आंकड़े बोलते हैं, हरियाणा में दर्ज होने लगीं शिकायतें, लोगों को मिल रहा इंसाफ

हरियाणा में अब लोगों को इंसाफ मिलने लगा है। आंकड़े इस बात के गवाह हैं। साल 2011 में जहां 12 हत्याएं हुईं। वहीं 2020 में आंकड़ा 58 तक पहुंचा 2018 में था 69। अनुसूचित जाति-जन जाति के उत्पीडऩ की शिकायत मिलते ही पुलिस करती है केस दर्ज।

By Anurag ShuklaEdited By: Publish:Sat, 26 Jun 2021 08:26 AM (IST) Updated:Sat, 26 Jun 2021 08:26 AM (IST)
आंकड़े बोलते हैं, हरियाणा में दर्ज होने लगीं शिकायतें, लोगों को मिल रहा इंसाफ
हरियाणा में अब केस दर्ज होने से इंसाफ के प्रति लोगों में विश्‍वास बढ़ा है।

अंबाला, [दीपक बहल]। हरियाणा में अनुसूचित जाति एवं जन जाति के लोगों के उत्पीडऩ पर राज्य सरकार गंभीर है। प्रदेश के सभी पुलिस कप्तानों से डाटा एकत्रित किया गया कि किन-किन मामलों में उत्पीडऩ के केस ज्यादा दर्ज हुए हैं और मुकदमों की स्थिति क्या है? अब उत्पीडऩ की शिकायत मिलते ही पुलिस एफआइआर दर्ज कर रही है। यही कारण है कि ऐसे मामलों में वृद्धि नजर आती है। लेकिन केस दर्ज होने के कारण लोगों को इंसाफ भी मिल रहा है।

गौरतलब है कि सन 2011 में जहां अनुसूचित जाति के लोगों की हत्या के मामले प्रदेश में 12 थे, वहीं 2020 में 58 पहुंच गए। हालांकि 2018 की तुलना में हत्या के मामलों में कमी आई है, क्योंकि कुल 69 मामले दर्ज हुए थे यानी 2020 में 11 वारदातें कम हुई हैं। शेड्यूल कास्ट्स एंड शेड्यूल ट्राइब्स (प्रीवेंशन आफ एट्रोसिटीज़) एक्ट 1989 (2018 में संशोधित) में एफआइआर से पहले जांच करने का कोई प्रविधान नहीं है। इसलिए भी उत्पीडऩ के केस अधिक दर्ज हो रहे हैं।

साल दर साल के आंकड़ों पर नजर डालें तो सन 2011 में हत्याओं के 12 मुकदमे दर्ज किए गए थे। इसके बाद यह आंकड़ा लगातार बढ़ता ही गया। सन 2012 में 15, 2013 में 24, 2014 में 24, 2015 में 22, 2016 में 38, 2017 में 34, 2018 में 69, 2019 में 42 और 2020 में 58 मुकदमे दर्ज हुए। यदि सिर्फ एससी/एसटी एक्ट की बात करें, तो 2011 में यह आंकड़ा 22 था, जबकि 2020 में यह 274 तक पहुंच गया। सन 2012 में 18 केस दर्ज हुए, जबकि 2013 में 15, 2014 14, 2015 में 19, 2016 में 32, 2017 में 36, 2018 में 40, 2019 में 40 तथा 2020 में 274 केस दर्ज किए गए।

इन जिलों में राहत रही

सन 2020 की बात करें, तो हत्या के कुल 58 मुकदमे प्रदेश में दर्ज किए गए। अंबाला, पंचकूला, सिरसा, झज्जर और प्रदेश की रेलवे सीमा में हत्या की एक भी वारदात नहीं हुई। हिसार में सबसे अधिक आठ, करनाल में एक, कुरुक्षेत्र में पांच, कैथल में चार, यमुनानगर में दो, हांसी में तीन, जींद में पांच, भिवानी में दो, चरखीदादरी में एक, फतेहाबाद में चार, रोहतक में पांच, पानीपत में दो, सोनीपत में एक, गुरुग्राम में दो, फरीदाबाद में चार, रेवाड़ी में तीन, नारनौल में एक, नूंह में एक और पलवल में हत्या के चार केस दर्ज किए गए।

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