खाकी को सलाम..देने का भाव सिखा गए ज्ञानानंद, एसपी ने त्याग को सराहा

कोरोना संक्रमण के दौर से लेकर हर परिस्थिति में समाज की मदद के लिए खड़े पुलिसकर्मियों के सम्मान में दैनिक जागरण ने पुलिस प्राइड अवार्ड समारोह का आयोजन किया। गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद ने कर्म का संदेश देते हुए देने का भाव सिखाया। इसका महत्व बताया। एसपी शशांक कुमार सावन ने पूरी पुलिस टीम को सराहा।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 28 Oct 2021 08:17 PM (IST) Updated:Thu, 28 Oct 2021 08:17 PM (IST)
खाकी को सलाम..देने का भाव सिखा गए ज्ञानानंद, एसपी ने त्याग को सराहा
खाकी को सलाम..देने का भाव सिखा गए ज्ञानानंद, एसपी ने त्याग को सराहा

जागरण संवाददाता, पानीपत : कोरोना संक्रमण के दौर से लेकर हर परिस्थिति में समाज की मदद के लिए खड़े पुलिसकर्मियों के सम्मान में दैनिक जागरण ने पुलिस प्राइड अवार्ड समारोह का आयोजन किया। गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद ने कर्म का संदेश देते हुए देने का भाव सिखाया। इसका महत्व बताया। एसपी शशांक कुमार सावन ने पूरी पुलिस टीम को सराहा।

जीटी रोड पर गीता सरोवर पोर्टिको में पुलिसकर्मियों का सम्मान किया गया। पानीपत जिले के सभी ब्लाक से उन पुलिसकर्मियों को अवार्ड दिया, जिन्होंने समाज के लिए दिन-रात एक कर दिया। एसपी शशांक कुमार सावन ने मंच से अपनी टीम को सराहा। साथ ही कहा कि आगे भी इसी तरह अपनी जिम्मेदारी निभाएं। दैनिक जागरण ने जो पहल की है, उससे पूरी पुलिस टीम का उत्साह बढ़ा है। यह प्रेरणाभरी शाम है। पुलिसकर्मी यहां से संदेश लेकर जाएं कि वह न केवल खुद बेहतर काम करेंगे, बल्कि साथियों को भी इसी तरह उत्साहित करेंगे।

दैनिक जागरण के महाप्रबंधक राहुल मित्तल, एडीसी वीना हुड्डा ने भी पुलिस कर्मचारियों का सम्मान किया। समारोह के मुख्य स्पांसर जेपी मार्ट से अनिल पाहवा, रियल हाइट्स डेवलपर्स से राजेश गुप्ता, द मेडिसिटी अस्पताल से डा.प्रवीण कादियान, वर्धमान टीवीएस से सचिन जैन, कृष्णा कृष्णा ज्वेलर्स से मनोज, समाजसेवी विजय लक्ष्मी पालीवाल, दीपक कादियान भी मंच पर मौजूद रहे। जीवन के इन तीन मंत्रों से समझें, कैसा हो जीवन

1- समुद्र की तरह बटोरो नहीं, बादल की तरह बांटो

स्वामी ज्ञानानंद ने कहा, समुद्र में ढेरों नदियां मिलती हैं। हम इसी समुद्र का एक गिलास पानी नहीं पी सकते। लाखों लीटर पानी बटोरकर भी समुद्र खारा का खारा ही रहता है। उसमें देने का भाव नहीं है। इसी समुद्र के पानी को बादल वर्षा के रूप में बरसाते हैं। बादल अपने पास सहेजते नहीं, बांटते हैं। जीवन भी ऐसा ही बनाएं। बटोरने की नीयत न रखें।

2- केक को छुरी से नहीं, चम्मच से काटें, भाव बदलेगा

स्वामी ज्ञानानंद ने कहा कि खुशी के अवसर पर केक काटा जाता है। अब हम भी इन्कार नहीं करते। लेकिन एक बदलाव किया है। छुरी की जगह चम्मच मंगाते हैं। क्योंकि छुरी काटने का काम करती है, चम्मच बांटने का भाव देता है। एक छोटे से बदलाव से कितना बड़ा अंतर हो जाता है। इसलिए जीवन में काटने नहीं, बांटने के लक्ष्य को लेकर चलें।

3- मन की शक्ति बढ़ाएं, इसी से कोरोना को हराया है

स्वामी ज्ञानानंद ने मन की शक्ति बढ़ाने के लिए गीता पढ़ने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा, वैक्सीन लगवाकर निश्चित रूप से इम्युनिटी बढ़ती है। लेकिन मन की इम्युनिटी बढ़ाना भी जरूरी है। भागवत गीता एक बूस्टर डोज की तरह काम करती है। ये मजबूती ही तो थी, जो भारत ने सौ करोड़ से ज्यादा टीकाकरण कर लिया। दुनिया ने हमसे सीखी सेवा भावना

स्वामी ज्ञानानंद ने कहा कि दुनिया ने भारत से सेवा भावना सीखी है। कोविड के वक्त दुनिया के विकसित देशों में जिनको कोरोना हुआ, वे घरों में कैद थे। उनकी कोई सुध लेने नहीं पहुंचा। भारत में त्याग की भावना देखी गई। घर-घर जाकर खाना पहुंचाया। मरीजों को अस्पताल तक ले गए। सामाजिक संस्थाओं ने संगठित भूमिका निभाई, जो वंदनीय है।

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