छत्रपति हत्याकांड मामले में वीडियो कांफ्रेंसिंग से होगी गुरमीत की पेशी, सुरक्षा कड़ी

पत्रकार रामचंद्र छत्रपति हत्या मामले में पंचकूला की विशेष सीबीआइ अदालत शुक्रवार को फैसला सुनाएगी। डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम वीडियो कांफ्रेंसिंग से सुनारिया जेल से ही पेश होगा।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Thu, 10 Jan 2019 08:48 PM (IST) Updated:Fri, 11 Jan 2019 08:03 AM (IST)
छत्रपति हत्याकांड मामले में वीडियो कांफ्रेंसिंग से होगी गुरमीत की पेशी, सुरक्षा कड़ी
छत्रपति हत्याकांड मामले में वीडियो कांफ्रेंसिंग से होगी गुरमीत की पेशी, सुरक्षा कड़ी

जेएनएन, पंचकूला। पत्रकार रामचंद्र छत्रपति हत्या मामले में पंचकूला की विशेष सीबीआइ अदालत शुक्रवार को फैसला सुनाएगी। डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम वीडियो कांफ्रेंसिंग से सुनारिया जेल से ही पेश होगा, जबकि जमानत पर चल रहे आरोपित कोर्ट में हाजिर होंगे। फैसले के मद्देनजर पुख्ता सुरक्षा प्रबंध किए गए हैं। पुलिस की चार बटालियन तैनात कर दी गई हैं।

विशेष जज जगदीप सिंह की सुरक्षा कड़ी

सीबीआइ के विशेष जज जगदीप सिंह को कड़ी सुरक्षा के बीच कोर्ट परिसर में लाया जाएगा। मूलरूप से जींद के रहने वाले जगदीप सिंह ने ही साध्वी यौन शोषण मामले में डेरा मुखी को सजा सुनाई थी। डीसीपी कमलदीप गोयल पूरी सुरक्षा व्यवस्था का निरीक्षण कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि चार पुलिस बटालियनों को तैनात किया गया है। वेला बिस्टा चौक से माजरी चौक तक सड़क बंद रहेगी।

कोर्ट परिसर को सील रखा जाएगा। केवल वकीलों और जिनके केसों में शुक्रवार की तिथि लगी है, उन्हें पूरी चेकिंग के बाद ही जाने देंगे। इसके अलावा विभिन्न सेक्टरों में नाकेबंदी की गई है। शहर के आने और जाने वाले इलाकों, बस स्टैंड, अस्पताल और सार्वजनिक स्थानों पर विशेष नजर रखी जा रही है। उन्होंने कहा कि अभी तक ऐसी कोई सूचना नहीं है कि पंचकूला में कहीं पर भी डेरा अनुयायी एकत्र हों। नाम चर्चा घरों में हालांकि किसी के आने-जाने पर रोक नहीं है, फिर भी पुलिस निगरानी रख रही है।

सीबीआइ मामले में पेश कर चुकी है 46 गवाह

पत्रकार छत्रपति हत्याकांड में सीबीआइ की ओर से 46 गवाह कोर्ट में पेश किए गए थे। जबकि बचाव पक्ष की ओर 21 गवाह पेश किए गए थे। हत्या के चश्मदीद रामचंद्र के बेटे अंशुल और अदिरमन थे। गुरमीत के चालक खट्टा सिंह ने कोर्ट में हत्या के षड्यंत्र के बारे में बताया था। बचाव पक्ष की दलीलें थीं कि राम रहीम का पहली बार 2007 में केस में सामने आया था। साथ ही किसी भी आरोपित की पहचान नहीं हुई थी।

वरिष्ठ अधिकारियों ने की थी मामले की जांच

मामले की जांच डीएसपी सतीश डागर और डीआइजी एम नारायणन ने की थी। कोर्ट मेें केस को साबित करने के लिए एडवोकेट एचपीएस वर्मा ने कोई कसर नहीं छोड़ी। इस मामले में डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम के अलावा कृष्ण लाल, कुलदीप और निर्मल सिंह पर हत्या का आरोप है।

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