गुरमीत राम रहीम की पैरोल पर संशय, गृह विभाग को आशंका डेरा मुखी विदेश भागा तो क्या होगा

हरियाणा में पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा की जीत में सहायक बने डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम की पैरोल को लेकर विवाद की स्थिति बन गई है।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Thu, 27 Jun 2019 03:45 PM (IST) Updated:Fri, 28 Jun 2019 05:32 PM (IST)
गुरमीत राम रहीम की पैरोल पर संशय, गृह विभाग को आशंका डेरा मुखी विदेश भागा तो क्या होगा
गुरमीत राम रहीम की पैरोल पर संशय, गृह विभाग को आशंका डेरा मुखी विदेश भागा तो क्या होगा

चंडीगढ़ [अनुराग अग्रवाल]। हरियाणा में पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा की जीत में सहायक बने डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम की पैरोल को लेकर विवाद की स्थिति बन गई है। विधानसभा चुनाव फिर सिर पर हैं और डेरा प्रमुख की पैरोल को लेकर राजनीति एकदम गरमा गई।

भाजपा सरकार के अधिकतर मंत्री चाहते हैं कि डेरा प्रमुख को पैरोल मिल जाए। राजनीतिक लाभ की मंशा से वे पैरोल की पैरवी भी कर रहे हैं, लेकिन सरकार के सामने बड़ी दिक्कत यह है कि अगर बाबा दोबारा जेल नहीं गया तो उसे ढूंढने में पसीने छूट जाएंगे। उधर, गृह विभाग के अधिकारियों को आशंका है कि पैरोल के बाद बाबा विदेश भी भाग सकता है। फिर उसे किस तरह वापस लाया जाएगा।

साध्वियों से दुष्कर्म मामले में रोहतक की सुनारिया जेल में बंद डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम एक साल की सजा पूरी कर चुका है। कानूनन वह पैरोल हासिल करने का हकदार है। इसके लिए उसने जेल प्रशासन के पास अर्जी भी दाखिल की है। जेल प्रशासन ने पैरोल की पैरवी करते हुए रोहतक के उपायुक्त के पास अर्जी भेज दी है। उपायुक्त ने एसपी से रिपोर्ट मांगी तो पता चला कि जिस खेती के लिए बाबा ने पैरोल मांगी, उसके लिए जमीन ही नहीं है।

बाबा की पैरोल का आधार वाजिब नहीं होने की बात करते हुए उसकी अर्जी लौटाई जा सकती है, लेकिन भाजपा सरकार के अधिकतर मंत्री बाबा के समर्थकों में यह संदेश देना चाहते हैं कि वे पैरोल दिए जाने के हक में हैं। स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज, परिवहन मंत्री कृष्ण लाल पंवार और राज्य मंत्री कृष्ण कुमार बेदी का कहना है कि अगर नियम पूरे हैं तो बाबा को पैरोल मिलनी चाहिए। इनेलो के राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष अशोक अरोड़ा ने भी बाबा की पैरोल की पैरवी की है। इन मंत्रियों व राजनीतिक दलों से इतर मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने बड़ा संयमित बयान दिया है।

मुख्मयंत्री का कहना है कि पैरोल का हक सभी का है और मिलनी भी चाहिए, लेकिन बाबा की पैरोल पर अदालत और सरकार दोनों की निगाह है। किसी तरह की व्यवस्था को छिन्न भिन्न नहीं होने देना भी सरकार व न्यायपालिका का धर्म है। मुख्यमंत्री के इस बयान का मतलब साफ है कि सरकार बाबा की पैरोल के खिलाफ नहीं है, लेकिन यदि पैरोल मिलने के बाद बाबा को उसके समर्थकों ने वापस जेल नहीं जाने दिया तो फिर वही पुराना संकट खड़ा हो जाएगा, जो बाबा को पूर्व में अदालत में पेश करने के दौरान हुआ था।

