पीएम मोदी और कोर्ट के आदेश हवा, हरियाणा के विधायकों की कार पर फिर वीआइपी झंडी

प्रधानमंत्री ने साढ़े तीन साल पहले और हाई कोर्ट ने आठ माह पहले कारों पर से वीआइपी कल्चर खत्म किया था। लेकिन हरियाणा इसे नहीं मानता। हरियाणा के विधायकों की कारों पर अब मैरून कलर की झंडियां होंगी जो सड़क पर उन्हें वीआइपी का दर्जा देंगी।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Wed, 14 Oct 2020 10:52 AM (IST) Updated:Wed, 14 Oct 2020 11:49 AM (IST)
पीएम मोदी और कोर्ट के आदेश हवा, हरियाणा के विधायकों की कार पर फिर वीआइपी झंडी
हरियाणा के विधायकों की कार पर फिर वीआइपी झंडी। सांकेतिक फोटो

चंडीगढ़ [अनुराग अग्रवाल]। हरियाणा के विधायक वीआइपी कल्चर से बाहर नहीं निकल पाए। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने 24 जनवरी को एक आदेश जारी कर हर सरकारी और प्राइवेट वाहन से वीआइपी कल्चर को प्रदर्शित करने वाला प्रतीकात्मक चिन्ह हटाने का निर्देश दिया था। आठ महीने के भीतर ही विधायकों को यह अहसास होने लगा कि वह वीआइपी नहीं रहे। टोल टैक्स पर वाहन रोक लिए जाने, ट्रैफिक जाम में गाड़ियां फंसने तथा चौक-चौराहों पर पुलिस वालों द्वारा सेल्यूट मारना बंद कर देने के बाद इन विधायकों के अंदर का वीआइपी कुलबुलाने लगा।

कई विधायकों ने इन सभी दिक्कतों को आधार बनाते हुए विधानसभा स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता के सामने बीच का कोई रास्ता निकालने का प्रस्ताव रखा तो मंगलवार को विधायकों को अपनी गाड़ी पर लगाने के लिए मैरून कलर के स्टीकर जारी किए गए। इसके लिए बकायदा हरियाणा सरकार से मंजूरी हासिल की गई। सरकार ने भी खुशी-खुशी विधायकों की इस इच्छा को पूरा करने में कोई रोड़ा नहीं अटकाया।

आखिरकार विधायक अब अपनी गाड़ी पर मैरून कलर की झंडी लगा सकेंगे, जिस पर हरियाणा विधानसभा का लोगो और नीचे एमएलए लिखा हुआ है। एमएलए लिखी इस झंडी के वाहन पर लगने के बाद अब विधायकों का पुराना वीआइपी कल्चर वाला रूतबा लौट सकेगा।

वैसे भी साढ़े तीन वर्ष पूर्व अप्रैल 2017 में मोदी सरकार ने केंद्रीय मोटर व्हीकल नियमावली में संशोधन कर सारे देश में सरकारी वाहनों से लाल बत्ती हटवाकर वीआइपी व्यवस्था समाप्त कर दी थी एवं वर्तमान में संसद सदस्यों को भी अपने वाहनों पर किसी प्रकार की झंडी लगाने की छूट नहीं दी गई है।

विधायक इस झंडी को हासिल कर भले ही खुश हैं, लेकिन इससे पहले भी वह अपनी गाड़ियों में हूटर का इस्तेमाल करते रहे हैं। मंत्रियों को बकायदा पुलिस की गाड़ियां पायलट कर चलती हैं। हरियाणा सरकार और विधानसभा स्पीकर के इस फैसले को हाईकोर्ट के आदेशों की अवहेलना माना जा रहा है। हाईकोर्ट के आदेश के बाद हरियाणा के मुख्य सचिव कार्यालय ने तीन फरवरी को पत्र जारी कर हाईकोर्ट के आदेश की अनुपालना के निर्देश दिए थे। अब सरकार खुद ही अपने आदेशों को पैरों तले रौंद रही है। 

पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट की डिविजन बेंच में शामिल जस्टिस राजीव शर्मा और जस्टिस अमोल रतन सिंह ने वीआइपी कल्चर खत्म करने संबंधी आदेश जारी किए थे। यह आदेश हर तरह के वाहन, आर्मी, प्रेस, चेयरमैन, वाइस चेयरमैन तथा न्यायाधीश का पदनाम दर्शाने पर भी लागू किया गया। केवल एंबुलेंस, फायर ब्रिगेड, पुलिस वाहन और आपदा परिस्थितियों में राहत प्रदान करने वाले वाहनों को ही इससे छूट दी गई थी।

आज तक हाईकोर्ट के इस आदेश में न तो कोई संशोधन किया गया और न ही किसी अन्य वर्ग या पदाधिकारी को कोई छूट दी गई। इस मामले में कोर्ट में सुनवाई के दौरान एवं आदेश पारित होते समय केंद्र सरकार, चंडीगढ़ प्रशासन और पंजाब एवं हरियाणा दोनों राज्यों के कानून अधिकारी मौजूद रहे थे।

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पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार के अनुसार इस आदेश के दस दिन बाद तीन फरवरी को हरियाणा के मुख्य सचिव कार्यालय की प्रोटोकाल शाखा के अंडर सेक्रेटरी द्वारा प्रदेश के सभी विभागों में सरकुलर जारी कर उन्हेंं हाई कोर्ट के आदेश की सख्त अनुपालना करने के लिए कहा गया। हरियाणा सरकार द्वारा जारी पत्र आज तक लागू है। हरियाणा मोटर व्हीकल नियमावली 1993 के नियम संख्या 161 के तहत राज्य सरकार द्वारा अधिकृत पदाधिकारी अपने वाहनों के आगे विशिष्ट झंडा या झंडे की रोड लगाने के लिए सक्षम हैं परंतु सवाल है कि क्या हरियाणा सरकार द्वारा प्रदेश के विधायकों को अपने निजी वाहन पर मैरून रंग की झंडी लगाने का विशेषाधिकार देने के पूर्व हाईकोर्ट से इस संबंध में स्वीकृति ली गई है। सांसदों के लिए अभी तक यही व्यवस्था है। हेमंत ने आज प्रधानममंत्री को इस संबंध ट्वीट भी किया है।  

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