हुड्डा फिर निशान पर, 300 करोड़ के भूमि मुआवजा घोटाले की सीबीआई जांच

पूर्व मुख्‍यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा एक बार फिर निशाने पर हैं। राज्‍य सरकार ने उनके शासनकाल में हुए 300 करोड़ रुपये के भूमि अ‍धिग्रहण मुआवजा घोटाले की जांच सीबीबाइ को सौंपी है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Sun, 08 Jan 2017 08:50 PM (IST) Updated:Sun, 08 Jan 2017 09:08 PM (IST)
हुड्डा फिर निशान पर, 300 करोड़ के भूमि मुआवजा घोटाले की सीबीआई जांच

जेएनएन, चंडीगढ़। हरियाणा में एक और मामले की जांच सीबीआइ को सौंप दी गई है। किसानों के भूमि अधिग्रहण के मुआवजे की राशि में करोड़ों रुपये के घोटाले से जुड़े मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने एफआइआर दर्ज कर ली है। स्टेट विजिलेंस ब्यूरो की सिफारिश के आधार पर मनोहर सरकार ने पिछली हुड्डा सरकार के कार्यकाल के दौरान के इस मामले की सीबीआई जांच की सिफारिश की थी।

किसानों के जमीन अधिग्रहण के मुआवजे का यह मामला करीब तीन सौ करोड़ रुपये का है, लेकिन इसमें से 48 करोड़ रुपये के घोटाले का पर्दाफाश पहले ही हो चुका है। इस घोटाले में सरकारी अधिकारियों के साथ-साथ कई बैंक अधिकारी शामिल हैं।

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केंद्रीय जांच ब्यूरो ने पंचकूला के तत्कालीन जिला राजस्व अधिकारी नरेश श्योकंद और पंजाब नेशनल बैंक की जंगपुरा एक्सटेंशन शाखा के तत्कालीन वरिष्ठ प्रबंधक भीम सिंह के खिलाफ एफआइआर दर्ज की है। इन लोगों पर वर्ष 2012 से 2015 के दौरान भूमि अधिग्रहण की एवज में किसानों को दी जाने वाले राशि का गबन करने का आरोप है। एफआइआर में श्योकंद और भीम सिंह आपराधिक साजिश, आपराधिक कदाचार और जालसाजी के आरोपी हैं।

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भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने आरोप लगाया था कि 2015 में पंचकूला के जिला राजस्व अधिकारी श्योकंद के बैंक खातों में 47 करोड़ रूपये की राशि कम पाई गई। तब राजस्व अधिकारी ही भूमि अधिग्रहण अधिकारी की भूमिका निभा रहे थे। जांच के दौरान पता चला कि 37 करोड़ रूपये 17 लोगों के खातों में भेजे गए थे जिनको भूमि अधिग्रहण का मुआवजा नहीं मिलना था। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने राष्ट्रीय राजमार्ग के लिए किसानों की जमीन का अधिग्रहण किया था। किसानों को करोड़ों रुपये का मुआवजा प्रदान किया जाना था। यह सारी धनराशि जिला राजस्व अधिकारी के माध्यम से दी जानी थी।

पंचकूला और दिल्ली की बैंक शाखाओं में खोले गए थे फर्जी खाते

हरियाणा स्टेट विजिलेंस ब्यूरो ने इस मामले में जांच करते हुए पूर्व डीआरओ नरेश श्योकंद, पंजाब नेंशनल बैंक जंगपुरा के वरिष्ठ प्रबंधक भीम सिंह तथा दिल्ली निवासी चंद्रशेखर को गिरफ्तार किया था। जांच के दौरान पता चला कि नरेश श्योकंद ने बैंक प्रबंधक के साथ मिलकर पंचकूला व दिल्ली की विभिन्न बैंक शाखाओं में फर्जी बैंक खाते खुलवाकर भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा किसानों के नाम पर दी गई धनराशि को डकार लिया।

दिल्ली, चंडीगढ़ और राजस्थान की कई कंपनियों तथा बैंकों से जुड़े तार

श्योकंद ने फर्जीवाड़ा करके जिन लोगों को यह धनराशि जारी की है, उनका भूमि अधिग्रहण तथा सड़क प्रोजेक्ट के साथ कोई सरोकार ही नहीं है। यह पूरा घोटाला करीब 300 करोड़ का होने की आशंका जताई जा रही है। इसमें से 48 करोड़ रुपये के घोटाले के प्रमाण मिल चुके हैं।

विजिलेंस द्वारा अब तक की गई जांच में यह बात भी सामने आई कि आरोपी अधिकारी ने कई कंपनियों के खातों में करीब 37 करोड़ रुपये की रकम ट्रांसफर की है। यह पूरा प्रकरण पंचकूला एवं हरियाणा तक सीमित न होकर दिल्ली, चंडीगढ़ तथा राजस्थान से जुड़ा है।

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