Adampur By Election: हरियाणा में करिश्मा नहीं कर पाई केजरीवाल और भगवंत मान की जोड़ी

Adampur By Election 2022 हरियाणा के आदमपुर में हुए उपचुनाव में आम आदमी पार्टी का प्रदर्शन अच्‍छा नहीं रहा। इस उपचुनाव में दिल्‍ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और पंजाब के मुख्‍यमंत्री भगवंत मान कोई करिश्‍मा नहीं दिखा सके। आप प्रत्‍याशी की जमानत जब्‍त हो गई।

By Anurag AggarwaEdited By: Publish:Mon, 07 Nov 2022 09:20 PM (IST) Updated:Tue, 08 Nov 2022 08:46 AM (IST)
Adampur By Election: हरियाणा में करिश्मा नहीं कर पाई केजरीवाल और भगवंत मान की जोड़ी
आप संयोजक और दिल्‍ली सीएम अरविंद केजरीवाल और पंजाब के सीएम भगवंत मान। (फाइल फोटो)

अनुराग अग्रवाल, चंडीगढ़। Adampur By election: आदमपुर उपचुनाव में मिली करारी पराजय ने आम आदमी पार्टी के हरियाणा में सत्ता तक पहुंचने के सारे सपने चूर-चूर कर डाले हैं। हरियाणा में लंबे समय से सक्रिय आम आदमी पार्टी के प्रदेश स्तरीय नेता तो दूर, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान भी आदमपुर में अपनी पार्टी के लिए कोई चमत्कार नहीं कर पाए। आदमपुर का रिजल्ट पार्टी के लिए न केवल खतरे की घंटी है, बल्कि धरातल पर काम करने के लिए आईना दिखाने वाला है।

आदमपुर के नतीजों ने आम आदमी पार्टी के सत्ता तक पहुंचने के सपने को ध्वस्त किया

आम आदमी पार्टी ने विभिन्न दलों का स्वाद चख चुके सतेंद्र सिंह को आदमपुर में अपना उम्मीदवार बनाया था। सतेंद्र सिंह ने इस चुनाव में खुद लोकल बागड़ी उम्मीदवार के रूप में पेश किया। आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सदस्य डा. सुशील गुप्ता और पार्टी के नेशनल एडवाइजर अनुराग ढांडा ने सतेंद्र सिंह के टिकट की सिफारिश की थी। चुनाव के दौरान इन दोनों नेताओं ने एक के बाद एक खूब प्रेस कान्फ्रेंस की। हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके पूर्व सांसद डा. अशोक तंवर भी सतेंद्र सिंह के लिए साइकिल पर प्रचार करने निकले, लेकिन आदमपुर की जनता ने न तो सतेंद्र सिंह को भाव दिया और न ही आम आदमी पार्टी को स्वीकार किया।

इनेलो के कुरड़ाराम को आप के सतेंद्र सिंह से अधिक वोट मिले, लेकिन दोनों की जमानत जब्‍त

आप उम्मीदवार सतेंद्र सिंह को आदमपुर के रण में जमानत बचाने वाले मत भी नहीं मिल पाए। उन्हें सिर्फ 3420 वोट मिले हैं, जो कि इनेलो उम्मीदवार कुरड़ा राम नंबर से भी काफी कम हैं। कुरड़ा राम भी लोकल ही उम्मीदवार थे और उन्हें 5248 वोट मिले हैं। हालांकि आदमपुर में इनेलो भी कुछ खास नतीजे नहीं दे पाया। आप और इनेलाे दोनों के उम्‍मीदवारों की जमानत जब्‍त हुई।

आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार के साथ-साथ आप नेताओं का जनता के साथ सीधा कनेक्शन नहीं होने का असर आदमपुर के चुनाव में दिखाई दिया है। आप नेताओं की राजनीतिक गतिविधियां हर जिले में जाकर प्रेस कान्फ्रेंस करने और खुद को विपक्षी दल के रूप में पेश करते हुए सरकार को कोसने तक सीमित रही।

केजरीवाल और भगवंत मान चुनाव प्रचार के लिए आदमपुर कई बार आए

आप प्रत्याशी सतेंद्र सिंह का प्रचार करने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान कई बार आदमपुर आए। दोनों मुख्यमंत्रियों ने रोड शो भी किए, लेकिन फिर भी आदमपुर की जनता ने आप को पूरी तरह से नकार दिया है। नवीन जयहिंद के आम आदमी पार्टी से नाता तोड़ लेने के बाद से आप की यह स्थिति बनी हुई है।

जानकारों का कहना है कि नवीन जयहिंद जब तक आप के प्रदेश अध्यक्ष थे, तब तक उन्होंने पूरे राज्य में पार्टी का माहौल बनाए रखा, लेकिन आरोप है कि राज्यसभा सदस्य डा. सुशील गुप्ता उन्हें कभी साथ लेकर नहीं चले, जिस कारण अपने मानसम्मान की दुहाई देते हुए जयहिंद ने आम आदमी पार्टी को अलविदा कह दिया था।

आदमपुर के नतीजे से आप को लगा झटका 

आरंभ में आम आदमी पार्टी से पूर्व मंत्री निर्मल सिंह और उनकी बेटी चित्रा सरवारा सरीखे बड़े नेता भी जुड़े, लेकिन जिस तरह का आदमपुर का रिजल्ट रहा है, उससे पार्टी को झटका लगा है। पूर्व मंत्री निर्मल सिंह और उनकी बेटी चित्रा सरवारा की प्रदेश में अच्छी पकड़ है, लेकिन उन्हें भी पार्टी में मान-सम्मान ठीक ढंग से नहीं मिल पाया। आदमपुर के रिजल्ट के बाद आम आदमी पार्टी से किसी करिश्मे की उम्मीद लगाए बैठे दूसरे दलों के असंतुष्ट व जरूरतमंद नेताओं को निराशा ही हाथ लगी है।

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