15 करोड़ के प्लॉट घोटाले में अधीक्षक सस्पेंड, सेवानिवृत्त सहायक की चार्जशीट मांगी

पानीपत के सेक्टर-29 पार्ट-टू में 15 करोड़ की कीमत के प्लॉट घोटाले में हुई कार्रवाई।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 15 Jul 2018 02:47 PM (IST) Updated:Sun, 15 Jul 2018 03:22 PM (IST)
15 करोड़ के प्लॉट घोटाले में अधीक्षक सस्पेंड, सेवानिवृत्त सहायक की चार्जशीट मांगी
15 करोड़ के प्लॉट घोटाले में अधीक्षक सस्पेंड, सेवानिवृत्त सहायक की चार्जशीट मांगी

जागरण संवाददाता, पानीपत : सेक्टर-29 पार्ट-टू में 15 करोड़ की कीमत के प्लॉट घोटाले में हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के दो और अधिकारियों पर गाज गिर गई है। मुख्य प्रशासक ने सुप¨रटेंडेंट पृथ्वी ¨सह को सस्पेंड कर दिया है। सेवानिवृत्त हो चुके सहायक विनोद की चार्जशीट मांगी है। पृथ्वी ¨सह प्लॉट घोटाले के वक्त पानीपत में डिप्टी सुप¨रटेंडेंट थे और अब सोनीपत में सुपरिंटेंडेंट तैनात हैं।

हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के मुख्य प्रशासक जे गणेशन ने प्लॉट घोटाले की रिपोर्ट पर शुक्रवार को एक और फैसला लिया। सुपरिटेंडेंट पृथ्वी ¨सह को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड करने के आदेश जारी किए हैं। उनका सस्पेंशन के दौरान मुख्यालय हिसार प्रशासक कार्यालय रहेगा। सहायक (रिटायर्ड) विनोद आसरी की चार्जशीट मांग ली है। विभागीय कार्रवाई शुरू कर दी गई है। इस मामले में जेई जयवीर, जेई ओम ¨सह और फील्ड क्लर्क राजकुमार पहले से ही सस्पेंड किए जा चुके हैं। उनके खिलाफ पानीपत में मुकदमा भी दर्ज किया जा चुका है।

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ईओ पर भी कार्रवाई और अलॉटमेंट रद कराने की मांग

जन आवाज सोसाइटी के प्रधान एवं पूर्व जिला पार्षद जोगेंद्र स्वामी ने कहा कि प्राधिकरण के आला अधिकारी इस षड़यंत्र में शामिल हैं। इस मामले में मुख्य भूमिका ईओ की है। उस वक्त पानीपत में ईओ विकास ढांडा थे। वे इसकी फाइल शुरू कराकर छुट्टी चले गए। उनकी छुट्टी अवधि में ईओ मनजीत ¨सह ने इसकी परमिशन दी।

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यह है मामला

जन आवाज सोसाइटी के प्रधान जो¨गद्र स्वामी और एडवोकेट जुग¨वद्र मलिक का आरोप है कि सेक्टर-29 पार्ट-टू स्थित प्लॉट नंबर-300 का ऑक्यूपेशन सर्टिफिकेट बैकडेट में जारी किया है। ऐसे में प्लॉट रिज्यूम होने से बच गया। तत्कालीन एसडीएम की अध्यक्षता में गठित टीम ने 2013 में इस प्लॉट को खाली दिखाया था। इसकी सीडी भी तैयार की थी। इस रिपोर्ट के आधार पर प्लॉट को रिज्यूम किया जाना था, लेकिन अलॉटियों ने प्राधिकरण के अधिकारियों के साथ मिलकर प्लॉट के 25 प्रतिशत निर्माण की एक एंट्री 2011 में दिखा दी। जिसके आधार पर प्लॉट रिज्यूम होने से बच गया था।

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