हाई कोर्ट की महत्वपूर्ण टिप्पणी, केवल कुछ दिन साथ रहना सहमति संबंध नहीं, जिम्मेदारी निभानी जरूरी

पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने हरियाणा के यमुनानगर के एक प्रेमी जोड़े की सुरक्षा याचिका पर महत्वपूर्ण टिप्पणी की। कहा कि केवल कुछ दिन साथ रहना सहमति संबंध नहीं है। इसके लिए जिम्मेदारी निभाना जरूरी है ।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Wed, 08 Dec 2021 04:34 PM (IST) Updated:Wed, 08 Dec 2021 04:51 PM (IST)
हाई कोर्ट की महत्वपूर्ण टिप्पणी, केवल कुछ दिन साथ रहना सहमति संबंध नहीं, जिम्मेदारी निभानी जरूरी
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट की फाइल फोटो।

दयानंद शर्मा, चंडीगढ़। प्रेमी जोड़े की सुरक्षा याचिका पर सुनवाई करते हुए पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि केवल कुछ दिन साथ रहना सहमति संबंध नहीं है। जब तक आपस में एक-दूसरे की जिम्मेदारियों की निर्वाह नहीं किया जाता यह सहमति संबंध नहीं है।

याचिका दाखिल करते हुए यमुनानगर के प्रेमी जोड़े ने बताया कि लड़की की आयु 18 वर्ष है और लड़का 20 वर्ष का है। फिलहाल वह सहमति संबंध में रह रहे हैं और लड़के की आयु विवाह योग्य होने पर दोनों विवाह कर लेंगे। लड़की के परिजन दोनों के विवाह के खिलाफ हैं और ऐसे में जोड़े को खतरा है। हाई कोर्ट ने याचिका पर टिप्पणी करते हुए कहा कि आजकल सहमति का चलन आम हो गया है।

हाई कोर्ट ने कहा कि समाज, पिछले कुछ वर्षों से सामाजिक मूल्यों में परिवर्तन का अनुभव कर रहा है, विशेष रूप से उत्साही युवाओं के बीच, जो अपने अपने पसंद के साथी के संग रहने के लिए माता-पिता को छोड़ देते हैं। अपने रिश्ते पर अदालत की मुहर लगाने के लिए वे अपने जीवन और स्वतंत्रता का खतरा बताते हुए सुरक्षा के लिए याचिका दायर करते हैं। इस तरह की याचिकाएं अदालत का काफी समय लेती हैं और इसके चलते अन्य मामले सुनवाई के लिए कतार में रह जाते हैं। निस्संदेह, दो विपरीत लिंग के वयस्कों के बीच सहमति संबंध की अवधारणा को भारत में भी मान्यता मिली है, क्योंकि विधायिका ने इस तरह के रिश्ते में वैधता को समाहित करने के लिए घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 से महिलाओं की सुरक्षा के लिए धारा 2 (एफ) में उदारतापूर्वक परिभाषित के तहत घरेलू संबंध की घोषणा की है। ऐसे मेंं सहमति संबंध में भी महिलाओं विवाह की तरह ही सुरक्षा मिलती है।

हालांकि, इसके बावजूद समाज का कुछ वर्ग इस तरह के संबंधों को स्वीकार करने से हिचकता है। इस बात को लगातार ध्यान में रखना होगा कि सहमति संबंध में एक-दूसरे के प्रति कुछ कर्तव्यों और जिम्मेदारियों के निर्वहन के बाद ही ऐसे रिश्ते को वैवाहिक संबंधों के समान मान्यता मिलती है। केवल कुछ दिन साथ रहना सहमति संबंध को मान्यता देने के लिए पर्याप्त नहीं है।

हाई कोर्ट ने जोड़े से पूछा- वह कहां रह रहे हैं तो बताया गया कि वह होटल में कुछ दिन से साथ रह रहे हैं। हाई कोर्ट ने पूछा कि उनके जीवन को खतरा है तो इसको लेकर पुलिस को कोई शिकायत दी गई है तो जवाब नकारात्मक मिला। हाई कोर्ट ने इस याचिका को आधारहीन मानते हुए इसे खारिज कर दिया। साथ ही अदालत का समय बर्बाद करने के लिए जोड़े पर 25 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया।

chat bot
आपका साथी