हरियाणा का एक डाक्टर ऐसा भी, जाब लगने की देता टिप्स, अब तक 130 की लगी सरकारी नौकरी
नशे से दूर रहकर खेलों में भविष्य बना रहे युवा। कैथल के डा. सतनाम सिंह इन युवाओं को प्रशिक्षण देते हैं। अब तक 130 युवाओं की नौकरी भी लग चुकी है। कैथल में इनका एथलेटिक्स केंद्र है जहां ये प्रशिक्षण देते हैं।
कैथल, [सुनील जांगड़ा]। युवाओं को नशे से दूर करने का सबसे बेहतर तरीका है खेल। अगर युवा खेलों में भाग लेंगे तो नशे से दूर रहेंगे और प्रदेश का नाम रोशन करेंगे। ऐसा ही प्रयास एथलेटिक्स प्रशिक्षण डा. सतनाम सिंह पिछले आठ सालों से कर रहे हैं। कैथल का गुहला-चीका कस्बा पंजाब के साथ लगता है। ऐसे में इस एरिया में नशे के मामले सबसे ज्यादा सामने आते हैं। अब यहां के युवा खेलों में भाग लेकर नशे से दूर रहकर सरकारी नौकरी हासिल कर रहे हैं।
बता दें कि खेल विभाग की तरफ से साल 2014 में चीका के डीएवी कालेज में एथलेटिक्स का प्रशिक्षण केंद्र शुरू किया गया था। जिस समय प्रशिक्षण केंद्र शुरू हुआ था तो प्रशिक्षक डा. सतनाम सिंह के पास मात्र दो खिलाड़ी अभ्यास के लिए आए थे। उसके बाद धीरे-धीरे खिलाड़ियों की संख्या बढ़ती चली गई। अब प्रशिक्षण केंद्र पर करीब 250 खिलाड़ी अभ्यास करते हैं हालांकि कुछ दिनों से कोरोना के कारण प्रशिक्षण केंद्र बंद हैं। इस प्रशिक्षण केंद्र से करीब 130 खिलाड़ी सरकारी नौकरी हासिल कर चुके हैं। ज्यादातर खिलाड़ी हरियाणा पुलिस, पंजाब पुलिस, इंडियन आर्मी, रेलवे, शिक्षा विभाग, सीआरपीएफ में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
स्कूल और कालेज में जाकर करते हैं जागरूक
डा. सतनाम सिंह ने बताया कि उनका मुख्य उद्देश्य युवाओं को नशे से दूर रखना है। युवाओं को नशे से दूर रहने और खेलों में भाग लेने को लेकर स्कूल-कालेज में जाकर जागरूक किया जा रहा है। युवाओं को बताते हैं कि नशे के क्या नुकसान होते हैं और खेलों के क्या फायदे होते हैं।
अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी करते हैं अभ्यास
प्रशिक्षण केंद्र पर इस समय अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी भी अभ्यास करते हैं। दो से छह दिसंबर को बहरीन देश में पैरा यूथ एशियन खेल हुए थे। इसमें प्रशिक्षण केंद्र की खिलाड़ी माफी ने टी-46 कैटेगरी में भाग लेकर 400 मीटर दौड़ में रजत पदक हासिल कर देश का नाम रोशन किया था। प्रशिक्षण केंद्र पर खिलाड़ी सुबह-शाम तीन-तीन घंटे अभ्यास करते हैं। अगर प्रशिक्षण केंद्र पर कोई जरूरतमंद खिलाड़ी आ जाता है, तो उसे खेल किट भी प्रशिक्षक की तरफ से उपलब्ध करवाई जाती थी।
करना पड़ा था संघर्ष
डा. सतनाम सिंह ने बताया कि जब उन्हें प्रशिक्षण केंद्र दिया गया था, वहां कोई स्टेडियम नहीं था। जिस जगह पर केंद्र चलाना था, वहां जंगल बना हुआ था। उन्होंने स्वयं और कालेज प्रबंधन के सहयोग से जंगल को साफ किया। मैदान तैयार किया और उसमें 100, 200 और 400 मीटर के रेस ट्रैक बनाए। इस कार्य में उन्होंने करीब दो लाख रुपये अपने स्तर पर भी खर्च किए थे। अब जल्द ही गुहला-चीका में नए खेल स्टेडियम का निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा।