फार्मेसी काउंसिल के सदस्यों ने उठाया था रिश्वत लेकर रजिस्ट्रेशन का मुद्दा

हरियाणा राज्य फार्मेसी काउंसिल में रिश्वत लेकर रजिस्ट्रेशन करने का मुद्दा काउंसिल के सदस्यों ने ही उठाया था। काउंसिल के उपप्रधान सोहन लाल कांसल के रिश्वत मामले में गिरफ्तारी के बाद चेयरमैन धनेश अदलखा से भी पूछताछ होगी क्योंकि इन सदस्यों ने धनेश अदलखा पर भी गंभीर आरोप लगाए थे।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 03 Jul 2022 09:15 PM (IST) Updated:Sun, 03 Jul 2022 09:15 PM (IST)
फार्मेसी काउंसिल के सदस्यों ने उठाया था रिश्वत लेकर रजिस्ट्रेशन का मुद्दा
फार्मेसी काउंसिल के सदस्यों ने उठाया था रिश्वत लेकर रजिस्ट्रेशन का मुद्दा

जागरण संवाददाता, पंचकूला :

हरियाणा राज्य फार्मेसी काउंसिल में रिश्वत लेकर रजिस्ट्रेशन करने का मुद्दा काउंसिल के सदस्यों ने ही उठाया था। काउंसिल के उपप्रधान सोहन लाल कांसल के रिश्वत मामले में गिरफ्तारी के बाद चेयरमैन धनेश अदलखा से भी पूछताछ होगी, क्योंकि इन सदस्यों ने धनेश अदलखा पर भी गंभीर आरोप लगाए थे। काउंसिल के पूर्व रजिस्ट्रार एवं सदस्य अरुण पराशर, बीबी सिगल, रविद्र चोपड़ा, सुरिद्र सालवान, यशपाल सिगला ने हरियाणा राज्य फार्मेसी काउंसिल अध्यक्ष धनेश अदलखा के खिलाफ मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री को शिकायत दी थी। इसके बाद मामले की जांच नेशनल हेल्थ मिशन हरियाणा के एमडी (आइएएस) प्रभजोत सिंह को सौंप दी गई थी। जांच के दौरान अरुण पराशर, बीबी सिगल, रविद्र चोपड़ा, सुरिद्र सालवान, यशपाल सिगला और केसी गोयल ने अपने बयान दर्ज करवाए थे। 50 से 80 हजार रुपये लेने के लगे थे आरोप

इन सदस्यों ने बयानों में कहा था कि वर्ष 2019 से 2020 तक, लगभग 18 महीनों तक, उन छात्रों का कोई पंजीकरण नहीं हुआ, जो हरियाणा राज्य के बाहर से बारहवीं/फार्मेसी उत्तीर्ण हैं। आवेदकों के कई अभ्यावेदन के बावजूद 2019 से नए पंजीकरण के लिए कई आवेदन लंबित हैं। इस मामले पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। सदस्यों ने आरोप लगाया था कि अध्यक्ष धनेश अदलखा अपनी मर्जी से कार्यालय चला रहे हैं। अरुण पराशर, बीबी सिगल, सुरेंद्र सालवान, केसी गोयल ने अपने बयानों में कहा था कि राज्य फार्मेसी काउंसिल में पंजीकृत होने के लिए 50 हजार से 80 हजार रुपये रिश्वत के रूप में देने पड़ते हैं। खासकर उन छात्रों को जिन्होंने हरियाणा राज्य के बाहर से बारहवीं/ फार्मेसी पास की है। 20 मार्च 2022 को हरियाणा सेवा का अधिकार आयोग ने भ्रष्ट आचरण की ओर इशारा करते हुए फार्मेसी काउंसिल के कामकाज पर अपनी नाराजगी दर्ज करते हुए एक आदेश पारित किया था। हरियाणा राज्य फार्मेसी काउंसिल में फार्मेसी अधिनियम और नियमों का उल्लघंन किया जा रहा है, जिससे राज्य में 45000 फार्मासिस्टों के बीच राज्य सरकार की छवि और विश्वसनीयता खराब हो रही है। आइएएस अधिकारी ने भी जताई थी चिता

प्रभजोत सिंह ने जांच रिपोर्ट में कौंसिल में वर्षों से लंबित पंजीकरण मामलों पर चिता जाहिर की थी। साथ ही सिफारिश की है कि हरियाणा के छात्रों के लिए पंजीकरण की समय सीमा एक माह तक तय की जाए और दूसरे प्रदेशों से कोर्स करने वालों के लिए तीन माह की डेडलाइन तय की जाए। पंजीकरण के मामलों को लंबित न किया जाए, या तो स्वीकृत किया जाए या फिर अस्वीकृत। उन्होंने कहा था कि काउंसिल की बैठकों की वीडियोग्राफी कराई जाए। काउंसिल में कार्यकारी के स्थान पर स्थायी रजिस्ट्रार हो और वह पावरफुल हो। एचसीएस स्तर के अधिकारी को यहां रजिस्ट्रार लगाया जाए। नियमों के खिलाफ बैंक के सभी चेक पर अध्यक्ष धनेश अदलखा द्वारा हस्ताक्षर किए जा रहे हैं और उपप्रधान सोहन लाल बैंक खातों को डील कर रहे हैं। डायरी डिसपैच से लेकर ऑफिस की ई मेल तक खोलने नहीं दी जा रही है। जांच में सभी आरोप सही पाए गए थे।

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