सिलेंडर के भरोसे सिविल अस्पताल की सांसें

ऑपरेशन थियेटर और एसएनसीयू वार्ड में सिलेंडरों का होगा इस्तेमाल प्लांट से पाइपलाइन के जरिए प्रत्येक बेड तक ऑक्सीजन पहुंचाए जाने की थी योजना

By JagranEdited By: Publish:Sat, 20 Apr 2019 10:55 AM (IST) Updated:Sun, 21 Apr 2019 06:31 AM (IST)
सिलेंडर के भरोसे सिविल अस्पताल की सांसें
सिलेंडर के भरोसे सिविल अस्पताल की सांसें

जागरण संवाददाता, पानीपत: तकरीबन 42 करोड़ की लागत से बने सिविल अस्पताल को अभी सेंट्रल ऑक्सीजन का लाइसेंस नहीं मिला है। नतीजा, इमरजेंसी वार्ड, मेल वार्ड, महिला वार्ड, ऑपरेशन थियेटर, लेबर रूम और सिक न्यू बॉर्न चाइल्ड केयर यूनिट (एसएनसीयू) में सिलेंडरों से काम चलाया जा रहा है।

गौरतलब है कि मेडिकल कॉलेजों की तर्ज पर सिविल अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट बनाया गया है। प्लांट से पाइपलाइन के जरिए प्रत्येक बेड तक ऑक्सीजन पहुंचाए जाने की योजना थी। इससे मैन पॉवर की बचत होनी थी और सिलेंडर को स्टॉक कक्ष से लाने व लेकर जाने में जो समय लगता है, उससे निजात मिलनी थी। सीधा अर्थ, चौबीसों घंटे सेंट्रल ऑक्सीजन की आपूर्ति होनी थी। छह ऑपरेशन थियेटर भी अधूरे

पीडब्ल्यूडी इलेक्ट्रिक विग की देखरेख में एमपीएस एजेंसी ने ऑक्सीजन प्लांट तैयार किया है। लाइसेंस दिलाना भी उसकी जिम्मेदारी थी, लेकिन अभी तक लाइसेंस नहीं मिला है। इसके अलावा छह ऑपरेशन थियेटर में से एक भी पूरा नहीं हुआ है। अब अस्पताल प्रशासन ने एक थियेटर तैयार कराने और सिलेंडरों से काम चलाने की तैयारी शुरू कर दी है। उधर, पीडब्ल्यूडी इलेक्ट्रिक विग के जेई साहिल कुमार ने बताया कि दो थियेटर एक सप्ताह में तैयार कर दिए जाएंगे। इसके बाद ही ऑक्सीजन का लाइसेंस मिलेगा। ये है नुकसान

इमरजेंसी वार्ड, मदर एंड चाइल्ड केयर यूनिट, क्रिटिकल वार्ड, गायनी वार्ड और नर्सरी में ऑक्सीजन की सप्लाई को चंद मिनट के लिए बंद रखना भी घातक हो जाता है। सिलेंडर से सप्लाई में ऐसा चांस बना रहता है। इससे कई बार मरीज की जान पर बन आती है, खासकर दमा के मरीज को सांस लेना मुश्किल हो जाता है। अस्पताल को मिली 30 बेंच

सिविल अस्पताल के ओपीडी ब्लॉक में मरीजों को बैठने के लिए 30 नई बेंच आ गई हैं। ये बेंच हर ओपीडी के बाहर लगाई जाएंगी। बता दें कि बुधवार को दिव्यांग बोर्ड बैठने और बृहस्पतिवार को बुजुर्गों की आयु के सर्टिफिकेट बनाए जाते हैं। बेंच नहीं होने के कारण अधिकांश को खड़े रहना पड़ता है। स्किन और मेडिसिन ओपीडी के बाहर भी बेंच नहीं होने से मरीज खड़े रहकर थक जाते हैं।

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