Haryana-Punjab Dispute: हरियाणा-पंजाब के बीच सात विवाद, उत्तर क्षेत्रीय परिषद की बैठक में उठेगा मुद्दा

Haryana-Punjab Dispute उत्तर क्षेत्रीय परिषद की बैठक में हरियाणा पड़ोसी राज्यों को घेरने की तैयारी में है। सबसे ज्यादा विवाद पंजाब के साथ है। बैठक में नशा तस्करी रोकने एसवाईएल नहर बनाने और बीबीएमबी में हरियाणा के प्रतिनिधित्व के मुद्दे उठेंगे।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Fri, 08 Jul 2022 04:14 PM (IST) Updated:Fri, 08 Jul 2022 04:14 PM (IST)
Haryana-Punjab Dispute: हरियाणा-पंजाब के बीच सात विवाद, उत्तर क्षेत्रीय परिषद की बैठक में उठेगा मुद्दा
हरियाणा व पंजाब के बीच सात विवाद। सांकेतिक फोटो

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। गृहमंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में नौ जुलाई को जयपुर में होने वाली उत्तर क्षेत्रीय परिषद की 30वीं बैठक में हरियाणा आधा दर्जन मुद्दे उठाने को तैयार है। यह ऐसे मुद्दे हैं, जिन्हें लेकर हरियाणा का पंजाब के साथ अक्सर टकराव रहता है।

पिछली बैठक में भी एसवाईएल नहर के पानी समेत अन्य अंतर राज्यीय मुद्दों को लेकर मुख्यमंत्री मनोहर लाल और पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के बीच खासा विवाद हुआ था। इस बार अंतरराज्यीय नशा तस्करों की बढ़ती गतिविधियों पर रोक और एसवाईएल नहर निर्माण के बड़े मुद्दे हरियाणा उठाने को तैयार है।

जयपुर में शनिवार को होने वाली बैठक में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल भागीदारी करने जा रहे हैं। इस बैठक में भी हरियाणा का पंजाब और राजस्थान से विवाद होने की पूरी संभावना है। भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड (बीबीएमबी) में हरियाणा व पंजाब की स्थाई सदस्यता खत्म हो चुकी है।

अभी तक पंजाब का एक सदस्य बिजली विभाग से और हरियाणा का एक सदस्य सिंचाई विभाग से होता था। यह मुद्दा हरियाणा विधानसभा में उठा था, जिसके बाद बीबीएमबी ने हरियाणा की सदस्यता खत्म होने से इन्कार किया, लेकिन इसका ठोस भरोसा अभी तक नहीं मिल पाया है। ऐसे में हरियाणा यह मुद्दा उत्तर क्षेत्रीय परिषद की बैठक में उठा सकता है।

एसवाईएल नहर लंबे समय से हरियाणा और पंजाब के बीच विवाद का कारण रही है। दिल्ली अक्सर हरियाणा से अतिरिक्त पानी मांगती है। हरियाणा अतिरिक्त पानी देने के लिए तैयार भी है। दिल्ली की ओर से बैठक में हरियाणा पर उसके हिस्से का पूरा पानी नहीं देने का आरोप लगाया जा सकता है, जिसके जवाब में हरियाणा सरकार पूरे आंकड़ों के साथ दिल्ली को उसकी भाषा में ही उत्तर देगी।

हरियाणा बैठक में कहेगा कि जब एसवाईएल नहर निर्माण का फैसला राज्य के हक में आ चुका है और दिल्ली व पंजाब दोनों राज्यों में आम आदमी पार्टी की सरकार है तो ऐसे में हरियाणा की नहर बनवाकर उसे एसवाईएल का पानी दिलाया जाए। हरियाणा का जो पानी मिलेगा, उसमें से कुछ पानी मानवता के नाते जरूरत पड़ने पर हरियाणा द्वारा दिल्ली को दिया जाएगा।

उत्तर क्षेत्रीय परिषद की बैठक में यह मुद्दे भी उठेंगे सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बावजूद पंजाब सरकार अपने हिस्से की एसवाईएल नहर का निर्माण नहीं कर रही। 212 किलोमीटर लंबी इस नहर में हरियाणा अपने हिस्से की 91 किलोमीटर की नहर बनवा चुका है। अब पंजाब को अपने हिस्से की नहर बनवाकर पानी देना है। हरियाणा की ओर से मांग की जाएगी कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागू कराने के लिए केंद्र सरकार स्वयं हस्तक्षेप करते हुए एक केंद्रीय एजेंसी नियुक्त करे, जो दोनों राज्यों का एसवाईएल नहर निर्माण का मसला सुलझाए। हरियाणा की अलग हाईकोर्ट बने। चंडीगढ़ यूटी प्रशासन के प्रशासक के पद पर पंजाब के राज्यपाल की तरह हरियाणा के राज्यपाल को भी नियुक्ति का मौका मिलना चाहिए। राजधानी चंडीगढ़ पर पंजाब द्वारा किये जा रहे दावे को खारिज किया जाए। यूटी चंडीगढ़ में हरियाणा के अधिकारियों का अनुपात बढ़ाया जाए। अभी यह 60-40 है। यानी 60 प्रतिशत अधिकारी पंजाब के और 40 प्रतिशत हरियाणा के। हरियाणा को अलग विधानसभा भवन बनाने के लिए चंडीगढ़ में जमीन दी जाए।

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