शहरी निकाय चुनाव के नतीजों का हरियाणा कांग्रेस में असर, हुड्डा के निशाने पर आईं सैलजा

हरियाणा में शहरी निकाय चुनाव का सियासी दलों पर काफी असर पड़ा है। हरियाणा कांग्रेस पर भी शहरी निकाय चुनाव के रिजल्‍ट का असर हुआ है। हरियाणा कांग्रेस की अध्‍यक्ष कुमारी सैलजा अब भूपेंद्र सिंह हुड्डा के निशाने पर आ गई हैं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Fri, 01 Jan 2021 09:45 AM (IST) Updated:Fri, 01 Jan 2021 09:45 AM (IST)
शहरी निकाय चुनाव के नतीजों का हरियाणा कांग्रेस में असर, हुड्डा के निशाने पर आईं सैलजा
कुमारी सैलजा और भूपेंद्र सिंह हुड्डा क फाइल फोटो।

चंडीगढ़, जेएनएन। हरियाणा में 30 दिसंबर को घोषित हुए सात शहरी निकायों के चुनाव परिणाम का राज्‍य की सियासत पर असर अब दिख रहा है। सभी दलाें में इसका असर दिख रहा है। कांग्रेस में भी इसका असर पड़ा है और पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा और हरियाणा कांग्रेस अध्‍यक्ष कुमारी सैलजा में खींचतान बढ़ता दिख रहा है। हुड्डा ने कुमारी सैलजा को एक तरह से निशाने पर ले लिया है।

 पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा शहरी निकाय चुनाव के नतीजों के बाद अलग ही अंदाज में दिख रहे हैं। सोनीपत में कांग्रेस की जीत से उत्साहित हुड्डा ने दावा किया कि सांपला, उकलाना और धारूहेड़ा में भी उनके तथा दीपेंद्र हुड्डा के समर्थक अध्यक्षों ने जीत हासिल की है। पंचकूला, अंबाला व रेवाड़ी में कांग्रेस की हार पर हुड्डा चुटकी लेना नहीं भूले। हुड्डा ने इशारों ही इशारों में इन शहरी निकायों में हुई हार की समीक्षा करने का सुझाव दिया है।

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा अंबाला व पंचकूला में मुझे नहीं बुलाया गया, हार की समीक्षा हो

हुड्डा के इस सुझाव को हरियाणा कांग्रेस की अध्यक्ष कुमारी सैलजा के विरुद्ध नई तरह की मोर्चेबंदी के रूप में देखा जा रहा है। ऐसी ही मोर्चेबंदी हुड्डा ने  अशोक तंवर के हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष रहने के दौरान की थी।  राज्यसभा चुनाव के दौरान हुड्डा व सैलजा के राजनीतिक रिश्तों में खटास शुरू हुई थी। वैसे यहां पत्रकारों से बातचीत के दौरान हुड्डा ने बार-बार कुरेदने पर भी इस बारे में खुलकर कुछ नहीं बोला। बरोदा उपचुनाव में हालांकि सैलजा चुनाव प्रचार करने गई, लेकिन वहां इंदु नरवाल की टिकट फाइनल होने से पहले दोनों के बीच उम्मीदवार को लेकर काफी खींचतान हुई। बरोदा में हुड्डा समर्थक इंदु नरवाल की रिकार्ड मतों से जीत हुई थी।

उकलाना, धारूहेड़ा और सांपला में अपने समर्थक अध्यक्षों की जीत का किया दावा

अब शहरी निकाय चुनाव में हुड्डा व सैलजा के बीच खींचतान साफ नजर आ रही है। हुड्डा ने कहा कि अंबाला व पंचकूला तथा रेवाड़ी में हार क्यों हुई? इसकी समीक्षा की जानी चाहिए। सोनीपत की जीत का हवाला देते हुए हुड्डा ने कहा कि वहां हम 14 हजार मतों के अंतर से जीते हैं। अंबाला व पंचकूला में कांग्रेस की हार से जुड़े सवाल पर हुड्डा ने कहा कि उन्हें न तो किसी पदाधिकारी और न ही कांग्रेस उम्मीदवारों ने चुनाव प्रचार के लिए बुलाया था। उन्हें शायद लग रहा था कि ऐसे ही काम चल जाएगा।

रेवाड़ी में तो आप प्रचार करे गए थे, फिर भी कांग्रेस हार गई, इस सवाल पर हुड्डा ने कहा कि हार-जीत अलग बात है, लेकिन बुलाना तो चाहिए था। अंबाला में अपने पुराने मित्र विनोद शर्मा की धर्मपत्नी रानी शर्मा की जीत से जुड़े सवाल पर हुड्डा सिर्फ मुस्कुरा दिए। पंचायत चुनाव में कांग्रेस की क्या रणनीति होगी? इस सवाल पर हुड्डा ने कहा कि अभी इस सवाल का जवाब देने के लिए उपयुक्त समय नहीं आया है। उन्होंने राज्य में संगठन नहीं होने से जुड़े सवाल पर कहा कि हम भी चाहते हैं कि जल्द से जल्द संगठन तैयार होना चाहिए। हुड्डा ने कहा कि सांपला में खुद मेरा समर्थक, धारूहेड़ा में राव दान सिंह का समर्थक तथा उकलाना में जयप्रकाश जेपी व दीपेंद्र हुड्डा का समर्थक अध्यक्ष पद का चुनाव जीता है।

पूर्व मुख्यमंत्री ने दावा किया कि गठबंधन सरकार शहरी निकाय चुनाव के नतीजों के बाद जनता का पूरी तरह से विश्वास खो बैठी है। उन्होंने बताया कि जजपा, भाजपा व कई निर्दलीय विधायक तीन कृषि कानूनों के विरोध में हैं और अपनी सरकार की जिद का विरोध कर रहे हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री एक बयान से जुड़े सवाल पर कहा कि जब वह मुख्यमंत्रियों के समूह के अध्यक्ष थे, तब हमने सी-टू फार्मूले के तहत एमएसपी पर फसल की खरीद की सिफारिश की थी। हमारी सिफारिश पर ही किसानों से चार फीसदी से ज्यादा ब्याज देश में नहीं लिया जाता। हरियाणा में यह जीरो है।

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