डेरा प्रमुख पैरोल से बाहर आने के बाद हमेशा अपने समर्थकों और अनुयायियों से घिरा रहेगा। वह समागम की अवधि भी बढ़ा सकता है। इस दौरान अक्टूबर में विधानसभा चुनाव आ जाएंगे। तब सरकार चाहकर भी बाबा के विरोध में ऐसा निर्णय नहीं ले सकेगी, जो न्यायपालिका के निर्देशों के अनुपालन में जरूरी होगा। हरियाणा के गृह सचिव एसएस प्रसाद और पुलिस महानिदेशक मनोज यादव इस पूरे मामले में सरकार के साथ चर्चा करने में जुटे हैं। बाबा से यह भरोसा लिया जा रहा है कि वे पैरोल पर बाहर आने के बाद सरकार के लिए किसी तरह की दिक्कत नहीं खड़ी करेंगे। बाबा से यह भरोसा मिला तो पैरोल तय है, अन्यथा विधानसभा चुनाव के बाद ही कोई निर्णय लिया जाएगा।

राजस्व विभाग की रिपोर्ट पर फिर उलझन, पूर्व में काश्तकार रहा है डेरा प्रमुख

डेरा सच्चा सौदा प्रमुख को पैरोल देने के मामले में राजस्व विभाग की रिपोर्ट पर संशय नहीं टूट रहा। रिपोर्ट में डेरा प्रमुख के नाम कोई जमीन न होने का हवाला दिया गया है। वहीं डेरे से जुड़े लोगों का कहना है कि पूर्व की जमाबंदियों में डेरा प्रमुख काश्तकार रहा है। ऐसे में प्रशासन भी इस रिपोर्ट का दोबारा से मूल्यांकन करवाने में जुट गया है ताकि कहीं कोई चूक न रह जाए। माना जा रहा है कि रिपोर्ट में अभी कुछ और वक्त लग सकता है।

सूत्रों के अनुसार डेरा सच्चा सौदा के नाम सिरसा में 948 एकड़ जमीन है। इनमें से करीब 750 एकड़ जमीन केवल डेरा क्षेत्र में है। पूरी जमीन का मालिक डेरा सच्चा सौदा ट्रस्ट है और ट्रस्ट के चेयरमैन डेरा प्रमुख गुरमीत ङ्क्षसह हैं। सूत्रों के अनुसार पुलिस को राजस्व विभाग ने जो रिपोर्ट दी है वह 2017-18 व 2018-19 की है। इस रिपोर्ट में डेरा प्रमुख के नाम कोई कृषि भूमि या उनको काश्तकार नहीं दिखाया गया है। 25 अगस्त 2017 को डेरा प्रमुख दोषी करार देने के साथ ही जेल चले गए। इसके बाद वे जमीन पर काश्तकार नहीं रह सकते।

इससे पूर्व के आंकड़ों में डेरा प्रमुख के काश्तकार होने की जानकारी सरकारी रिकार्ड में बताई गई है। नेजियाखेड़ा गांव में डेरा प्रमुख की बेटी अमरप्रीत कौर के पास कृषि योग्य भूमि है। पुराने रिकार्ड के अनुसार जमाबंदी 239 में इसका काश्तकार डेरा प्रमुख को दिखाया गया है। अमरप्रीत कौर के नाम शाहपुर बेगू की खेवट नंबर 185, 22 व 23 में भी जमीन है। पुराने रिकार्ड के अनुसार इसका काश्तकार भी डेरा प्रमुख हैं। इसके अलावा शाहपुर बेगू में खेवट नंबर 251, 255, 263, 271, 860, 862, 863 के भी पुराने रिकार्ड में काश्तकार का उल्लेख डेरा प्रमुख का ही किया गया है।

ट्रस्ट का चेयरमैन डेरा प्रमुख तो जमीन का मालिक भी वही

डेरे की राजनीतिक विंग के चेयरमैन राम सिंह ने कहा कि डेरा सच्चा सौदा ट्रस्ट के चेयरमैन डेरा प्रमुख ही है तो जमीन के मालिक भी वही हुए। प्रशासन का रिकार्ड क्या बोलता है वह इस पर नहीं जाना चाहते। सभी को पता है कि डेरा प्रमुख पूर्व में खेती करते रहे हैं। पूरी साध संगत जानती है कि वह कई घंटे तक खेत में काम करते रहे हैं।

एसडीएम वीरेंद्र चौधरी का कहना है कि इस मामले में रोहतक जेल प्रशासन से गुरमीत राम रहीम सिंह को पैरोल संबंध में पत्र आया है। राजस्व का रिकार्ड भी जांच रहे हैं। रिपोर्ट अभी पूरी तरह तैयार नहीं है। 

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