Independence Day 2021: अंबाला एयरफोर्स स्टेशन पर बना फ्रोजन टीयर मेमोरियल, जांबाज वायु सैनिकों की दिलाता है याद

अंबाला एयरफोर्स स्टेशन भारत का सबसे महत्वपूर्ण एयरबेस है। यह वही एयरबेस है जहां विश्व के अत्याधुनिक लड़ाकू जहाज राफेल की स्कवाड्रन मौजूद है। इस एयरफोर्स स्टेशन पर बने फ्रोजन टीयर मेमोरियल हमें जांबाज वायु सैनिकों की याद दिलाता है।

By Umesh KdhyaniEdited By: Publish:Sat, 14 Aug 2021 08:13 PM (IST) Updated:Sun, 15 Aug 2021 12:48 PM (IST)
Independence Day 2021: अंबाला एयरफोर्स स्टेशन पर बना फ्रोजन टीयर मेमोरियल, जांबाज वायु सैनिकों की दिलाता है याद
अंबाला एयरफोर्स स्टेशन पर बना फ्रोजन टीयर मेमोरियल

अंबाला, जागरण संवाददाता। भारतीय वायुसेना हमेशा देश की सीमाओं की रक्षा करने में अपनी अहम भूमिका निभाती रही है। अंबाला में ब्रिटिश काल में अंग्रेजों ने एयरबेस स्थापित किया था। आज यह एयरबेस सौ साल से भी अधिक का हो चुका है। इसी एयरबेस पर फ्रोजन टीयर मेमोरियल भी है, जो जांबाज वायुसैनिकों की याद को दिलाता है।

अंबाला देश के पुराने एयरबेस में शामिल

अंबाला देश के पुराने एयरबेस में शामिल है, जो कभी रायल एयरफोर्स का हिस्सा रहा था। आजादी के बाद इसे भारतीय वायुसेना का नाम दिया गया। शुरुआत में यहां पर फ्लाइंग ट्रेनिंग स्कूल शुरू किया गया था, यहां हावर्ड व स्पिटफायर हवाई जहाज उड़ाये जाते रहे। इसके बाद अंबाला एयरबेस पर वैंपायर, तूफानी, हंटर जैसे विमानों ने भी उड़ान भरी। स्पिट फायद व हावर्ड ने सन 1947-48 में कश्मीर घाटी में कई आपरेशन को अंजाम दिया। यहां पर अब सेवन विंग हैं, जहां पर जगुआर और मिग 21 बाइसन भी रहे। मौजूदा समय में यहां पर विश्व के अत्याधुनिक लड़ाकू जहाज राफेल की स्कवाड्रन भी आ चुकी हैं।

1982 में फ्रोजन टीयर मेमोरियल का हुआ था शुभारंभ

अंबाला एयरबेस पर साल 1982 में वार मेमोरियल फ्रोजन टीयर मेमोरियल का शुभारंभ किया गया था। इस में उन पायलटों के नाम भी शामिल हैं, जिन्होंने दिसंबर 1953 से विभिन्न आपरेशन में अंबाला एयरबेस से उड़ान भरी। यह मेमोरियल एयर ट्रैफिक कंट्रोल बिल्डिंग के पीछे स्थापित है। अक्टूबर 2003 तक 34 नाम इस मेमोरियल पर उकेरे गए है। खास बात यह है कि फ्लाइंग आफिसर जीएस आलूवालिया ने सितंबर 1956 में विमान तूफानी को क्रैश होने से बचाया था। जिन्होंने भारत-पाक युद्ध 1971 में भाग लिया और एक हीरो की तरह उभरकर सामने आए। हाल के आपरेशन की बात करें, तो बालाकोट एयरस्ट्राइक में भी इस एयरबेस का रोल रहा, जहां से मिंटी अग्रवाल ने श्रीनगर से लड़ाकू जहाजों को उड़ाया, जिनमें अभिनंदन भी शामिल था।

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