ये कैसा भाई, राखी न बांधने पर छोटी बहन को मार डाला था, हुई उम्रकैद

कुरुक्षेत्र में राखी न बांधने पर कर दी थी छोटी बहन की हत्या। कोर्ट ने दोषी भाई को सुनाई उम्रकैद। पिता सहित पड़ोस के 17 लोग थे हत्या के मामले में गवाह। सभी गवाह बाद में मुकर गए। कोर्ट ने वैज्ञानिक साक्ष्यों के आधार पर सुनाई सजा।

By Anurag ShuklaEdited By: Publish:Tue, 19 Apr 2022 07:38 AM (IST) Updated:Tue, 19 Apr 2022 07:38 AM (IST)
ये कैसा भाई, राखी न बांधने पर छोटी बहन को मार डाला था, हुई उम्रकैद
कोर्ट ने बहन की हत्‍या के दोषी भाई को उम्रकैद की सजा सुनाई।

कुरुक्षेत्र, जागरण संवाददाता। अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश मनीष दुआ की विशेष फास्ट ट्रैक अदालत ने हत्‍या मामले में फैसला सुनाया। छोटी बहन की हत्या के मामले में दोषी भाई को पुलिस के जुटाए वैज्ञानिक साक्ष्यों के आधार पर उम्र कैद दी है। मामले में पिता सहित 17 गवाहों के मुकरने पर अदालत ने वैज्ञानिक साक्ष्यों को आधार माना।

मामले में दोषी ने स्वीकार किया था कि उसकी बहन ने रक्षाबंधन पर भी उसे राखी नहीं बांधी थी। वह उसके साथ रोजाना झगड़ा करती थी। यही झगड़ा हत्या का कारण बना। अदालत ने दोषी पर 10 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया है। जुर्माना अदा न करने पर दोषी को तीन माह की अतिरिक्त कैद काटनी होगी।

उप जिला न्यायवादी भूपेंद्र कुमार ने बताया कि शहर के धोबी मोहल्ला निवासी कृष्णलाल ने 30 अक्टूबर 2019 को शहर थाना पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी कि उसकी पास दो बच्चे हैं। उसकी बेटी हिमानी की शादी करीब तीन साल पहले मसीता हाउस निवासी रजतन क्वात्रा के साथ हुई थी, मगर उसके बीच झगड़ा होने से वह अपने पति को छोड़ कर मायके में रह रही थी।

29 अक्टूबर 2019 को वह सुबह सात बजे अपने घर से अपनी चाय की दुकान सेक्टर-17 में चला गया था और घर पर उसका बेटा राकेश कुमार व बेटी हिमानी थी। उसकी पुत्रवधू अपने मायके गई हुई थी। जिस समय वह घर गया तो उसकी बेटी बेड पर मृत पड़ी थी। घर में रखी अलमारी से सोने के जेवरात व 16 हजार रुपये भी गायब थे। पुलिस ने हत्या का मामला दर्ज कर जांच की तो पाया हिमानी की हत्या उसके बड़े भाई राकेश ने की है। पुलिस ने आरोपित को गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया था।

शिकायतकर्ता ने मामले में अदालत से घर से चोरी हुए जेवर व नकदी की सुपरदारी की याचिका लगाई थी। जेवर व नकदी पुलिस ने राकेश कुमार से बरामद किए थे। उस समय उसे ही आरोपित बताया गया था, मगर बाद में गवाही से मुकर गए थे। यह भी आरोपित को सजा सुनाने में अहम साक्ष्य रहा।

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