यूं तो सड़ जाएगा गरीबों का निवाला, करनाल में 110 करोड़ के गेहूं का तीन साल से नहीं हुआ उठान

करनाल में सरकारी गेहूं की अनदेखी। 50 हजार मीट्रिक टन गेहूं उठान के इंतजार में। बरसाती सीजन में यह सड़ रहा है। पहले असंध फिर जुंडला में शिकायतें आईं। इस गेहूं की खरीद डीएफएससी तो उठान एफसीआइ के जिम्मे है। दोनों विभागों में तालमेल नहीं है।

By Umesh KdhyaniEdited By: Publish:Sun, 18 Jul 2021 03:40 PM (IST) Updated:Sun, 18 Jul 2021 03:40 PM (IST)
यूं तो सड़ जाएगा गरीबों का निवाला, करनाल में 110 करोड़ के गेहूं का तीन साल से नहीं हुआ उठान
करनाल के जुंडला की अनाज मंडी में सड़ रहा सरकारी गेहूं।

अश्विनी शर्मा, करनाल। बरसाती सीजन में सरकारी गेहूं का स्टॉक खराब होने की शिकायतें लगातार सामने आ रही हैं। पहले असंध और अब जुंडला में गेहूं का स्टॉक खराब होने की बात सामने आई है। कमोबेश यही स्थित अन्य जगहों पर रखे स्टॉक की भी है।

इस मामले की तह में जाकर देखा जाए तो करनाल जिले में 50 हजार मीट्रिक टन गेहूं का स्टॉक ऐसा है, जो तीन साल से उठान को तरस रहा है। स्टॉक जिला खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के पास है और उठान भारतीय खाद्य निगम को करना है। इस गेहूं की कीमत करीब एक अरब 10 करोड़ रुपये है। जाहिर तौर पर दोनों ही विभाग इस स्टॉक के प्रति गंभीर नहीं है। एक विभाग उचित से देखभाल नहीं कर पा रहा है तो दूसरा विभाग उठान को लेकर गंभीर नहीं है।

तभी आती है खराब गेहूं व आटा मिलने की शिकायत

आम तौर पर राशन डिपो पर खराब गेहूं व आटा मिलने की शिकायत आती है। इसकी शुरुआत यही से होती है। पहले सार्वजनिक वितरण प्रणाली में जाने वाले इस गेहूं के स्टॉक की बेकद्री होती है। बाद में जस तस के स्टाक उठाया जाता है। फिर यह दूसरे राज्यों के लिए रवाना कर दिया जाता है। जैसे जैसे ही यह लोगों तक पहुंचता है तो उसकी गुणवत्ता पूरी तरह से खराब हो चुकी होती है।

70 हजार मीट्रिक टन में से उठा महज 20 हजार

वर्ष 2019-20 का गेहूं का स्टाक करीब 70 हजार मीट्रिक टन बचा हुआ था। इसमें पिछले कुछ महीनों में महज 20 हजार मीट्रिक टन का उठान ही हो पाया है। अभी भी 50 हजार मीट्रिक टन सरकारी गेहूं उठान के इंतजार में है। यह गेहूं करनाल जिले के असंध, जुंडला, तरावड़ी, नीलोखेड़ी, इंद्री, करनाल, निसिंग क्षेत्र में स्टाक है।

खुले में रखा जाता है अधिकतर स्टॉक

गेहूं का अधिकतर स्टाक खुले में रखा जाता है। इसके रखरखाव के लिए स्टाक इंचार्ज को चौकीदार, दवाइयां व तिरपाल दी जाती है। लेकिन इसके बाद भी गेहूं खराब होने की शिकायत आना आम बात है। बरसात के सीजन में यह बात सामने आ जाती है कि गेहूं का स्टाक खराब हो रहा है। इसी बीच में किसी स्टाक के इंचार्ज का तबादला हो जाए तो वह भी अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेता है।

एफसीआइ को लिखे जा चुके हैं कई पत्रः डीएफएससी

डीएफएससी निशांत राठी का कहना है कि वर्ष 2019-20 के गेहूं स्टाक के उठान को लेकर एफसीआइ को कई पत्र लिखे जा चुके हैं। यह लंबी स्टोरेज हो चुकी है। पत्राचार के बाद अब उम्मीद है कि यह स्टाक जल्द उठा लिया जाए। स्टाक का गेहूं खराब होता है तो उसके लिए संबंधित इंस्पेक्टर जिम्मेदार है। क्योंकि उसके रखरखाव के लिए दवाइयां, तिरपाल व चौकीदार उन्हें दिया जाता है।

करवाई जाएगी मामले की जांचः उपायुक्त

करनाल के जिला उपायुक्त निशांत यादव का कहना है कि तीन साल से गेहूं के स्टॉक का उठान नहीं होने और उसके खराब होना गंभीर मामला है। इस मामले की जांच करवाई जाएगी। जिस भी अधिकारी या कर्मचारी की लापरवाही पाई गई, उस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

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