कौन डकार गया नाले से निकला सरिया, गोदाम तक पहुंचा नहीं, अधिकारी बने अनजान

यमुनानगर में नाले को जेसीबी से तोड़कर सरिया निकाला गया। उसके बाद इसको ट्रालियों में लोड किया गया। यह सरिया निगम की गोदाम में जाने की बजाय कहीं ओर ही गया है। कहां गया है इस बारे नगर निगम अधिकारी भी संतोषजनक जवाब नहीं दे पा रहे हैं।

By Rajesh KumarEdited By: Publish:Tue, 14 Dec 2021 05:43 PM (IST) Updated:Tue, 14 Dec 2021 05:43 PM (IST)
कौन डकार गया नाले से निकला सरिया, गोदाम तक पहुंचा नहीं, अधिकारी बने अनजान
यमुनानगर में नाले को तोड़कर निकाला गया सरिया गायब।

यमुनानगर, जागरण संवाददाता। यमुनानगर के अग्रसैन चौक से बूड़िया चौक तक करीब एक करोड़ से हो रहा निकासी व टाइलें बिछाने का काम एक बार फिर विवादों में आ गया है। यहां 10 वर्ष पहले पीड्ब्ल्यूडी की ओर से बनाए गए नाले से निकला लाखों रुपये का सरिया आखिर चला कहां गया? निगम के गोदाम में है नहीं और अधिकारी ठेकेदार द्वारा ले जाने की बात से इंकार कर रहे हैं। जबकि ट्रालियों में लोड हो रहे सरिये की वीडियो इंटरनेट मीडिया पर वायरल हो रही है। आरोप यह लग रहे हैं कि नाले से निकले सरिये को खुर्द-पुर्द किया जा चुका है। निकासी के लिए पाइप लाइन दबाने का काम कर रही एजेंसी की मंशा पर भी सवाल उठ रहे हैं।      

जेसीबी से तोड़कर निकाला सरिया

नाले को जेसीबी से तोड़कर सरिया निकाला गया। उसके बाद इसको ट्रालियों में लोड किया गया। यह सरिया निगम की गोदाम में जाने की बजाय कहीं ओर ही गया है। कहां गया है, इस बारे नगर निगम अधिकारी भी संतोषजनक जवाब नहीं दे पा रहे हैं। नाले की लंबाई करीब एक किलोमीटर थी। इसमें कई क्विंटल सरिया होने की बात सामने आ रही है। नियमानुसार यह सरिया निगम के गोदाम में जमा होना चाहिए था।  

एक करोड़ की लागत से बना था नाला 

दरअसल, पानी बरसाती पानी की निकासी के लिए वर्ष 2011 में पीडब्ल्यूडी ने सड़क के दोनों ओर नाले का निर्माण करवाया। नाले की लंबाई दोनों ओर करीब दो किलोमीटर है। यह तीन फीट चौड़ा व दो फीट गहरा बनाया गया था ताकि पानी की निकासी सही तरीके से हो सके। इस पर करीब एक करोड़ रुपये खर्च आया था, लेकिन जिस उद्देश्य के लिए यह नाला बनाया, वह पूरा नहीं हो पाया। अब पीडब्ल्यूडी की ओर से बने नाले को उखाड़ कर अब नगर निगम अधिकारी निकासी के लिए पाइप लाइन बिछा रहे हैं। हालांकि एक ओर काम पूरा हो गया है जबकि दूसरी ओर जारी है। 

निकासी पर भी सवाल 

जानकारों के मुताबिक नाला तीन फीट चौड़ा व दो फीट गहरा था। अब जो पाइप डाला जा रहा है वह के डेढ़ फीट चौड़ा है। सवाल यह उठ रहा है कि जब तीन फीट चौड़े नाले से पानी की निकासी नहीं हो पाई तो डेढ़ फीट पाइप से कैसे हो पाएगी? नाले की लंबाई करीब एक किलोमीटर है और इस पर एक करोड़ रुपये खर्च किए जाने की योजना है।

दूसरी साइड धंस चुकी टाइलें 

अग्रसेन चौक से बूड़िया चौक तक बिछाई जा चुकी इंटरलाकिंग टाइलों की गुणवत्ता पर भी सवाल उठ रहे हैं। गत वर्ष सररस्वती स्कूल की ओर बिछाई गई टाइलें कई जगह धंस चुकी हैं। एक बारिश भी नहीं झेल पाई। तीन माह बाद ही धंसनी शुरू हो गई थी। क्षेत्र के लोग ने टाइलों की गुणवत्ता पर सवाल उठा रहे हैं। अब दूसरी ओर भी टाइलों के बिछाने का काम चल रहा है। यहां भी सही तरीके से मेटेरियल न डाले जाने के आरोप लग रहे हैं। शिकायत सीएम को भेजी जा चुकी है।  

नहीं होती टाइलों की जांच 

टाइलों की गुणवत्ता की जांच का मामला कई बार हाउस की बैठक में उठ चुका है। पार्षदों की मांग पर नगर निगम ने तीन लाख रुपये की लागत से ऑटोमेटिक कांप्रेसिव स्ट्रेंथ मशीन तो जरूर खरीदी, लेकिन यह निगम कार्यालय में धूल फांक रही है। न मौके पर टाइलों की जांच हो रही है और न ही दोयम दर्जे की टाइलों के प्रयोग पर रोकथाम लग पाई। गत दिनों मॉडल टाउन में बिछाई जा रही टाइलों की क्वालिटी पर भी सवाल उठ चुके हैं। विधायक ने स्वयं दौरा कर यह काम रुकवाया था। इस मामले में नगर निगम का एक जेई भी चार्जशीट हुआ था

मैं चैक करवाता हूं

नगर निगम के एक्सइएन एलसी चौहान का कहना है कि नाले से निकला सरिया कहां है, यह जानने के लिए मैने संबंधित फोटो व वीडिया मंगवाई है। मुझे यह बताया गया है कि छिटपुट सरिया निकला है जोकि मलबे के साथ पड़ा हुआ है। यदि सरिया अधिक मात्रा में है तो इसकी जांच करवाएंगे। मैं खुद इसको चैक करवाता हूं। 

एजेंसी व अधिकारियों की मिलीभगत

वार्ड पांच से पार्षद देवेंद्र कुमार का कहना है कि नाले को तोड़ते समय उससे सरिया निकला है। यह सरिया निगम के गोदाम में होना चाहिए। यदि नहीं है तो निगम अधिकारियों व कार्य कर रही एजेंसी की मिलीभगत से खुदपुर्द हुआ है। इसकी जांच होनी चाहिए।

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