राम रहीम की राजदार हनीप्रीत को नहीं मिली High Court से राहत, जज ने सुनवाई से किया इन्कार

डेरा प्रमुख गुुुुुुरमीत राम रहीम की दत्तक पुत्री हनीप्रीत को पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट से राहत नहीं मिल पाई। हनीप्रीत ने हाई कोर्ट में जमानत याचिका दायर की थी।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Mon, 26 Aug 2019 01:19 PM (IST) Updated:Tue, 27 Aug 2019 09:40 AM (IST)
राम रहीम की राजदार हनीप्रीत को नहीं मिली High Court से राहत, जज ने सुनवाई से किया इन्कार
राम रहीम की राजदार हनीप्रीत को नहीं मिली High Court से राहत, जज ने सुनवाई से किया इन्कार

जेएनएन, चंडीगढ़। डेरा प्रमुख गुुुुुुरमीत राम रहीम की दत्तक पुत्री हनीप्रीत को पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट से राहत नहीं मिल पाई। हनीप्रीत ने हाई कोर्ट में जमानत याचिका दायर की थी। मामले मेंं जब सोमवार को सुनवाई शुरू हुई तो जस्टिस सुरेंद्र गुप्ता ने फाइल देखते ही मामले पर सुनवाई से इन्कार कर दिया। उन्होंने मामले को अन्य बेंच को देने के लिए चीफ जस्टिस को रेफर कर दिया।

बता दें, इससे पहले भी हाई कोर्ट ने हनीप्रीत को जमानत देने से इन्कार देते हुए कहा था कि याचिकाकर्ता पर संगीन आरोप हैं ऐसे आरोपी को कैसे जमानत दी जा सकती है। हनीप्रीत के वकील का कहना था कि उन्हेंं पक्ष रखे जाने का अवसर दिया जाना चाहिए। इसके बाद आज सुनवाई होनी थी, लेकिन जज ने सुनवाई से इन्कार कर दिया।

हनीप्रीत ने हाईकोर्ट में दायर अपनी नियमित जमानत की मांग को लेकर दायर याचिका में कहा है कि 25 अगस्त 2017 को जब पंचकूला सीबीआइ अदालत ने गुरमीत राम रहीम को साध्वी यौनशोषण मामले में दोषी करार दिया था तो उसके बाद पंचकूला में हुए दंगों की साजिश रचे जाने का उस पर आरोप लगाया गया था, जबकि जिस समय दंगे हुए थे वह उस समय डेरा प्रमुख के साथ थी। डेरा प्रमुख के साथ वह पंचकूला से सीधे रोहतक की सुनारिया जेल चली गई थी। उसे इन दंगों के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। बावजूद इसके उसे इन दंगों की साजिश का आरोप बना दिया गया।

हनीप्रीत ने याचिका में बताया कि इन दंगों की साजिश रचे जाने को लेकर 27 अगस्त 2017 को शिकायत दर्ज करवाई गई थी, तब शिकायत सिर्फ आदित्य इंसा और सुरिंदर धीमान के खिलाफ ही दर्ज की गई थी। इसके बाद 7 सितंबर को डेरा प्रमुख के गनमैन कांस्टेबल विकास कुमार के बयान दर्ज किए गए जिसमेंं पहली बार याचिकाकर्ता का नाम आया कि उसने आदित्य इंसा सहित अन्य के साथ 17 अगस्त 2017 को डेरे में बैठक की थी कि अगर 25 अगस्त को सीबीआइ कोर्ट डेरा मुखी के खिलाफ कोई भी फैसला सुनाती है तो दंगे करवा इन दंगों की आड़ में डेरा प्रमुख को वहां से निकालने में मदद की जाए।

याचिकाकर्ता का कहना है कि इसके बाद 3 अक्तूबर 2017 को उसने पुलिस के समक्ष समर्पण कर दिया था तभी से वह न्यायिक हिरासत में है। इस मामले में उसे गलत तरीके से फंसाया गया है और वह पिछले डेढ़ वर्ष से जेल में है। इस केस के 52 गवाही बनाए गए हैं, इस केस का ट्रायल काफी लंबा चल सकता है ऐसे में उसे तब तक जेल में न रखा जाए और उसे जमानत दी जाए।

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