पितरों के तर्पण के लिए कोरोना का डर न प्रशासन का, धारा-144 के बावजूद धर्मनगरी पहुंच रहे श्रद्धालु

पितृ पक्ष की समाप्‍ति और अमावस्‍या के चलते पितरों के तर्पण के लिए श्रद्धालु कुरुक्षेत्र पहुंच रहे हैं। हालांकि प्रशासन ने कोरोना महामारी को देखते हुए धारा 144 लगा रखी है।

By Anurag ShuklaEdited By: Publish:Thu, 17 Sep 2020 01:41 PM (IST) Updated:Thu, 17 Sep 2020 01:41 PM (IST)
पितरों के तर्पण के लिए कोरोना का डर न प्रशासन का, धारा-144 के बावजूद धर्मनगरी पहुंच रहे श्रद्धालु
पितरों के तर्पण के लिए कोरोना का डर न प्रशासन का, धारा-144 के बावजूद धर्मनगरी पहुंच रहे श्रद्धालु

पानीपत/कुरुक्षेत्र, जेएनएन। सरकार और जिला प्रशासन ने दो दिन पहले ही चौदस और अमावस्या पर श्रद्धालुओं के एकत्रित होने पर रोक लगाते हुए धारा-144 लगा दी थी, लेकिन दूसरे दिन अमावस्या पर भी श्रद्धालु सन्निहित सरोवर में पितरों का तर्पण कराने के लिए पहुंच गए।

दरअसल, पितरों के तर्पण की बात जब आती है तो ध्‍यान धर्मनगरी की तरफ जाता है। जहां पांडवों ने भी अपने पूर्वजों का तर्पण किया था। ऐसा माना जाता है कि कुरुक्षेत्र के सरोवर में तर्पण के बाद पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। हजारों की संख्‍या में श्रद्धालु पितृ पक्ष के आखिरी में हर साल यहां आते हैं।  लेकिन कोरोना महामारी के चलते इस बार श्रद्धालुओं के आने पर यहां रोक है। प्रशासन ने धारा 144 लगा दी।

नाका लगा हुआ था, लेकिन श्रद्धालु दूसरे रास्तों से सन्निहित सरोवर पहुंचे और उन्होंने सन्निहित सरोवर में स्नान करने के बाद दान किया। वहीं जिला प्रशासन की ओर से भी इतनी सख्ती नहीं दिखाई दी। श्रीब्राह्मण एवं तीर्थोद्धार सभा के पदाधिकारियों ने अनलॉक होने के बाद भी तीर्थों पर धारा-144 लगाने को गलत बताया था।

गौरतलब है कि पितृ पक्ष की अमावस्या को सबसे बड़ी अमावस्याओं में से एक माना जाता है। इसदिन कुरुक्षेत्र और पिहोवा के तीर्थों पर पिंडदान करने का बहुत बड़ा महत्व माना जाता है। इस दिन हजारों की तादाद में श्रद्धालु कुरुक्षेत्र और पिहोवा तीर्थ पर पहुंचकर पिंडदान करते हैं। इसको देखते हुए सरकार और प्रशासन ने यहां धारा-144 लगा दी थी।

जिला प्रशासन ने भी यह आदेश जारी कर दिए थे। इसके चलते वीरवार को शहर के मुख्य रास्तों पर नाके तो लगे हुए थे, लेकिन कम ही श्रद्धालु तर्पण के लिए पहुंचे। हालांकि ब्रह्मसरोवर पर श्रद्धालुओं को प्रवेश नहीं करने दिया गया। इधर, कर्मकांडी ब्राह्मणों ने मुंह पर मास्क और सैनिटाइजर के साथ कुछ दूर दराज से आने वाले श्रद्धालुओं की पूजा पाठ कराई।

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