प्राइवेट स्कूलों ने सरकार से मांगा आर्थिक पैकेज, छह लाख शिक्षकों का वेतन, लोन की किस्तों की दी दुहाई

निजी स्कूलों ने मंत्री से मिलकर आर्थिक पैकेज देने की मांग की है। कहा कि फीस न मिलने के कारण छह लाख शिक्षकों के सामने आर्थिक दिक्कतें पैदा होने संकट आ गया है।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Mon, 22 Jun 2020 09:33 AM (IST) Updated:Mon, 22 Jun 2020 09:38 AM (IST)
प्राइवेट स्कूलों ने सरकार से मांगा आर्थिक पैकेज, छह लाख शिक्षकों का वेतन, लोन की किस्तों की दी दुहाई
प्राइवेट स्कूलों ने सरकार से मांगा आर्थिक पैकेज, छह लाख शिक्षकों का वेतन, लोन की किस्तों की दी दुहाई

जेएनएन, चंडीगढ़। हरियाणा के प्राइवेट स्कूलों ने कोरोना महामारी के दौरान आर्थिक संकट पैदा होने का हवाला देते हुए छह लाख शिक्षकों के सामने आर्थिक दिक्कतें पैदा होने का दावा किया है। फेडरेशन ऑफ प्राइवेट स्कूल्स एसोसिएशन के एक प्रतिनिधिमंडल ने शिक्षा मंत्री कंवरपाल गुर्जर से मुलाकात कर प्राइवेट स्कूलों के बचाव के लिए आर्थिक पैकेज और राहत देने की मांग की। फेडरेशन के अध्यक्ष कुलभूषण शर्मा ने दावा किया कि शिक्षा मंत्री ने बसों के पैसेंजर टैक्स और बिजली के बिलों में राहत दिलाने का प्रयास करने का भरोसा दिलाया है।

फेडरेशन के अध्यक्ष कुलभूषण शर्मा के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल शिक्षा मंत्री से मिला और उन्हेंं अपनी मांगों को लेकर ज्ञापन सौंपा। उन्होंने शिक्षा मंत्री से कहा कि स्कूल लिविंग सर्टिफिकेट संबंधी पत्र को तुरंत निरस्त किया जाए। शिक्षा मंत्री और मुख्यमंत्री के आदेशों के बाद ही निजी स्कूलों ने पिछले वर्षों की बकाया फीस और अप्रैल से जून तक की फीस के लिए अभिभावकोंं से कहा। इसके बावजूद उन पर किसी तरह का जोर नहीं डाला गया। स्कूल बच्चों की आनलाइन पढ़ाई करा रहे हैं। इसके लिए हर शिक्षक को स्कूल आना पड़ रहा है अथवा वह अपने घर से ही काम कर रहा है।

कुलभूषण शर्मा ने कहा कि यदि प्राइवेट स्कूलों की चिंता नहीं की गई तो उनकी कमर टूट जाएगी। इन स्कूलों के सामने छह लाख अघ्यापकों का वेतन देने का बड़ा संकट है। ऐसे में खड़ी बसों की इंश्योरेंस किस्तें, लोन की किस्तें तथा बसों का पैसेंजर टैक्स देना भारी हो रहा है। उन्होंने बिजली के बिल भी एवरेज लोड की जगह इस्तेमाल की गई बिजली के आधार पर भेजने की मांग की, क्योंकि स्कूल बंद हैं मगर इसके बावजूद बिजली विभाग लाखों रुपये के बिल भेज रहा है। 134-ए की राशि भी स्कूलों को नहीं भेजी गई है।

बता दें, निजी स्कूल फीस का मामला हाई कोर्ट में चल रहा है। अभिभावकों का कहना है कि लॉकडाउन होने के कारण उनकी आय प्रभावित हुई है। याचिका में बताया गया है कि सभी निजी शिक्षण संस्थाएं गैर-लाभ के इरादे से स्थापित की गई हैं, लेकिन निजी स्कूलों के पास करोड़ों रुपये का रिजर्व फंड है। ऐसे में निजी स्कूलों द्वारा बढ़ी हुई व ट्यूशन फीस के अलावा अन्य फीस लेना गरीब अभिभावकों के साथ नाइंसाफी है।

chat bot
आपका साथी