एनजीटी के आदेशों की अनदेखी, पश्चिमी यमुना नहर में गिर रहे नालों को नहीं किया जा रहा डायवर्ट

यमुनानगर में एनजीटी के आदेशों को लेकर अधिकारी गंभीर नजर नहीं आ रहे हैं। बैठकों तक ही पश्चिमी यमुना नहर में गिर रहे नालों को रोकने की कार्रवाई सिमट रही है। जगाधरी की मेटल इकाइयों से निकलने वाला पानी में नालों के माध्यम से नहर में ही गिर रहा है।

By Rajesh KumarEdited By: Publish:Tue, 17 May 2022 01:14 PM (IST) Updated:Tue, 17 May 2022 01:14 PM (IST)
एनजीटी के आदेशों की अनदेखी, पश्चिमी यमुना नहर में गिर रहे नालों को नहीं किया जा रहा डायवर्ट
यमुनानगर में एनजीटी के आदेशों की अनदेखी।

यमुनानगर, जागरण संवाददाता। यमुनानगर में पश्चिमी यमुना नहर में गिर रहे नालों को रोकने की कार्रवाई केवल बैठकों तक सिमटकर रह गई हैं। एनजीटी के निर्देशानुसार बैठकों में नालों को डाइवर्ट करने की प्लानिंग तो बनती है, लेकिन कार्रवाई इससे आगे नहीं बढ़ पाती। निगम एरिया में एक नहीं बल्कि कई जगह केमिकल युक्त पानी के नाले नहर में गिर रहे हैं। जबकि शहर से निकल रहे पानी को ट्रीट करने के लिए सीवरेज वाटर ट्रीटमेंट प्लांट भी लगे हैं। बावजूद इसके इन नालों को डाइवर्ट करने को लेकर अधिकारी गंभीर नहीं हैं। जगाधरी की मेटल इकाइयों से निकलने वाला पानी में नालों के माध्यम से नहर में ही गिर रहा है।

पांच जनवरी तक डावइर्ट करने के दिए थे आदेश 

पश्चिमी यमुना नहर को प्रदूषित कर रहे नालों को सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांटों में डाइवर्ट नहीं हो पाए। नगर निगम के साथ-साथ ग्रामीण एरिया में भी ये नाले नहर में गिर रहे हैं। जबकि 29 दिसंबर 2021 को हुई पर्यावरण निगरानी टास्क फोर्स की बैठक में डीसी ने पांच जनवरी तक सभी नालों को सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांटों में ले जाने के आदेश दिए थे। उन्होंने स्पष्ट किया था कि फंड की वजह से कोई कार्य न रूकने पाए। यह भी कहा था कि फंड के लिए वे स्वयं भी संबंधित विभाग के मुख्यालय को पत्र लिखें और उनसे भी डीओ लेटर लिखवाएं।  हालांकि दड़वा माजरी के नजदीक नाले व डेयरी कांप्लेक्स से निकलने वाले नाले को परवालो स्थित ट्रीटमेंट प्लांट में ले जाने की प्रक्रिया जरूर शुरू हो गई है, लेकिन अन्य जगहों के ये नाले अभी नहर में ही गिर रहे हैं।

एनजीटी के आदेशों की अवहेलना 

नवंबर-2016 में सीएम मनोहर लाल औद्योगिक इकाइयों से निकल रहा केमिकल युक्त पानी व सीवरेज का बहाव को रोकने के आदेश दे चुके हैं। उनके आदेशों के बावजूद हमीदा कालोनी व अन्य क्षेत्रों से कई नाले नहर में गिर रहे हैं। नाले का पानी नहर में गिरते हुए पूरे के पूरे नहर के पानी का रंग ही बदल देता है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की ओर से भी नालों का बहाव रोकने के आदेश दिए जा चुके हैं। दूषित पानी सिर्फ नहर के पानी को ही प्रदूषित नहीं कर रहा है, इससे भूजल भी प्रदूषित हो रहा है। इसके साथ ही केमिकल युक्त दूषित पानी के नहर में गिरने से श्रद्धालुओं की आस्था आहत होती है।

संकट में जलीय जीव 

केमिकल युक्त पानी के कारण जलीय जीवों का जीवन संकट में है। विशेषेज्ञों केमिकल युक्त दूषित पानी से टाइफाइड, डायरिया जैसे जल जनित बीमारी हो जाती हैं। हैवी मेटल (इंडस्ट्री से निकलने वाला दूषित पानी) से कैंसर, दिमाग का विकसित नहीं होना, किडनी फेल होना, फेफड़े सहित अन्य बीमारी हो जाती है। यमुनानगर-जगाधरी शहर के अलावा आसपास के गांवों से भी गंदे पानी की निकासी के नाले नहर में गिर रहे हैं। जबकि शहरी एरिया से निकल रहे नालों को डाइवर्ट कर एसटीपी तक ले जाने की योजना है।

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