पूर्व मंत्री पानीपत के ओमप्रकाश जैन का कोरोना से निधन

पानीपत में रहने वाले पूर्व मंत्री ओमप्रकाश जैन की मौत हो गई। दिल्‍ली में चल रहा था इलाज। बंसीलाल और भूपेंद्र सिंह हुड्डा सरकार में मंत्री रहे। कंबोपुरा के पूर्व सरपंच की मौत के बाद पद से इस्‍तीफा देना पड़ा था। 2019 में कांग्रेस के टिकट पर लड़ा था चुनाव।

By Ravi DhawanEdited By: Publish:Mon, 16 Nov 2020 11:31 AM (IST) Updated:Mon, 16 Nov 2020 11:31 AM (IST)
पूर्व मंत्री पानीपत के ओमप्रकाश जैन का कोरोना से निधन
पूर्व मंत्री ओमप्रकाश जैन का दिल्‍ली अस्‍पताल में हुआ निधन।

पानीपत, जेएनएन - पानीपत के रहने वाले पूर्व मंत्री ओमप्रकाश जैन कोरोना से जंग हार गए। दिल्‍ली के अस्‍पताल में उन्‍होंने आखिरी सांस ली। एक दिन पहले ही उन्‍हें दिल्‍ली अस्‍पताल रेफर किया गया था। ओमप्रकाश जैन हरियाणा में दो बार मंत्री रहे। 1996 में बंसीलाल सरकार में और 2009 में हुड्डा सरकार में वह मंत्री बने थे। कंबोपुरा के पूर्व सरपंच की मौत मामले में उनका नाम आया तो मंत्री पद से इस्‍तीफा देना पड़ा था। इसके बाद उन्‍होंने 2014 का चुनाव नहीं लड़ा। हालांकि 2019 में फिर से सक्रिय हुए और पानीपत ग्रामीण से चुनाव लड़ा। कांग्रेस के टिकट पर चुनाव नहीं जीत सके।  

निर्दलीय प्रत्‍याशी बन जीते, मंत्री बने

1996 में जब मंत्री बने थे, तब उन्‍होंने कांग्रेस के बड़े नेता बलबीरपाल शाह को हराया था। तब उन्‍हें जीत का बड़ा इनाम भी मिला। बंसीलाल ने उन्‍हें मंत्री बनाया। इसके बाद 2009 में भी निर्दलीय ही चुनाव जीते। पानीपत ग्रामीण सीट पर उन्‍होंने विजय हासिल की। तब भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्‍व में कांग्रेस ने सरकार बनाई। उस समय निर्दलीयों के बिना सरकार बनाना मुश्‍किल था। ओमप्रकाश जैन ने निर्दलीय विधायकों को एकत्र करने में सहयोग दिया। हुड्डा ने उन्‍हें परिवहन मंत्री बनाया।

सर्वसम्‍मति से सरपंच बने

ओमप्रकाश जैन का राजनीतिक सफर सरपंच बनने से हुआ। वह जाटल गांव से दो बार सर्वसम्‍मति से सरपंच बने। हरियाणा हरको बैंक के चेयरमैन रहे। बाहरी कालोनियों में उनकी अच्‍छी पकड़ थी। बाहरी कालोनियों के लिए उन्‍होंने आवाज उठाई। यही वजह रही कि कालोनियों को वैध करना पड़ा।

किसी को भी अपना बना लेते

ओमप्रकाश जैन अपने सियासी विरोधियों को भी अपना बना लेते। चेहरे पर हमेशा मुस्कान रहती। उनके कद का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं लोकसभा चुनाव के दौरान संजय भाटिया उनका समर्थन लेने के लिए उनके घर पहुंचे। उन्हें स्कूटी पर बैठाकर लाए। 

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