हरियाणा कला परिषद के सांस्कृतिक आयोजन शुरू, कुरुक्षेत्र के कला कीर्ति भवन में होंगे साप्ताहिक कार्यक्रम

हरियाणा कला परिषद के सांस्‍कृतिक आयोजन का सिलसिला शुरू होगा। कार्यक्रमों का सिलसिला इसी महीने से शुरू होगा। हरियाली तीज पर 9 अगस्त को कलाकीर्ति भवन में चित्रकला व मेहंदी प्रतियोगिता कराई जाएगी। रत्येक शुक्रवार सांस्कृतिक आयोजन होंगे।

By Anurag ShuklaEdited By: Publish:Thu, 05 Aug 2021 03:44 PM (IST) Updated:Thu, 05 Aug 2021 03:44 PM (IST)
हरियाणा कला परिषद के सांस्कृतिक आयोजन शुरू, कुरुक्षेत्र के कला कीर्ति भवन में होंगे साप्ताहिक कार्यक्रम
हरियाणा कला परिषद के सांस्‍कृतिक आयोजन शुरू होंगे।

कुरुक्षेत्र, जागरण संवाददाता। हरियाणा कला परिषद ने कोरोना महामारी के चलते बंद सांस्कृतिक गतिविधियों को शुरू करने का फैसला लिया है। इनको इसी महीने शुरू किया जाएगा। पहली गतिविधि नौ अगस्त को कुरुक्षेत्र स्थित कला कीर्ति भवन में हरियाली तीज के उपलक्ष्य में होगी। इसमें चित्रकला और मेहंदी प्रतियोगिता कराई जाएगी।

हरियाणा कला परिषद के निदेशक संजय भसीन ने बताया कोरोना से थोड़ी राहत मिलने पर स्कूल खोल दिए हैं। लंबे समय से घरो में कैद रहने के कारण विद्याथिर्यों में कला के प्रति रुझान पैदा करते हुए हरियाणा कला परिषद चित्रकला और मेहंदी प्रतियोगिता करा रहा है। प्रत्येक प्रतियोगिता में पांच-पांच सर्वश्रेष्ठ विजेताओं को चुना जाएगा और 1100 रुपये प्रति विजेता पुरस्कार दिया जाएगा। कला परिषद के मीडिया प्रभारी विकास शर्मा ने बताया कि कला कीर्ति भवन में साप्ताहिक गतिविधियां भी प्रारंभ कर दी गई हैं। जिसमें प्रत्येक शुक्रवार सांस्कृतिक आयोजन किए जाएंगे। 13 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर देशभक्ति कार्यक्रम किया जाएगा। वहीं अगले सप्ताह 20 अगस्त को हीर रांझा किस्सा की प्रस्तुति दी जाएगी। 27 अगस्त को जन्माष्टमी के उपलक्ष्य में भजन संध्या का आयोजन किया जाएगा। ये सब कार्यक्रम सायं छह बजे कराए जाएंगे।

कोरोना के चलते बंद भी गतिविधियां

कोरोना महामारी के कारण सांस्कृतिक गतिविधियों पर विराम लगा हुआ था। जिस कारण न केवल कलाकारों को अपनी आजीविका जुटाने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा था, बल्कि प्रदेश की कला एवं संस्कृति का विस्तार भी थम गया था। कलाकारों ने पिछले दिनों आनलाइन प्रस्तुति शुरू की थी, लेकिन इसके भी इतने सकारात्मक परिणाम सामने नहीं आए थे। कलाकारों का मानना है कि इसके लिए मंच पर कार्यक्रम होने जरूरी है। दर्शकों के बिना सांस्कृतिक कार्यक्रम अधूरे नजर आते हैं।

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