जिंदल यूनिवर्सिटी रेप केसः आरोपियों की सजा के निलंबन के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट की रोक

जिंदल यूनिवर्सिटी रेप केस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है। हाई कोर्ट ने मामले में आरोपियों को सजा को निलंबित कर दिया था।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Mon, 06 Nov 2017 02:49 PM (IST) Updated:Mon, 06 Nov 2017 02:50 PM (IST)
जिंदल यूनिवर्सिटी रेप केसः आरोपियों की सजा के निलंबन के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट की रोक
जिंदल यूनिवर्सिटी रेप केसः आरोपियों की सजा के निलंबन के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट की रोक

जेएनएन, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने सोनीपत की जिंदल यूनिवर्सिटी में बलात्कार के मामले में दोषी करार दिए तीन युवाओं की सजा निलंबित कर दी थी। हाई कोर्ट के इस फैसले को प्रतिवादी पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने आज मामले पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है। मामले में युवाओं को जिला अदालत ने बलात्कार और ब्लैकमेल के आरोप में दोषी करार दे इनमें से दो को 20 वर्ष और एक को सात वर्ष की सजा सुनाई गई थी। हाई कोर्ट ने कहा, कि, पीड़िता के बयान से दोनों ही पक्षों की विकृत मानसिकता और असंयमी रवैया सामने आया है। इस आधार पर हाई कोर्ट ने सजा निलंबित कर दी थी।

हाई कोर्ट ने दोषी करार दिए तीनों युवाओं की सजा चाहे निलंबित कर दी थी,  लेकिन इन तीनों ही युवाओं को पीड़िता को 10 लाख रुपये मुआवजा दिए जाने के जो ट्रायल कोर्ट ने आदेश दिए हैं वह राशि इन तीनों युवाओं से ही वसूले जाने के साथ इन तीनों की किसी मनोचिकित्सक से काउंसलिंग करवाए जाने के भी आदेश दिए थे।  हाई कोर्ट ने इन तीनों के व्यवहार को सुधारने के लिए दिल्ली के आल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेडिकल सइंसेस (एम्स) को जिम्मेदारी दी थी। हाई कोर्ट ने पीड़िता और दोषी इन दोनों ही पक्षों का असंयमी रवैया और मानसिकता पर सवाल उठाते हुए कहा था कि पीड़िता के बयान से ही यह सामने आया है ।

SC stays Punjab & Haryana HC order which had granted bail to three students who were accused of gangraping a student of OP Jindal University

— ANI (@ANI) November 6, 2017

Punjab and Haryana High Court had suspended the sentence and had allowed the accused to travel abroad for studies.

— ANI (@ANI) November 6, 2017


बता दें कि, यह मामला तब सामने आया था जब सोनीपत की ओपी जिंदल यूनिवर्सिटी की एक छात्रा ने यूनिवर्सिटी प्रबंधन के समक्ष शिकायत दर्ज करवा आरोप लगाया था कि, उसका एक पूर्व मित्र हार्दिक सिकरी उसे पिछले एक वर्ष से भी अधिक समय से ब्लैकमेल कर रहा है, क्योंकि उसके पास उसकी एक नग्न फोटो है।  इस फोटो को सावर्जनिक करने की धमकियाँ दे हार्दिक खुद और अपने दो दोस्तों करन और विकास के साथ मिलकर उसका यौन शोषण कर रहा है।  इस मामले में सोनीपत की ट्रायल कोर्ट ने 24 मार्च को हार्दिक और करन को 20 -20 वर्ष और विकास को 7 वर्ष कैद की सजा सुनाई थी।  इसी सजा के खिलाफ इन तीनों दोषी युवाओं ने हाई कोर्ट में अपील की थी ।

हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने केस की क्रॉस एग्जामिनेशन सहित पीड़िता और दोषी करार दिए गए युवाओं के बयान का अध्ययन किया  सामने आया कि, पीड़िता को पहले युवक ने अपनी नग्न तस्वीर भेजी थी और उसके बाद पीड़िता को भी अपनी तस्वीर भेजने को कहा था  काफी दबाव के बाद पीड़िता ने भी अपनी फोटो भेज दी  फिर इसी फोटो के आधार पर पीड़िता ने ब्लैकमेल और बलात्कार करने का आरोप लगाया है।  हार्दिक द्वारा सेक्स टॉय खरीदने की मांग पर पीड़िता ने यह मांग पूरी की थी  ।पीड़िता ने अपने बयान में कबूल किया था की न सिर्फ बियर बल्कि डग्स भी लेती रही है ।

हाई कोर्ट ने कहा था कि यह मामला एक त्रासदी है जिसमें युवा की असंयमित और विकृत मानसिकता ही सामने आई है। जिसका खामियाजा इनके परिवारों को भुगतना पड़ा है। ऐसे में हाई कोर्ट इस मामले में सुधारवादी नजरिया लेते हुए इन तीनों दोषियों को मनोचिकित्सक से काउंसलिंग करवाए जाने का आदेश देती है इसकी जिम्मेदारी हाई कोर्ट ने एम्स को दी थी। इनके इलाज की पूरी जानकारी हाई कोर्ट को दिए जाने के आदेश दिए गए थे। इसके साथ ही हाई कोर्ट ने तीनों दोषी युवाओं को अपने पासपोर्ट हाई कोर्ट की रजिस्ट्री में जमा करवाए जाने के भी आदेश दिए थे। मामले में प्रतिवादी पक्ष ने हाई कोर्ट के फैसले  को  सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है।

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