बच्चों और महिलाओं में तेजी से बढ़ रहा ये खतरा, हरियाणा के इस जिले में 70 प्रतिशत लोग शिकार

बच्चों और महिलाओं में एनिमिया का खतरा तेजी से बढ़ रहा है। हरियाणा के यमुनानगर में 70 प्रतिशत लोग इसके शिकार हैं। अब बच्चों व महिलाओं को एनिमिया से बचाने के लिए अब स्वास्थ्य विभाग टेस्ट ट्रीट व टाक की नीति अपनाएगा।

By Rajesh KumarEdited By: Publish:Wed, 19 Jan 2022 05:09 PM (IST) Updated:Wed, 19 Jan 2022 05:09 PM (IST)
बच्चों और महिलाओं में तेजी से बढ़ रहा ये खतरा, हरियाणा के इस जिले में 70 प्रतिशत लोग शिकार
यमुनानगर में 70 प्रतिशत महिलाएं बच्चे एनिमिया से ग्रसित।

यमुनानगर, जागरण संवाददाता। बच्चों व महिलाओं में एनिमिया का खतरा बढ़ रहा है। जिले की बात करें, तो यहां पर 70 प्रतिशत महिलाओं व बच्चों में एनिमिया की बीमारी है। इसके लिए ही अब एनिमिया मुक्त अभियान शुरू किया जा रहा है। इसके तहत बच्चों व महिलाओं की अलग-अलग कैटेगरी बनाकर जांच कराई जाएगी। अभियान के तहत करीब चार लाख 67 हजार महिलाओं व बच्चों की जांच की जाएगी। सब सैंटरों के हिसाब से टीमें बनाई गई है।

बच्चों व महिलाओं को एनिमिया से बचाने के लिए अब स्वास्थ्य विभाग टेस्ट, ट्रीट व टाक की नीति अपनाएगा। इसके तहत सबसे पहले टेस्ट किया जाएगा। फिर एनिमिया के रोगी का इलाज किया जाएगा। इसके बाद उसे बचाव की जानकारी दी जाएगी। इस संबंध में स्वास्थ्य विभाग ने पूरी तैयारी कर ली है। फिलहाल 29 सब सैंटरों पर यह अभियान चलेगा। जिन पर करीब एक से डेढ़ लाख महिलाओं व बच्चों की जांच की जाएगी। इसके बाद अन्य सब सैंटरों पर अभियान चलाया जाएगा। करीब दो माह में सभी की जांच व इलाज कराने का विभाग का लक्ष्य है। 

चार श्रेणियों में विभाजित किया गया है रोगियों को

एनीमिया मुक्त अभियान के तहत बच्चों व महिलाओं को छह श्रेणियों में बांटा गया है। इसमें छह माह से 59 माह तक के बच्चों को पहली श्रेणी में, छह वर्ष से नौ वर्ष तक के बच्चों को दूसरी श्रेणी में, नौ वर्ष से 19 वर्ष तक के बच्चों को तीसरी श्रेणी में तथा 19 वर्ष से 24 वर्ष तक की लड़कियों व महिलाओं को रखा गया है। जिसके तहत ग्रर्भावस्था वाली महिलाओं, बच्चों को दूध पिलाने वाली महिलाओं और विवाहित महिलाओं को शामिल किया गया है। इनमें ही खून की कमी सबसे अधिक रहती है।

हर सीएचसी के चार सब सैंटरों का चयन

रादौर, बिलासपुर, साढौरा, सरस्वतीनगर, नाहरपुर, प्रतापनगर, छछरौली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों के चार-चार सब सैंटर व शहरी क्षेत्र में हमीदा सब सैंटर में अभियान शुरू होगा। एक सब सैंटर में पांच हजार की कम से कम आबादी है। आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2015 में जन्म से 59 माह तक के बच्चों में 58 प्रतिशत में एनिमिया पाया गया था। यह बढ़कर अब 70 प्रतिशत हो गया है। इसके साथ ही वर्ष 2015 में 55 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं में एनिमिया पाया गया था। यह अब बढ़कर 62 प्रतिशत हो गया है।  स्वास्थ्य विभाग की ओर से गर्भवती महिलाओं की जांच के लिए स्क्रीनिंग की जाती है। वर्ष 2020 में 22 हजार 204 महिलाओं की स्क्रीनिंग की गई थी। जिसमें 1613 एनीमिया से ग्रसित थी। वर्ष 2021 में 22 हजार 301 महिलाओं की स्क्रीनिंग की जा चुकी है। इसमें 1966 महिलाएं एनीमिया से ग्रसित मिली है। 

एनिमिया रोग से नुकसान

डिप्टी सिविल सर्जन डा. विजय परमार ने बताया कि आमतौर पर 11.5 से कम खून है, तो एनिमिया के लक्षण है। ऐसे में जांच जरूरी है। एनिमिया रोग होने से बच्चे में फिजिकल डिसेबलिटी व मानसिक कमजोरी होने का खतरा रहता है। इसलिए ही एनिमिया रोग से मुक्ति को लेकर अभियान चलाया जा रहा है। यदि गर्भवती महिलाओं को अधिक थकान होना, हाथ-पैर ठंडा रहना, हांफने की समस्या, सांस लेने में दिक्कत, दिल की धड़कन का बढ़ना, होठों का सूखापन व नखूनों में पीलापन के लक्षण है, तो यह भी एनिमिया के लक्षण हो सकते हैं।

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