हरियाणा में 2004 बैच के एचसीएस अधिकारियों को राहत, अगली सुनवाई तक नहीं जाएगी नौकरी

पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने 2004 बैच के एचसीएस अफसरों को थोड़ी राहत दी है। हाई कोर्ट ने उनके केस के मामले में यथास्थिति के आदेश दिए हैं। सरकार ने इन एचसीएस अधिकारियों की सेवा समाप्त का नोटिस जारी किया था।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Fri, 28 Jan 2022 04:49 PM (IST) Updated:Fri, 28 Jan 2022 04:49 PM (IST)
हरियाणा में 2004 बैच के एचसीएस अधिकारियों को राहत, अगली सुनवाई तक नहीं जाएगी नौकरी
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट की फाइल फोटो।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा सरकार के सेवा समाप्त करने के 2004 बैच के एचसीएस (हरियाणा सिविल सर्विस) अधिकारियों को दिए गए नोटिस पर हाई कोर्ट ने यथास्थिति के आदेश जारी रखते हुए मामले की सुनवाई 17 फरवरी तक स्थगित कर दी है। इससे इन अधिकारियों को अगली सुनवाई तक राहत जारी रहेगी।

इस मामले में कोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी कर यह जवाब देने का आदेश दिया हुआ है कि क्यों न उसके द्वारा एचसीएस अधिकारियों को नौकरी से हटाने के आदेश संबंधी नोटिस पर रोक लगा दी जाए। मामले में याचिका दायर करने वाले एचसीएस अधिकारियों ने सरकार के उन्हें नोटिस देने के कदम को आपत्तिजनक, नियमों के खिलाफ तथा अपमानजनक करार देते हुए इसे रद करने की मांग की है।

एचसीएस (कार्यकारी शाखा) के अधिकारियों को उनकी छह साल की नियमित सेवा के बावजूद हटाने के लिए 27 नवंबर को नोटिस जारी किया गया था। जिन एचसीएस अधिकारियों ने याचिका दायर की है, उनके अनुसार वह भर्ती में बेदाग उम्मीदवार रहे हैं और पूरी भर्ती को रद करना उनके साथ अन्याय होगा। याचिका में कहा गया कि उनको हटाना हाई कोर्ट के 27 फरवरी 2016 के आदेश का उल्लंघन है। तब राज्य सरकार के निर्णय के मद्देनजर बेदाग उम्मीदवारों को अलग किया गया था और नियुक्ति की पेशकश की गई थी। फरवरी 2016 में खंडपीठ ने याचिकाकर्ताओं की नियुक्ति के लिए आदेश जारी किए थे।

याचिकाकर्ताओं ने यह भी तर्क दिया कि कारण बताओ नोटिस न केवल अवैध है, बल्कि हाई कोर्ट के आदेश के विपरीत है। जब हाई कोर्ट उनके मामले पर फैसला दे चुका है और उसी फैसले के तहत उनकी नियुक्ति हुई है तो अब राज्य सरकार उनकी सेवा किस आधार पर समाप्त कर सकती है। एक मामले में मुख्य सचिव ने हाई कोर्ट को जानकारी दी थी कि 2004 में एचसीएस (कार्यकारी शाखा) और संबद्ध सेवाओं का चयन करने वाली पूरी प्रक्रिया खराब और अनियमितताओं से ग्रस्त थी। इस प्रक्रिया के जरिए नियुक्त सभी अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया गया था।

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