनेलो की राजनीति अब जींद जिले ही चलेगी। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि चौटाला जींद में पार्टी को मजबूत कर गए तो पूरे हरियाणा में माहौल बदल सकता है।

रोड़ी व नरवाना से जीत हासिल की थी चौटाला ने

खुद चौटाला ने जींद की धरती से ही बड़ी सियासी उड़ान भरी हैं। वर्ष 2000 के विधानसभा चुनाव में रोड़ी व नरवाना से जीत हासिल करने के बाद मुख्यमंत्री बने चौटाला नरवाना हलके से ही विधायकी रखी थी और रोड़ी की सीट छोड़ दी थी। उस दौरान मुख्यमंत्री रहते हुए चौटाला के महीने में चार से पांच चक्कर जींद जिले के लग जाते थे।

जींद के कार्यकर्ताओं को दी थी सौगात

जींद के पार्टी कार्यकर्ताओं को भी उन्होंने सरकार व प्रशासन में सेट किया। डा. एके चावला को कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय का वीसी बनाया, गुलशन भारद्वाज को एचपीएससी का सदस्य बनाया, सूरजभान काजल को वित्त आयोग का चेयरमैन, जेएन भारद्वाज को कंज्यूमर कोर्ट का चेयरमैन, लक्ष्मण मिर्धा व सतबीर लोधर को एसएस बोर्ड का मेंबर बनाया। यानि चौटाला ने हर बिरादरी में अपने समर्पित वर्करों की टीम तैयार कर दी थी। जिले की जनता ने भी चौटाला को वोट देने में कभी कसर नहीं छोड़ी। लेकिन वर्तमान में पार्टी जिले में हाशिए पर है। अभय चौटाला बेशक वर्करों को जोड़कर संगठन को मजबूत करने में जुटे हुए हैं, लेकिन अभी काफी मेहनत की जरूरत है।

जींद बनाने में आगे तो खाने में भी आगे

चौटाला की रिहाई पर उचाना अनाज मंडी में जश्न मनाने पहुंचे इनेलो के जिला प्रधान रामफल कुंडू, व्यापारिक सेल के प्रदेशाध्यक्ष सतीश जैन, महिला सेल की प्रदेशाध्यक्ष सुमित्रा देवी, प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य सूबे ङ्क्षसह लोहान ने व्यापारियों के साथ मिलकर लड्डू बांटे। रामफल कुंडू ने कहा कि जींद जिला किसी को बनाने में आगे है तो खोने में भी आगे है। जींद जिला चौटाला की कर्मभूमि रहा है। यहीं से पार्टी को एक बार फिर संजीवनी मिलेगी। इस मौके पर व्यापारी रामनिवास गोयल, रामनिवास, सतनारायण बंसल, सुरेश जैन, अनिल जैन, महावीर दरौली, राजा राम सरपंच कृष्ण समेत सैकड़ों कार्यकर्ता और पदाधिकारियों ने लड्डू बांटे।

पहली बार 1989 में बने थे सीएम

पूर्व सीएम ओम प्रकाश चौटाला पांच बार हरियाणा विधान सभा के सदस्य रह चुके हैं। वर्ष 1989 में पहली बार मुख्यमंत्री बने। 1990, 1991 और 2000 में भी मुख्यमंत्री पद की दौड़ में विजयी हुए। 2000 में ओम प्रकाश चौटाला नरवाना और रोड़ी से जीते थे। बाद में रोड़ी को छोड़कर नरवाना निर्वाचन क्षेत्र को चुना था। 1999 में भारतीय राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष चुने गए।

इस मामले में जेल में थे बंद

हरियाणा में जेबीटी शिक्षक भर्ती घोटाले का मामला आया था। अनियमितताओं का मामला सामने आने के बाद सीबीआइ ने जनवरी 2004 में राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला, उनके विधायक पुत्र अजय सिंह चौटाला सहित कुल 62 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। सीबीआइ ने वर्ष 2008 में आरोपियों के खिलाफ अदालत में आरोपपत्र पेश किया था। इसके बाद ओमप्रकाश चौटाला और अजय सिंह चौटाला को 16 जनवरी 2013 को दस वर्ष की सजा सुनाई गई थी।

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