किसानों के समर्थन में दिल्ली कुंडली बार्डर रवाना हुए यमुनानगर के आढ़ती, दुकानें बंद
कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन कर रहे किसानों के समर्थन में अब यमुनानगर के आढ़ती भी आ गए हैं। आढ़तियों ने हड़ताल कर दी। हड़ताल को जारी रखते हुए आढ़ती यमुनानगर से दिल्ली कुंडली बार्डर रवाना हो गए।
पानीपत/यमुनानगर, जेएनएन। कृषि कानूनों के विरोध में कुंडली बार्डर पर धरने पर बैठे किसानों को अब आढ़तियों ने भी समर्थन दे दिया है। मंगलवार को सभी सभी अनाज मंडियों से 8-10 आढ़ती दिल्ली रवाना हुए। वहीं, दूसरे आढ़ती दुकानें बंद कर हड़ताल पर रहे। आढ़तियों का कहना है कि तीनों कृषि कानून आढ़ती व किसान दोनों के हित में नहीं है। इसलिए इनको वापस लिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर आढ़ती किसानों के साथ है।
कृषि कानूनों के विरोध में आढ़तियों ने कामकाज बंद कर सरकार की कार्यप्रणाली के विरोध प्रकट किया। आढ़तियों ने मार्किट कमेटी कार्यालय के समक्ष एकत्रित होकर प्रदर्शन किया। प्रधान मनीष बंसल ने कहा कि केन्द्र सरकार नए कृषि कानूनों के माध्यम से देश में कृषि व्यवसाय को खत्म करना चाहती है। किसानों के द्वारा कृषि कानूनो के खिलाफ संघर्ष जायज है। सवा सौ करोड़ जनता का पालन पोष्ण करने वाले किसानों का अपनी मांगों के लिए कडकड़ाती सर्दी में दिल्ली हरियाणा के बार्डर पर संघर्ष करना पड़ रहा है। सरकार की किसी भी प्रकार की जबरदस्ती को बर्दाशत नही किया जाएग। पूरे जिले से अलग अलग गांवों से किसानों के समूह दिल्ली बार्डर के लिए कूच करेंगे ताकि किसान की मांगों को लेकर दिल्ली के अलग अलग बार्डर पर मांगों को लेकर लड़ रहे किसानों को किसी प्रकार की कोई कमी न रहे।मौके पर दीदार ङ्क्षसह, रवि कुमार, चंद्रपाल, महेंद्र अग्रवाल, जितेंद्र शर्मा पंकज विज, भूषण , रमेश कुमार ,संजीव कुमार, संटी व अन्य उपस्थित थे।
सिंधु बार्डर पर डटे किसानों को आढ़ती एसोसिएशन बिलासपुर ने भी समर्थन दिया। एसोसिएशन के पदाधिकारियों का एक दल मंगलवार सुबह दिल्ली के ङ्क्षसधू बार्डर के लिए रवाना हुआ। प्रधान दलजीत ङ्क्षसह बाजवा ने कहा कि नए कृषि कानूनों के विरोध में पूरे देश के किसानों की मांगों में समर्थन में हरियाणा अनाजमंडी एसोसिएशन के आढ़ती भी आ उतर आए हैं। किसानों की सेहत,कपड़े ,जरूरत की वस्तुएं व खाद्य सामग्री पहुंचाने को लेकर वह ङ्क्षसधु बार्डर पर किसानों से मिलेंगे। कई माह से किसान नए कृषि कानून को लेकर संघर्ष कर रहे थे। सरकार ने किसानों की मांगों को अनसुना कर जबरन संसद में नए कृषि कानून को पारित कर तानाशाही का सबूत दिया है। कानून पारित के बाद किसान अब नए कानून में संसोधन की मांग कर रहे हैं। मौके पर शिव कुमार बंसल, मास्टर जगीर ङ्क्षसह, रूप सिंह चौहान, शिव कुमार बंसल, बरखा राम, बलङ्क्षवद्र सैनी, सुभाष कुमार व अन्य उपस्थित थे।